श्रम और रोजगार मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित किया
“अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक कल्याण योजनाओं के बेहतर प्रसार के लिए श्रमिकों के 400 से अधिक पेशों के साथ लगभग 280 मिलियन श्रमिकों का डेटाबेस बनाया गया”
“कोविड -19 महामारी की अवधि के दौरान 200 मिलियन महिलाओं के बैंक खातों में सीधे नकद हस्तांतरण किया गया”
“स्वनिधि योजना के तहत अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए लगभग 3.2 मिलियन रेहड़ी-पटरी वालों को गारंटी मुक्त ऋण प्रदान किया गया”
“मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह की गई”
“सुरक्षित एवं व्यवस्थित प्रवासन की सुविधा और समग्र लाभ के लिए, भारत श्रम गतिशीलता समझौतों (एलएमए) और सामाजिक सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर करने का समर्थन करता है”
केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के 110वें अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) के पूर्ण सत्र को संबोधित किया।
अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (आईएलसी) में माननीय मंत्री द्वारा दिया गया संबोधन निम्नलिखित है:
“भारत ने हाल के वर्षों में तकनीक और सरलीकृत प्रणालियों का इस उद्देश्य के साथ समावेश किया है कि प्रत्येक श्रमिक को सम्मान और सामाजिक सुरक्षा के साथ रोजगार का विकल्प मिले। हमारी सरकार कार्यस्थल पर अधिकारों की निरंतर सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से एक पोर्टेबल पहचान के रूप में कार्य करने के लिए औपचारिक या अनौपचारिक क्षेत्र के प्रत्येक श्रमिक को एक अनूठा सार्वभौमिक खाता संख्या प्रदान कर रही है।
साक्ष्य आधारित नीति निर्माण और देश के अंतिम छोर पर रहने वाले श्रमिकों को सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने देश में ऐसे श्रमिकों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजगार की मांग, प्रवासी एवं घरेलू कामगारों के बारे में कई सर्वेक्षण शुरू किए हैं।
भारत में औपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को दो प्रमुख त्रिपक्षीय संगठनों, जिन्हें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और कर्मचारी राज्य बीमा निगम के नाम से जाना जाता है, द्वारा सेवाएं प्रदान की जाती हैं। ये दोनों संगठन चिकित्सा उपचार, पेंशन, मातृत्व लाभ, बेरोजगारी आदि सहित सभी प्रकार के सामाजिक सुरक्षा संबंधी लाभ प्रदान करते हैं।
भारत के पास गरिमापूर्ण काम प्रदान करने के लिए एक व्यापक संस्थागत ढांचा है। भारतीय संसद ने हाल ही में 29 केन्द्रीय श्रम कानूनों को शामिल करते हुए चार श्रम संहिताएं पारित की हैं। इन संहिताओं के माध्यम से श्रम कानूनों का आधुनिकीकरण एवं सरलीकरण किया गया है और इसमें काम के भविष्य एवं अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों से जुड़े मुद्दों को ध्यान में रखा गया है। उभरती हुई प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए, पहली बार समर्पित सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना के माध्यम से गिग एवं प्लेटफॉर्म श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए ऐसी योजनाओं के वित्त पोषण की पर्याप्त व्यवस्था केन्द्र सरकार, प्रांतीय सरकारों, एग्रीगेटरों से अंशदान और वसूले गए जुर्माने के माध्यम से की गई है।
अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की चिंताओं को दूर करने के लिए, राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करने के इरादे से ऐसे श्रमिकों को पंजीकृत करने के लिए अगस्त 2021 में एक डिजिटल पोर्टल शुरू किया गया। श्रमिकों के 400 से अधिक पेशों के साथ लगभग 280 मिलियन श्रमिकों का डेटाबेस पहले ही बनाया जा चुका है। इस डेटाबेस से अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक कल्याण योजनाओं का बेहतर प्रसार होगा।
भारत ने कोविड -19 के दौरान न सिर्फ अपनी पूरी आबादी को मुफ्त टीकाकरण प्रदान किया, बल्कि मुफ्त भोजन एवं खाद्यान्न, स्वास्थ्य सेवाओं और सुनिश्चित रोजगार की आपूर्ति भी की। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम के तहत अकेले अप्रैल, 2020 से लेकर मार्च, 2021 के दौरान लगभग 72 मिलियन परिवारों ने काम हासिल किया।
इस अवधि के दौरान, नियोक्ताओं को नई नौकरियां पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने और महामारी की अवधि के दौरान अपनी नौकरी खोने वालों को फिर से रोजगार देने के उद्देश्य से कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं दोनों के बजट शेयरों से वेतन के 12 प्रतिशत की दर से भुगतान करने की एक नई योजना शुरू की गई। इसी अवधि में, कोविड -19 महामारी के काल के दौरान 200 मिलियन महिलाओं के बैंक खातों में सीधे नकद हस्तांतरण किया गया।
लगभग 3.2 मिलियन रेहड़ी-पटरी वालों को स्वानिधि योजना के तहत अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए गारंटी मुक्त ऋण प्रदान किया गया।
भारत ने महिला श्रम शक्ति की भागीदारी दर को बेहतर करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह की गई। मौजूदा अधिनियम में संशोधन कर 50 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में ‘वर्क फ्रॉम होम’ और क्रेच की सुविधा का प्रावधान किया गया है।
सुरक्षित एवं व्यवस्थित प्रवासन की सुविधा और समग्र लाभ के लिए, भारत श्रम गतिशीलता समझौतों (एलएमए) और सामाजिक सुरक्षा समझौतों (एसएसए) पर हस्ताक्षर करने का समर्थन करता है। मुझे खुशी है कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) भारत के इस कदम के समर्थन में है और इस दिशा में सकारात्मक कदम भी उठाए गए हैं।”
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