खिलौनों के साथ शिक्षण से छात्रों में रचनात्मकता और संवेदनशीलता का विकास होता है और उनकी कल्पनाशीलता में बढ़ोतरी होती है- डॉ. सुभाष सरकार

डॉ. सुभाष सरकार ने ‘खेलने, बनाने और सीखने के लिए खिलौने व खेल’ की विषयवस्तु पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के समापन सत्र को संबोधित किया

 

शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने ‘खेलने, बनाने और सीखने के लिए खिलौने व खेल’ की विषयवस्तु पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के समापन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि खिलौनों के साथ शिक्षण से छात्रों में रचनात्मकता और संवेदनशीलता का विकास होता है और उनकी कल्पनाशीलता में बढ़ोतरी होती है। इस वेबिनार को शिक्षा मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) ने आयोजित किया। इसका उद्देश्य आनंदपूर्ण शिक्षण के लिए विद्यालयी शिक्षा में खिलौना आधारित शिक्षाशास्त्र को बढ़ावा देना है।

श्री सरकार ने कहा कि खिलौने बच्चों को स्वामित्व से लेकर इसे साझा करने, सहकारिता से सहानुभूति, खिलौनों की खोज करने से लेकर उसे खुद बनाने सहित उनमें कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और भी काफी कुछ की सीख देते हैं। यह समय की मांग है कि माता-पिता अपने बच्चों को खिलौनों के जरिए पढ़ाएं, क्योंकि ये छात्रों के लिए चीजों को समझने योग्य बनाते हैं।

मंत्री ने इस बात रेखांकित किया कि हमारे पास पारंपरिक खिलौनों की एक समृद्ध विरासत है, जिनका विकास उपमहाद्वीप में कई हजार साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता में किया गया था। उन्होंने आगे बताया कि भारतीय खिलौने न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि हमें वैज्ञानिक सिद्धांत भी सिखाते हैं, जैसे हमें ‘लट्टू’ गुरुत्वाकर्षण व संतुलन और ‘गुलेल’ स्थितिज और गतिज ऊर्जा सिखाता है।

उन्होंने इस बात को व्यक्त किया कि अंतरराष्ट्रीय वेबिनार खिलौनों और खेलों की एक कालातीत परंपरा को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मंत्री ने आगे उम्मीद व्यक्त की कि इस वेबिनार ने विद्यालयी शिक्षा के लिए एक रोडमैप प्रदान किया है, जिसकी परिकल्पना 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गई है। यह भारत की समृद्ध विरासत व ज्ञान प्रणालियों पर आधारित है और हमारे युवाओं को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करती है।

वेबिनार के दूसरे दिन यानी कि आज ‘खेलने, बनाने व सीखने के लिए खिलौने और खेल’ व ‘विभिन्न सामाजिक चिंताओं को दूर करने के लिए खिलौने’ विषयवस्तु पर दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इनमें मुख्य रूप से विशेष जरूरत वाले बच्चों की चिंताओं को संबोधित किया गया और 9 विद्वानों ने अपने पेपर प्रस्तुत किए। इस वेबिनार में अभिनव खिलौने और प्रौद्योगिकी पर एक पैनल चर्चा की गई, जहां विभिन्न देशों के नवप्रवर्तनकर्ता, शिक्षाविद और उद्यमियों ने खिलौने बनाने में नवाचार व उद्यमिता को बढ़ावा देने की जरूरत पर अपने विचार साझा किए। वहीं, कारोबारी ने अपनी ओर से 7 प्रस्तुतियां दीं और खिलौने, खिलौनों की डिजाइन और स्टार्टअप्स पर की गई केस स्टडीज को सामने रखा गया।

सत्र की शुरुआत में एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर श्रीधर श्रीवास्तव ने इस अवसर पर उपस्थित हुए गणमान्य व्यक्तियों और विभिन्न देशों के अलग-अलग स्थानों से शामिल प्रतिभागियों का स्वागत किया। एनसीईआरटी के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के प्रमुख व वेबिनार की आयोजन समिति के सदस्य प्रोफेसर अनुपम आहूजा ने दो दिनों के विचार-विमर्श की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त सचिव (संस्थान) श्रीमती एल एस चांगसाग ने खिलौना आधारित शिक्षाशास्त्र और इसकी आगे की राह के संबंध में शिक्षा मंत्रालय की पहलों को साझा किया। वहीं, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने प्रतिभागियों को संबोधित किया और अपने विचारों से उन्हें अवगत कराया।

अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के 2 दिवसीय विचार-विमर्श के समापन पर एनसीईआरटी के लैंगिक शिक्षा विभाग की प्रमुख और वेबिनार के समन्वयक प्रो. ज्योत्सना तिवारी ने सभी गणमान्य व्यक्ति, प्रतिभागी और आमंत्रित दर्शकों को धन्यवाद दिया।

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