‘माय नेम इज़ लखन’ के लखन, श्रेयस तलपड़े का इंटरव्यू

‘’अगर कोई मेरे पास ‘माय नेम इज़ लखन’ जैसा शो पहले लेकर आता, तो मैं अपना हिन्‍दी टेलीविजन डेब्‍यू पहले ही कर चुका होता’’, यह कहना है सोनी सब के ‘माय नेम इज़ लखन’ के लखन, श्रेयस तलपड़े का

 

 

‘माय नेम इज़ लखन’ शो का कॉन्‍सेप्‍ट क्‍या है? क्‍या आप इस शो की पृष्‍ठभूमि के बारे में बता सकते हैं?

यह लखन की कहानी है, जोकि लोकल गुंडा है और एक बड़े डॉन के लिये काम करता है। वह इस बात से पूरी तरह सहमत है कि यही जीवन जीने का तरीका है। हालांकि, उसके जीवन में अचानक हुई एक घटना से उसकी पूरी जिंदगी बदल जाती है। उसके बाद से वह किस तरह एक अलग तरह के इंसान की तरह अपना सफर शुरू करता है, जिसके बाद उसे उन चीजों से होकर गुजरना पड़ता है और इस पूरे बदलाव के दौरान वह कई लोगों से मिलता है। इसलिये, इस सफर में वह अपने तरीके से किस तरह चीजों से निपटता है वह देखना काफी दिलचस्‍प है और इसी चीज ने मुझे आकर्षित किया था, इस वजह से ही मैंने इस शो को करने के लिये हामी भरी थी।

 

अपने किरदार और इस शो में अपने लुक के बारे में हमें कुछ बतायें।

लखन का मेरा किरदार नायक का है और किसी इंसान को अपनी जिंदगी किस तरह जीनी चाहिये, इसको लेकर उसके पिता और उसके विचारों में मूलभूत अंतर है। उसे लगता है कि आज के समय में जो ताकतवर है वही टिक सकता है। कहने का मतलब है कि इस दुनिया में बने रहने के लिये, आपको ताकतवर होना होगा, उसके लिये आप कोई भी रास्‍ता, तरीका अपना सकते हैं और उस समय आपको जो करना सही लगता है वही करें। हालांकि उसके पिता एक स्‍कूल टीचर हैं जिनके अपने नियम और संस्‍कार हैं। वह चाहते हैं कि उनका बेटा भी उन्‍हें अपनाये। उन दोनों की सोच का यही फर्क मतभेद का कारण है।

 

हम फिल्‍मों और शोज़ में जिस तरह के आम गुंडों को देखते हैं मेरा लुक इस शो में वैसा नहीं है। वह तो आज के जमाने का मुंबइया लड़का नज़र आता है। यूं तो लखन एक गुंडा है लेकिन दिल का बहुत ही अच्‍छा है और उसे फैशन की बहुत समझ है। इसके साथ यह कहा जा सकता है कि उसके कपड़ों के साथ उसके बोलने का अंदाज मेल नहीं खाता। लखन की जो बात मुझे सबसे अच्‍छी लगी, वह है उसका जोश और उसका अंदाज। वह एक ऐसा किरदार है जिसमें कुछ अच्‍छाई है और कुछ बुराई है और यह बात हम सबके साथ है। इसलिये, कहीं ना कहीं आपको ऐसा महसूस होगा कि उस समय जो वह कर रहा है वह सही है, हालांकि उसके पिता उसके किरदार के इस रूप से सहमत नहीं हैं।

 

आपने टेलीविजन पर आने में इतना वक्‍त क्‍यों लगाया?

दरअसल इसे दूसरे तरीके से देखा जाये तो टेलीविजन को इस तरह का शो मेरे पास लाने में देरी हो गयी।

 

‘माय नेम इज़ लखन ही क्‍यों?

क्‍योंकि यह शो जिस तरह से बनाया गया है। यदि कोई मेरे पास ‘माय नेम इज़ लखन’ जैसा शो लेकर पहले आता तो  मैं हिन्‍दी टेलीविजन डेब्‍यू पहले ही कर लेता। इसलिये, अभी मुझे ऐसा लगता है कि यह नजरिये की बात है। जैसे सड़क पर एक कार पॉइंट ए से पॉइंट बी की तरफ जा रही है तो जब आप एक तरफ से कार को देखते हैं तो आप कहेंगे कि कार आ रही है। वहीं जब आप दूसरी तरफ से देखेंगे तो आप कहेंगी कि कार जा रही है। इसी तरह मैं यह कह सकता हूं कि यह टेलीविजन का कमबैक है क्‍योंकि अभी वेब और फिल्‍मों के प्‍लेटफॉर्म से होड़ मची है। यही वजह है कि कई सारे फॉर्मेट आ रहे हैं और उनमें से मुझे यह फॉर्मेट पसंद है, जोकि सीमित सीरीज के साथ है। यह 29 एपिसोड का है और इसका कॉन्‍सेप्‍ट काफी बेहतरीन है और यह काफी अच्‍छी तरह लिखा गया है। इसके अलावा, परदे पर एक उम्‍दा किरदार निभाने का मौका मिल रहा है। मैं एक एक्‍टर हूं, आप मेरे पास इस तरह के किरदार के साथ आयेंगे तो मुझे ज्‍यादा खुशी मिलेगी। यदि किरदार आकर्षक है तो मैंने कभी भाषा और माध्‍यम की चिंता नहीं की है। 

 

आप क्‍या पसंद करेंगे? फिल्‍में या टेलीविजन?

शायद मैं एक्टिंग के साथ जाना चाहूंगा। इसलिये, जो भी मुझे अच्‍छा ऑफर करेगा बाजी उसी की होगी।

 

क्‍या आपने शूटिंग शुरू कर दी है?

अभी तक सीरीज की शूटिंग हमने शुरू नहीं की है। अभी हमने केवल प्रोमो की शूटिंग की है और फोटोशूट किया है। जहां तक उम्‍मीद है हम जनवरी के पहले हफ्ते में शूटिंग शुरू कर देंगे।

 

आपके हिसाब से लखन के जीने का क्‍या तरीका है?

लखन बहुत ही सीधी बात करने वाला इंसान है। जैसा कि मैंने बताया कि उसके अपने नियम हैं और वह उससे पूरी तरह सहमत है। उसके लिये सबसे महत्‍वपूर्ण है कि सबसे ताकतवर ही टिक पायेगा। उसे पता है कि उसे ताकतवर होना है, क्‍योंकि ऐसे लोग हैं जो धोखा दे सकते हैं और अपना काम निकाल सकते हैं।

 

मुझे ऐसा लगता है कि यह वास्‍तविक स्थिति के अनुरूप है क्‍योंकि आपको स्‍कूल से ही मूलभूत नियम और नीतियां सिखायी गयी हैं। हालांकि, जब आप असली दुनिया में प्रवेश करते हैं तो आप पाते हैं कि कुछ लोग उसका ठीक उल्‍टा कर रहे हैं, जिससे कि विरोधाभास पैदा होता है कि क्‍या सही है- जो बातें हमने बचपन में सीखीं या फिर जो ये लोग कर रहे हैं? बदकिस्‍मती से लखन दूसरा रास्‍ता अख्तियार कर लेता है। उसे लगता है कि एक गुंडा होना और लड़ाई करना, जीने का एक तरीका है और इसके बाद ही आप टिक सकते हैं, जोकि सही नहीं है। आखिरकार, कहीं ना कहीं लखन को भी ऐसा महसूस होता है कि कुछ तो गलत है। और इसके बाद से ही उसके अंदर बदलाव शुरू होता है, जिससे कि वह बेखबर है। इसलिये, मुझे ऐसा लगता है कि हम सबको अच्‍छाई पर ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत है और यह भरोसा दिलाने की जरूरत है कि आखिरकार अच्‍छाई की ही जीत होती है।

 

क्‍या आपने सोनी सब देखा है ?

हां, मैं देखता हूं। दरअसल, ‘तारक मेहता का उल्‍टा चश्‍मा’ मेरे पसंदीदा शोज़ में से एक है। सच कहूं तो मैं बहुत शोज़ या चैनल नहीं देखता हूं। लेकिन आप सोनी सब के बारे में पूछेंगे तो थोड़ा बहुत ‘अलादीन’ और ‘तारक मेहता का उल्‍टा चश्‍मा’ के पूरे एपिसोड के बारे में पता है।

क्‍या आपने ‘राम लखन’ देखी है? क्‍या लखन उससे प्रेरित है?

हां, आप कह सकते हैं। जब आप लखन कहते हैं तो आपके दिमाग में तुरंत ही अनिल सर की फिल्‍म ‘राम लखन’ का ख्‍याल आता है। उस फिल्‍म में उनका मूंछों वाला लुक हमारे शो के लुक्‍स में से एक है। मेरे लिये नया लुक लिया गया है और उसे दिखाने के लिये ‘माय नेम इज़ लखन’ से बेहतर कोई और शो नहीं हो सकता।

 

आपने मराठी टेलीविजन के साथ शुरुआत की है। तो हिन्‍दी और मराठी टेलीविजन में से कौन-सा ज्‍यादा बेहतर है?

मैंने थियेटर से अपने करियर की शुरुआत की थी, फिर छोटी-छोटी भूमिकाओं के लिये टीवी की तरफ मुड़ा। फिर मराठी टेलीविजन पर बड़ी भूमिकाओं के लिये रुख किया। आज के समय में टीवी की लोकप्रियता काफी ज्‍यादा है। इसलिये, चाहे मराठी हो या फिर हिन्‍दी, फिल्‍मों और टीवी और अब वेब में ज्‍यादा फर्क नहीं रह गया है। हरेक प्‍लेटफॉर्म में ना केवल पैसे लगाये जा रहे हैं बल्कि इस बात की पूरी कोशिश की जा रही है कि लोगों का ध्‍यान अपनी ओर खींचा जा सके।

 

टेलीविजन और फिल्‍मों के बीच किस तरह तालमेल बिठाते हैं?

मुझे ऐसा लगता है जहां चाह, वहां राह। मैंने आमतौर पर एक चीज देखी है कि लोगों के पास डेट्स होती है कि वह क्‍या करना चाहते हैं और कुछ डेट्स होती है जिन्‍हें वह हाथ में नहीं लेना चाहते हैं, उनके पास कहने के लिये यह होता कि ‘’सॉरी यार डेट्स नहीं हैं’’। इसलिये, यदि आप कुछ करना चा‍हते हैं तो आपको इस बात का ध्‍यान रखना होगा कि आप सबकुछ मैनेज कर सकें और उस काम को कर पायें।

 

हाल ही में आप पिता बने हैं। अब तक का आपका अनुभव कैसा रहा है?

मैं यही कह सकता हूं कि यह वाकई अद्भुत है। कई सारे दोस्‍त और रिश्‍तेदार मुझसे जीवन को बदल कर रख देने वाले इस अनुभव के बारे में कहते रहते थे, लेकिन मुझे लगता था कि मैं उसके लिये तैयार नहीं हूं। लेकिन एक समय ऐसा आया जब मैं वाकई उसके लिये तैयार था। मैं हर पल का आनंद ले रहा हूं, वैसे मैंने कभी नहीं सोचा था कि अपने बच्‍चे को बड़ा होता हुआ देखना इतना कमाल का अनुभव होगा। कुछ छोटी-छोटी चीजें हैं जिसे वह समझने लगी है, लोगों को देखकर प्रतिक्रिया देती है और मेरे लिये हर दिन एक नया अनुभव होता है। दरअसल वह मुझे काफी सारी चीजें सिखाती है, जैसे और भी ज्‍यादा धैर्य रखना, चीजों को समझना और शांत रहना।

 

अब आप टेलीविजन पर अपना डेब्‍यू कर रहे हैं, क्‍या आपको इस प्‍लेटफॉर्म पर लगातार देख पायेंगे?

मैं हमेशा से ही टेलीविजन करना चाहता था। फिल्‍मों में आने से पहले मैंने मराठी डेली सोप किये हैं, लेकिन एक वक्‍त ऐसा आया जब मैंने डेली सोप्‍स ना करने का फैसला किया क्‍योंकि मैं दबाव नहीं ले सकता था, जोकि बहुत ज्‍यादा था। लोगों को लगता था कि फिल्‍मों में जाने की वजह से मैंने टेलीविजन छोड़ दिया, लेकिन बात वह नहीं थी। फिल्‍मों में आने से पहले मैं 3 साल तक घर में बैठा रहा है, जबकि मेरे पास डेली सोप्‍स के ऑफर थे। वह समय ऐसा था जब लोगों ने अचानक से ही डेली सोप्‍स करना शुरू कर दिया था और उसमें तय सीरीज का कोई कॉन्‍सेप्‍ट नहीं था। इसलिये, उस स्थिति में होने के कारण मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैं सही प्रोफेशन में नहीं हूं और यही वजह थी कि मैंने टेलीविजन करना बंद कर दिया था। खुशकिस्‍मती से मुझे फिल्‍में मिलने लगीं। यदि लोग मेरे पास इस तरह की कोई चीज तय सीरीज के साथ लेकर आते तो मुझे करने में खुशी होती, उसका हिस्‍सा बनकर मुझे अच्‍छा लगता।

 

क्‍या आपने लखन की भूमिका के लिये कोई खास तैयारी की है?

अभी तक मैंने सिर्फ अपनी मूंछें बढ़ायी हैं, इसके अलावा कुछ और नहीं। नसीरुद्दीन शाह सर ने एक बार मुझसे बहुत ही अच्‍छी बात कही थी- ‘’एक सिंगर के लिये उसका रियाज़ उस समय शुरू होता है जब वह अपना वाद्ययंत्र बाहर निकालता है लेकिन एक अभिनेता के लिये रियाज़ उसी समय से शुरू हो जाता है जब सुबह वह अपनी आंखें खोलता है और जब तक वह सोने नहीं जाता वह चलता रहता है।‘’ इसलिये, हर एक चीज जिसे आप देखते हैं, आप उसे अपने काम में शामिल करने की कोशिश करते हैं और ऐसा ही कुछ लखन के मामले भी हुआ है। काफी पहले मैंने कुछ टपोरियों के तौर-तरीकों को बड़े ही ध्‍यान से देखा था, जिसे कि मैं यहां शामिल करने वाला हूं।

 

क्‍या आपने लखन डांस किया है?

नहीं अभी तक तो नहीं। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि हम बहुत जल्‍द ऐसा करेंगे क्‍योंकि यह ट्रेडमार्क स्‍टेप है, जिसे मुझे लगता है कि छोड़ना नहीं चाहिये।

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