जानिये, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बैठक की खास बातें

न्यूज़ डेस्क : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक समाप्त हो चुकी है। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। यह बैठक दो सत्रों में हुई। बैठक का पहला सत्र 93 मिनट तक चला। इसके बाद 45 मिनट के बाद 65 मिनट का दूसरा सत्र चला। अब दोनों नेता अलग-अलग प्रेसवार्ता करेंगे। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक जिनेवा के लेकसाइड विला में हुई। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे दौर में हैं।

 

 

 

 

बैठक के बाद पुतिन ने एक प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ यूक्रेन को लेकर चर्चा की। यूक्रेन के नाटो में शामिल होने को लेकर पुतिन ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस पर चर्चा करने लायक कुछ है। पुतिन ने कहा कि अमेरिका और रूस के राजदूत अपनी-अपनी राजनयिक पोस्ट पर लौट जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह सवाल कि ऐसा कब होगा, यह पूरी तरह से तकनीकी है।  पुतिन ने कहा कि अमेरिका और रूस साइबर सुरक्षा को लेकर विचार-विमर्श शुरू करेंगे।

 

 

 

उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों को वहां कुछ दायित्वों को मानना होगा।’ रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि जो बाइडन ने मुझे व्हाइट हाउस में नहीं बुलाया क्योंकि इस तरह की बैठक के लिए स्थितियों का सही होना बहुत जरूरी है। पुतिन ने बाइडन के साथ हुई बैठक को रचनात्मक, मौलिक और उत्पादक करार दिया। उन्होंने एक बार फिर कहा कि मुझे एक दशक पहले की वह मुलाकात याद नहीं है जब कथित तौर पर तत्कालीन अमेरिकी उप राष्ट्रपति बाइडन का कहना है कि उन्होंने पुतिन की आंखों में देखा था और उन्हें कोई आत्मा नहीं दिखी थी।

 

 

 

बैठक से पहले दोनों ही नेताओं ने कैमरे के सामने हाथ मिलाए। इस दौरान स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति गाई पारमेलिन भी मौजूद थे। बहरहाल, अब दोनों ही राष्ट्राध्यक्ष अपने ‘मतभेदों’ को मिटाने के लिए बैठक में चर्चा कर रहे हैं। पारमेलिन ने दोनों नेताओं का अपने देश में स्वागत किया था और इसके बाद वे महल में गए। बताया जा रहा है कि यह वार्ता चार से पांच घंटे तक चल सकती है। बता दें कि संवाददाताओं के सामने फोटो खिंचाते समय दोनों एक-दूसरे से नजरें चुराते रहे। 

 

 

 

इससे पहले पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वार्ता ‘सकारात्मक’ होगी। वहीं बाइडन ने उनसे कहा कि आमने-सामने मुलाकात हमेशा अच्छी होती है। जब एक संवाददाता ने पूछा कि क्या पुतिन पर विश्वास किया जा सकता है तो उन्होंने हां में सिर हिलाया।

 

 

 

 

नों नेताओं के साथ बैठक के दौरान शीर्ष राजनयिक और अनुवादक भी रहे। बुधवार को कई घंटे तक चलने वाली दो दौर की बैठक में अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। बाइडन ने एक दशक में पहली बार रूस के राष्ट्रपति से मुलाकात की। पिछली बार वह मार्च 2011 में पुतिन से तब मिले थे जब रूस के प्रधानमंत्री थे और बाइडन उपराष्ट्रपति। तब उन्होंने पुतिन को ‘हत्यारा’ और ‘विरोधी’ करार दिया था। उनके बीच व्यापार एवं हथियार नियंत्रण जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।

 

 

 

बाइडन ने कहा था कि उन्हें पुतिन के साथ ‘सहयोग’ वाले क्षेत्रों को तलाशने की उम्मीद है लेकिन वह साइबर अपराध, अमेरिकी चुनावों में रूस का हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर उनसे जिरह करेंगे। शिखर सम्मेलन में सामरिक स्थिरता, साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, कोरोना वायरस महामारी और आर्कटिक जैसे विषय होंगे। पुतिन और बाइडन यूक्रेन, सीरिया और लीबिया जैसे क्षेत्रीय संकटों पर भी चर्चा कर सकते हैं। साथ ही वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम और अफगानिस्तान पर भी विचार-विमर्श करेंगे।

 

 

 

बातचीत शुरू करने की जरूरत : यूशाकोव

पुतिन के विदेश मामलों के सलाहकार यूरी यूशाकोव ने कहा कि मॉस्को एवं वॉशिंगटन में तनाव के बीच यह बैठक महत्वपूर्ण है लेकिन उम्मीदें ज्यादा नहीं हैं। यूशाकोव ने इस हफ्ते संवाददाताओं से कहा था कि द्विपक्षीय संबंध जब बहुत बुरे दौर में हैं तब इस तरह की पहली बैठक हो रही है। दोनों पक्ष महसूस करते हैं कि लंबित मुद्दों पर बातचीत शुरू करने की जरूरत है।

 

 

 

यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब दोनों देशों के नेताओं का मानना है कि अमेरिका और रूस के संबंध पहले कभी इतने खराब नहीं रहे। पिछले चार महीनों से दोनों नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी की है। बाइडन ने अमेरिकी हितों पर रूस समर्थित हैकरों के साइबर हमलों को लेकर पुतिन की कई बार आलोचना की है, जबकि पुतिन का कहना है कि उनके देश ने न तो अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप किया और न ही किसी प्रकार के साइबर हमले किए।

 

 

रूस-अमेरिका संबंधों में स्थिति काफी कठिन

दोनों पक्षों को इस बैठक से कोई खास उम्मीद नहीं है। बाइडन का कहना है कि यदि दोनों देश अपने संबंधों में अंतत: स्थिरता ला पाते हैं, तो यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम होगी। बाइडन ने कहा है कि अमेरिका और रूस अगर अपने संबंधों में ‘स्थिरता और गंभीरता’ लाते हैं तो यह महत्वपूर्ण कदम होगा। अमेरिका को अपना कट्टर विरोधी मानने वाले व्यक्ति के साथ वार्ता से पहले राष्ट्रपति की तरफ से यह उदार वक्तव्य है।

 

 

 

बाइडन ने इस हफ्ते की शुरुआत में संवाददाताओं से कहा था कि हमें निर्णय करना चाहिए कि क्या सहयोग करना हमारे हित में, दुनिया के हित में है और देखना चाहिए कि हम ऐसा कर सकते हैं अथवा नहीं। और जिन क्षेत्रों में सहमति नहीं बनती है वहां स्पष्ट कीजिए कि गतिरोध क्या है। पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने बुधवार को एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि गतिरोध टूटने की उम्मीद नहीं है और रूस-अमेरिका संबंधों में स्थिति काफी कठिन है।

 

 

शिखर सम्मेलन से पहले पेसकोव ने कहा था कि बहरहाल, तथ्य यह है कि दोनों राष्ट्रपति बैठक करने पर सहमत हुए हैं और समस्याओं के बारे में खुलकर बातचीत की शुरुआत की है जो अपने आप में एक उपलब्धि है। प्रत्येक पक्ष के साथ एक-एक अनुवादक होगा। इसके बाद दोनों पक्षों के पांच-पांच वरिष्ठ सहयोगी बैठक में शामिल होंगे।

 

 

 

पुतिन पर भरोसा नहीं करते बाइडन: व्हाइट हाउस

उधर, व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन यह संकेत नहीं दे रहे थे कि वह पुतिन पर भरोसा करते हैं जब उन्होंने एक रिपोर्टर के सवाल में सिर हिलाकर जवाब दिया था। यह प्रतिक्रिया व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति किसी सवाल का जवाब नहीं दे रहे थे क्योंकि वहां बहुत से लोग शोर कर रहे थे और किसी को साफ तौर पर सुनना संभव नहीं था।

 

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार बाइडन और पुतिन की बैठक से पहले फोटो-ऑप के दौरान एक रिपोर्टर ने बाइडन से सवाल पूछा था कि क्या वह अपने रूसी समकक्ष पर भरोसा करते हैं। रिपोर्टर का कहना है कि बाइडन ने मेरी आंखों में देखा और सकारात्मक रूप से अपना सिर हिलाया। व्हाइट हाउस की कम्युनिकेशन डायरेक्टर केट बेडिंगफील्ड ने एक ट्वीट में कहा कि राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से किसी सवाल का जवाब नहीं दे रहे थे। 

 

 

 

संयुक्त प्रेसवार्ता नहीं करेंगे बाइडन और पुतिन

बाइडन और पुतिन की बहुचर्चित बैठक के बाद दोनों नेता पारंपरिक बैठकों की तरह संयुक्त प्रेसवार्ता नहीं करेंगे। आम तौर पर जब दो देशों के नेता मिलते हैं तो बैठक के बाद संयुक्त प्रेसवार्ता करते हैं, जिसमें वो बैठक के दौरान हुई चर्चाओं के बारे में जानकारी देते हैं और मीडिया के सवालों के उत्तर देते हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच के संबंधों को देखते हुए यह बहुत आश्चर्यजनक नहीं है।

 

 

 

कहा जा रहा है कि संयुक्त प्रेसवार्ता न करने पर व्हाइट हाउस के अधिकारियों की ओर से जोर दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक सम्मेलन को लेकर बातचीत के दौरान रूस ने संयुक्त प्रेसवार्ता के लिए जोर दिया था। लेकिन, अमेरिका ने इसका विरोध किया था क्योंकि वे उस स्थिति से बचना चाहते हैं जो 2018 के एक सम्मेन में हेलसिंकी में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बनी थी।

 

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