न्यूज़ डेस्क : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय बजट पेश किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में पौने दो लाख करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा है, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में करीब 35 हजार करोड़ रुपये कम है। गौरतलब है कि पिछले बजट में सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा था।
वित्त मंत्री ने किए ये एलान
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में बताया कि सरकार के पास विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का प्लान तैयार है। अब तक कुछ सरकारी कंपनियों में विनिवेश को लेकर फैसले लिए जा चुके हैं, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 में पूरे होंगे।
वित्त मंत्री ने किया इन कंपनियों का जिक्र
निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष में बीपीसीएल, एअर इंडिया, कॉनकोर, आईडीबीआई और एससीआई में विनिवेश पर मुहर लग सकती है। इसके अलावा एलआईसी का आईपीओ भी अगले वित्तीय वर्ष में लाने का प्लान बताया। इसके अलावा शेयर बाजार में तेजी को देखते हुए केंद्र सरकार कुछ सीपीएसई में भी अपनी हिस्सेदारी ऑफर फॉर सेल के माध्यम से बेच सकती है। वहीं, अन्य प्राइवेटाइजेशन डील्स भी नए वित्तीय वर्ष में पूरी होने का अनुमान है।
60 हजार करोड़ दिलाएगी बीपीसीएल
जानकारी के मुताबिक, बीपीसीएल में सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी (52.98 फीसदी) यानी 114.91 करोड़ शेयर बेचने की तैयारी कर चुकी है। बीपीसीएल देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी है, जिसकी बैलेंस शीट बेहद मजबूत है। कंपनी हमेशा सरकार को मुनाफा कमाकर देती रही है। दरअसल, बीपीसीएल के देशभर में करीब 17 हजार 138 पेट्रोल पंप हैं। सरकार एलान कर चुकी है कि बीपीसीएल के रणनीतिक खरीदार को कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण भी ट्रांसफर किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि कंपनी का मालिकाना हक भी खरीदार के पास चला जाएगा। बता दें कि बीपीसीएल बेचने से सरकार को करीब 60 हजार करोड़ रुपये मिल सकते हैं।
एयर इंडिया से छुटकारा चाहती है सरकार
गौरतलब है कि सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया कर्ज में डूबी हुई है। ऐसे में सरकार इससे छुटकारा पाना चाहती है। बता दें कि सरकार ने साल 2020 में एयर इंडिया को बेचने के लिए कई बार बोलियां लगाईं, लेकिन खरीदार नहीं मिला। उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में सरकार इसे बेचने में सफल रहेगी। गौरतलब है कि इस वक्त एयर इंडिया पर 60 हजार 74 करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन अधिग्रहण के बाद खरीदार को 23 हजार 286.5 करोड़ रुपये ही चुकाने होंगे।
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