न्यूज़ डेस्क : दुनियाभर के देश कोरोना महामारी से त्रस्त आ चुके हैं। वहीं भारत में कोरोना की दूसरी लहर के कारण हाहाकार मचा हुआ है। इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि देश को कोरोना की तीसरी लहर का भी सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार ने विशेषज्ञों की चेतावनी को गंभीरता से लिया है और कोविड-19 की तीसरी लहर से निपटने के लिए अभी से बड़े स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। इसके तहत सरकार ने बच्चों के लिए प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 360 बेड के आईसीयू बनाने के निर्देश दिए हैं। इसकी शुरुआत भोपाल से होगी, जहां हमीदिया अस्पताल में 50 बेड वाला आईसीयू बच्चों के लिए तैयार किया जाएगा।
बैठक में लिए अहम फैसले
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने रविवार (9 मई) को तीसरी लहर को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य के 13 शासकीय मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों को बच्चों के इलाज के लिए अस्पतालों में सभी जरूरी दवाइयों, इंजेक्शन, कंज्यूमेंबल्स व स्वास्थ्य उपकरण को खरीदकर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। सरकार ने कहा है कि इस काम के लिए जो भी राशि लगेगी वह सभी मेडिकल कॉलेजों को दी जाएगी।
13 मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में बढ़ेंगे 1267 बेड
कोरोना मरीजों की संख्या में और भी वृद्धि होने की आशंका को देखते हुए पहले से ही पूरे राज्य के कोविड अस्पतालों में बेड और आईसीयू वार्डों की संख्या को बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। राज्य के 13 मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में पहले चरण में 1267 बेड बढ़ाए जा रहे हैं व 767 आईसीयू व एचडीयू बेड बढ़ाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इन अस्पतालों में 1000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें से 15 फीसद को बैकअप रखते हुए 850 ऑक्सीजन बेड को सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई से अलग करते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से संचालित किया जाएगा।
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को चौबीसों घंटे चलाने का दिया निर्देश
इसके अलावा चिकित्सा मंत्री ने निर्देश दिया है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को चौबीसों घंटे व सातों दिन संचालित करने के लिए अस्पताल में बिजली के विद्युत भार का आकलन, इलेक्ट्रिक सेफ्टी व ऑडिट, प्रत्येक बेड पर पॉवर प्लग कनेक्शन आदि की व्यवस्था दुरुस्त की जाए। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी अस्पताल के डीन की होगी कि वह इस व्यवस्था की देखरेख करें।
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