रूचि सोया के बहुसंख्यक शेयर्स पर इमामी,पतंजलि जैसे खरीददारों की नज़र l

मुंबई: – एनसीएलटी (नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल) के प्रस्ताव के लगभग करीब पहुंची। रूचि सोया भारत में पुराने समय में हुए एकीकरण वाली कुछ कंपनियों में से एक है और यह 3.72 मीट्रिक टन/प्रति वर्ष की क्षमता से ऑइल सीड सत्व उपलब्ध करवाने वाली देश की सबसे बड़ी कम्पनी है l 

देशी और विदेशी बाज़ारों में प्रतिभागिता के साथ कम्पनी की उपस्थिति ब्रांडेड और नॉन-ब्रांडेड दोनों ही सेग्मेंट्स में है.  कम्पनी वैल्यू एडेड (योगित मूल्य) वाले सोया उत्पादों का निर्यात करने वाले बड़े निर्यातकों में से एक हैl इन उत्पादों में टेक्सचर्ड सोया प्रोटीन, टोस्ड/अन-टोस्ड/ व्हाइट सोया फ्लेक्स तथा सोया लेसिथिन सेगमेंट के अंतर्गत आने वाले उत्पाद शामिल हैं. फॉर्च्यून इंडिया 500 की 2016 की रैंकिंग के अनुसार खाद्य और कृषि उत्पादों के क्षेत्र में भारत की नंबर वन इस कम्पनी का टर्नओवर 3 बिलियन यूएस डॉलर (वित्तीय वर्ष 2016-17 के अनुसार) है l 

कम्पनी ने कुछ ही समय पूर्व अपने 51 प्रतिशत शेयर की बिक्री की घोषणा की थी और उसके बाद से ही कम्पनी के अधिसंख्य शेयरों के लिए 8,000-10,000 करोड़ रूपये के बीच बोली लगाई जा चुकी है l  इस सौदे के जून 2018 तक पूरा होने की सम्भवना है l इसी कड़ी में एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स) क्षेत्र के बड़े नाम जैसे पतंजलि, गोदरेज, इमामी, अडानी तथा बड़े मलेशियन ब्रांड्स आदि कम्पनी में 51 प्रतिशत शेयरों की प्राप्ति के लिए बोली लगा रहे हैं l

इस सौदे के कम्पनी के लिए गेम चेंजर होने की आशंका है क्योंकि बिगड़ती वित्तीय अवस्था ने इस पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है l अनुमानों के अनुसार, इस डील में विभिन्न बैंकों द्वारा 30-40 प्रतिशत तक कटौती की जाएगी।

इससे कर्ज में करीब 4, 000 करोड़ रूपये तक घट जाएंगे। यह माना जा रहा है कि इस सौदे के बाद कर्ज का मूल्य 5,900 करोड़ रूपये से घटकर 2,000 करोड़ रूपये पर आ जायेगा और इससे कम्पनी के लिए 500-550 करोड़ रूपये तक ब्याज दर में बचत का लाभ मिल जाएगा। इस सौदे के बाद ब्याज दर 830 करोड़ रूपये से घटकर करीब 250 करोड़ रूपये पर आ जाएगी।

रूचि सोया के पास न्यूट्रेला, महाकोश, सनरिच, रूचि गोल्ड और रूचि स्टार जैसे अग्रणी ब्रांड्स हैं और यह कम्पनी भारत में खाना पकाने के तेल (कुकिंग ऑइल) तथा सोया फूड्स की श्रेणी में बड़ा मुकाम रखती है।

कम्पनी ने पिछले कुछ समय में पतंजलि आयुर्वेद के साथ अपने रिश्तों को मजबूत किया है और यह बीटूबी (बिजनेस टू बिजनेस) सेगमेंट से बीटीसी में परिवर्तित होने के करीब आ गई है. कम्पनी पहले मध्यप्रदेश और राजस्थान में पतंजलि के साथ प्रोसेसिंग और पैकेजिंग प्रक्रिया में जुड़ी हुई थी l

इस संबंध को आगे बढ़ाने के लिए, कम्पनी ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के साथ पतंजलि खाद्य तेल के बड़े पैकेट्स की सम्पूर्ण श्रेणी के लिए विशेष बिक्री और वितरण के लिहाज से एमओयू (मैमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग-समझौता ज्ञापन) हस्ताक्षर करने की घोषणा की है l

इस एमओयू के अंतर्गत रूचि सोया अपने स्वयं के विस्तृत वितरण नेटवर्क का उपयोग भारत के सभी क्षेत्रों में पतंजलि खाद्य तेल के बड़े पैकेट्स को बेचने के लिए करेगी।

वित्तीय वर्ष 2020 तक कम्पनी के लिए 25,000 करोड़ रूपये और 4 प्रतिशत सकल मार्जिन होने की अपेक्षा है l  ‘हम कम से कम 6 प्रतिशत मार्जिन सहित 11,000 करोड़ रूपये के ब्रांडेड बिजनेस की उम्मीद कर रहे हैं l यदि हम ब्रांडेड बिजनेस को मात्र .4 गुना बिक्री के तौर पर मानते हैं तो यह 5500 करोड़ रूपये मूल्य की बाज़ार पूंजी (मार्केट कैपिटलाइज़ेशन) होगी. हम 14000 करोड़ रूपये की ‘टॉपलाइन’ और 420 करोड़ रूपये की ‘ईबीआईडीटीए’ (अर्निंग्स बिफोर इंट्रेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन एन्ड अमॉर्टाइज़ेशन) की आशा कर रहे हैं l हम शेष व्यवसाय के लिए 6 गुना ईवी/ ईबीआईडीटीए को मानकर चल रहे हैं और कम्पनी के लिए 2520 करोड़ मूल्य की ईवी (एक्स्पेक्टेड वैल्यू-संभावित मूल्य) तक पहुँच गए हैं. यह ईवी वैल्यू को 8020 करोड़ रूपये (2000 करोड़ के कर्ज के घटने के बाद) तक ले जा सकता है जो कि इक्विटी वैल्यू को कम्पनी के लिए प्रति शेयर 220 रूपये पर पहुंचा सकेगा। यह कम्पनी की सामर्थ्य को अगले 2 सालों में 12 गुना तक बढ़ा सकेगा। वर्तमान ईवी वैल्यू को 6600 करोड़ रूपये मानते हुए हम कम्पनी के लिए हमारी आदर्श स्थिति में 60 रूपये प्रति शेयर के टारगेट प्राइज़ पर आ गए हैं l ‘

फसल के बिगड़ने, निर्यात में कमी और विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के कारण रूचि सोया के उपयोग पर बुरा प्रभाव पड़ा और इन कारणों से उपयोग 10-15 प्रतिशत तक के निचले स्तर तक घट गया l कम्पनी की ओर से बताया गया कि-‘हमें विश्वास है कि कम्पनी के लिए बुरे दिन बीत चुके हैं और आने वाले समय में इस उपयोगिता में 40-75 प्रतिशत की वृद्धि होना सम्भव है l उपयोग में यह बढ़ोत्तरी रिफाइन करने की क्षमता, उत्पाद मिश्रण में परिवर्तन, निर्यात में उठाव तथा ब्रांड बिजनेस द्वारा प्रदर्शन में सुधार आदि से होगी।’

पूर्ण क्षमता से काम करने के परिणामस्वरूप टॉपलाइन में 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से वृद्धि हो सकती है. यह कम्पनी को पैक्ड ऑइल के मार्केट शेयर, जो कि रिफाइंड ऑइल व्यापारियों तथा आयातकों से वापस आता है, उसको बढ़ाने में सहायक होगा तथा इससे हमारी बॉटमलाइन 15-20 प्रतिशत सुधरेगी।

इस बीच कम्पनी ने बताया था  इम्पोर्ट ड्यूटी एवं जीएसटी कम्पनी के लिए मददगार है l  ‘हम विश्वास करते हैं कि जीएसटी और शासन द्वारा इंपोर्ट ड्यूटी में हाल ही में की गई बढ़ोत्तरी कम्पनी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी क्योंकि इससे असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र के निर्माताओं का रुझान बढ़ेगा। खाद्य तेलों की इम्पोर्ट ड्यूटी में हाल ही में की गई बढ़ोत्तरी संगठित खाद्य तेल निर्माताओं के लिए एक बड़ा सकारात्मक परिवर्तन है l रूपये के मूल्य की स्थिरता तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में खाद्य तेलों की कीमतों में कमी के साथ ही पहले की ड्यूटी से होने वाला अंतर जो कि रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात में सहायक था, उसके कारण घरेलू उद्योग पर बहुत दबाव बना हुआ था और रिफाइनिंग सुविधाएँ बंद होने के कगार पर थीं. तथापि, इम्पोर्ट ड्यूटी की बढ़ी हुई दरें, स्थानीय/घरेलू निर्माताओं के लिए बहुत अधिक सहायक होंगी।

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