न्यूज़ डेस्क : मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल के बहाने प्रधानमंत्री ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों का लक्ष्य साधा है। मिशन बंगाल को वरीयता देते हुए जॉन बराला, निशीथ प्रमाणिक समेत चार चेहरों को जगह दी है। बाबुल सुप्रियो, देवश्री चौधरी को बाहर का रास्ता दिखाया है। यह वहीं जॉन बराला है कि जो पश्चिम बंगाल से नार्थ बंगाल को अलग करने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात पर खास ध्यान दिया है। पुराने साथी पुरुषोत्तम रुपाला को प्रमोट करके कैबिनेट का दर्जा देकर गुजरात की अहमियत को बनाए रखा है।
प्रधानमंत्री ने गुजरात संभालने का संदेश देने के साथ सबसे बड़ा संदेश महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश को दिया है। नारायण राणे और ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री का दर्जा और ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्रिमंडल में जगह दी है। उत्तर प्रदेश, बिहार में राजनीतिक समीकरण को साधने के लिए पशपति कुमार पारस, राम चंद्र प्रसाद सिंह और जद(यू) के तीन सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह दी है। उत्तर प्रदेश में भी अपना दल को महत्व देकर अनुप्रिया पटेल को मंत्रिमंडल में स्थान दिया है। अनुप्रिया पटेल प्रधानमंत्री के पहले मंत्रिमंडल में भी केंद्र सरकार में मंत्री थी। सात मंत्रियों को प्रमोशन और 36 मंत्रियों को 27 राज्यों से लेकर प्रधानमंत्री सबकुछ साध लेने की तैयारी में हैं।
कोरोना से जनता की नाराजगी को भी साधा
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री को प्रधानमंत्री ने अपने दूसरे कार्यकाल में काफी वरीयता दी थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के शिथिल पड़ते ही डा. हर्ष वर्धन, उनके डिप्टी अश्विनी चौबे की विदाई हो गई है। 12वीं की परीक्षा रद्द करने वाले, नई शिक्षा नीति में खास पहल न कर पाने तथा शिक्षा सुधार के नए प्रयोगों के मामले में निष्क्रिय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को भी मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया। तीसरा बड़ा चौंकाने वाला निर्णय संतोष कुमार गंगवार का रहा। प्रधानमंत्री को आईटी मंत्री के रूप में रवि शंकर प्रसाद ने भी बहुत प्रभावित नहीं किया। ट्विटर विवाद भी इसमें एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
इसी तरह से सूचना प्रसारण मंत्री के तौर पर प्रकाश जावड़ेकर को भी मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया गया। हालांकि समझा जा रहा है कि जावड़ेकर और प्रसाद का उपयोग भाजपा के संगठन में होगा। इसके समानांतर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिलाकर प्रधानमंत्री ने उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाने की सिफारिश की। गहलोत की तैनाती मंत्रिमंडल के साथियों के लिए भी एक संदेश की तरह है, क्योंकि प्रधानमंत्री 73 साल के गहलोत के कामकाज से संतुष्ट थे।
वफादार और नतीजे देने वाले मंत्रियों का बढ़ा मान
प्रधानमंत्री ने वफादार, परिश्रमी और परिणाम देने वाले नेताओं का खास ख्याल रखा। इसमें संगठन में बेहतर परिणाम देने वाले उपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रियों में ऊर्जा मंत्री राज कुमार सिंह, शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी, वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, जी किशन रेड्डी, पुरुषोत्तम रुपाला, मनसुख मंडाविया शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने सभी को उनके अच्छे कामकाज का पुरस्कार दिया है। किरेन रिजिजू और असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनेवाल 2014 से ही प्रधानमंत्री को प्रिय रहे हैं। सभी को कैबिनेट का दर्जा मिला, कद बढ़ा है। सांसदों में मीनाक्षी लेखी को उनकी लगातार सक्रियता का ईनाम मिला है। आंत्रप्रेन्योर राजीव चंद्रशेखर भी इसी कड़ी में शामिल हैं। जबकि इसी के समानांतर प्रधानमंत्री ने हाल में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से हटाए गए तीरथ सिंह रावत पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसे प्रधानमंत्री द्वारा दिए जा रहे बड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
बड़े चेहरे एक साथ हुए बाहर
सूचना एवं प्रसारण, वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, आईटी और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्ष वर्धन, रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सदानंद गौड़ा, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार, बाबुल सुप्रियो को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया।
कौन-कौन बने कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्यमंत्री
नए चेहरों में जद(यू) के आरसीपी सिंह, लोजपा के पशुपतिराम पारस, भाजपा के भूपेंद्र यादव ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्बानंद सोनोवाल, नारायण राणे, वीरेन्द्र कुमार, अश्विनी वैष्णव (पूर्व आईएएस) को कैबिनेट का दर्जा मिला है। वहीं केन्द्र सरकार में प्रोन्नति देकर कैबिनेट में दर्जा पाने वालों में हरदीप पुरी (पूर्व आईएफएस), राजकुमार सिंह (पूर्व आईएएस), मनसुख मंडाविया, किरेन रिजिजू, अनुराग ठाकुर, जी किशन रेड्डी, पुरुषोत्तम रुपाला शामिल हैं। इस तरह से प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में 15 नए मंत्रियों को कैबिनेट का दर्जा दिया।
प्रधानमंत्री की बढ़ेगी राजनाथ, नितिन गडकरी, अमित शाह पर निर्भरता
मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार से प्रधानमंत्री की रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, परिवहन मंत्री नितिन गड़करी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर निर्भरता बढ़ा सकती है। वैसे भी राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी फिलहाल देश के प्रधानमंत्री जैसे पद की रेस बाहर हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री युवा मंत्रिमंडल के साथ वरिष्ठ नेताओं के बीच में तालमेल बढ़ाने की योजना लेकर चल रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में राजनाथ सिंह की भूमिका बढ़ सकती है।
…लेकिन क्या मिशन में सफल हो पाएंगे प्रधानमंत्री मोदी?
प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में मंत्री रह चुके सूत्र का कहना है कि मंत्रिमंडल में बदलाव प्रधानमंत्री का अधिकार है। हालांकि सूत्र का कहना है कि इसका असर बस तीन महीने तक रहता है। अगले तीन महीने में कहीं कोई चुनाव नहीं है। इसलिए इस पूरी कवायद को राजनीति और चुनाव की तैयारी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि किसी भी बड़े बदलाव के लिए कामकाज के तरीके में बदलाव लाना जरूरी है। लोगों को अधिकार देना भी आवश्यक है। वह अपने अनुभव को बताते हुए कहते हैं कि उन्होंने अपने मंत्रालय में कई बदलाव का प्रयास करना चाहा, लेकिन कुछ विसंगतियों के कारण सफल नहीं हो सके। सूत्र का कहना है कि वह रिकार्ड पर नहीं आना चाहते, लेकिन इसके कारण प्रधानमंत्री को भी पता हैं। जब तक इन कारणों की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता, प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का जमीन पर चेहरा नहीं बदल सकता। वह कहते हैं कि किसी को भी मंत्री पद मिल जाना ही अच्छा नहीं होता।
Comments are closed.