न्यूज़ डेस्क : कामना पाठक इन दिनों एण्ड टीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में दबंग दुल्हन राजेश का किरदार निभा रही हैं। उनका यह किरदार दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय है। वो कई भाषाएं जानती हैं और फिलहाल बुंदेलखंडी बोली में अपने डायलाॅग्स बड़ी ही सहजता से बोलती है। उन्होंने हिन्दी की अलग-अलग बोलियों में कई गाने भी गाए हैं। गौरतलब है कि वर्ष 1950 से हर साल 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन का अपना एक खास महत्व है, क्योंकि हम सभी इस दिन भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के तौर पर हिंदी को अपनाए जाने का उत्सव मनाते हैं।
कामना पाठक ने देश भर में बोली जाने वाली हिंदी की उन बोलियों के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताए जो आज भी बोली जाती हैं। कवि लोग ज्यादातर पश्चिमी हिंदी का उपयोग करते हैं लेकिन पूर्वी हिंदी का इस्तेमाल विद्वानों द्वारा किया जाता है। पश्चिमी हिंदी की बोलियों में ब्रज भाषा, हरियाणवी, बुंदेलखंडी और कन्नौजी शामिल है जबकि पूर्वी हिंदी की बोलियों में अवधी, बाघेली, छत्तीसगढ़ी और कनपुरिया भाषाएं आती हैं। आईये इन बोलियों के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
पश्चिमी हिंदी की बोलियों में शामिल हैं: ब्रज भाषा जिसे ब्रज भासा, ब्रज भाखा या बृज भासा के रूप में भी जाना जाता है। यह भाषा शौरासेनी प्राकृत से आई है। यह मुख्य रूप से भारत में 575,000 लोगों द्वारा बोली जाती है। मथुरा, आगरा, एटा और अलीगढ़ जैसे शहरों में ब्रज भाषा का सबसे शुद्ध रूप बोला जाता है। हरयाणवी को खड़ी बोली या जाटू का एक अंग कहा जाता है। यह उत्तर भारत के राज्य हरियाणा और दिल्ली में भी सबसे अधिक बोली जाती है। यह आमतौर पर गांव के लोगों की भाषा है। इस भाषा का इस्तेमाल खासतौर से जाटों द्वारा किया जाता है। यह प्रमुख प्रादेशिक भाषाओं में से एक है, जिसकी उत्पत्ति भारतीय भूमि पर हुई है। इस भाषा का अपना एक अलग ही स्पैग है। इसका इस्तेमाल कई फिल्मों एवं शोज में भी किया जा चुका है। ‘तनु वेड्स मनु‘ फिल्म में भी इस भाषा में डायलाॅग्स थे।
बुंदेलखंडी मध्य भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र में बोली जाने वाली भारतीय-आर्य (इंडो-आर्यन) भाषा है। यह इंडो-आर्यन भाषाओं से ताल्लुक रखती है और पश्चिमी हिंदी उपसमूह का हिस्सा है। इस भाषा को न सिर्फ समझना सबसे आसान है बल्कि यह राजस्थान में मार्शल जनजाति द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली भाषाओं में से एक है। एण्ड टीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश और एण्ड टीवी के ‘गुड़िया हमारी सभी पे भारी‘ के किरदार बुंदेलखंडी भाषा के कुछ सबसे बेहतरीन जुमले बोलते हुए नजर आते हैं। कन्नौजी उत्तर प्रदेश के कन्नौज में बोली जाने वाली इंडो-आर्यन भाषा है। कन्नौजी हिंदुस्तानी से करीब से जुड़ी हुई है। कुछ इसे हिंदुस्तानी बोली मानते हैं तो कुछ इसे एक अलग पश्चिमी हिंदी भाषा मानते हैं। भारत के भाषाई सर्वे में, इसे ब्रज एवं अवधी के ही एक रूप के तौर पर शामिल किया गया है।
पूर्वी हिंदी की बोलियों में शामिल हैं: अवधी उत्तर भारत में, खासतौर से आज के उत्तर प्रदेश के अवधी क्षेत्र में मुख्य रूप से और यहां तक कि नेपाल में भी बोली जाती है। अवध नाम अयोध्या से जुड़ा है। यह एक प्राचीन शहर है जिसे राम जन्मभूमि के तौर पर जाना जाता है। हनुमान चालीसा अवधी भाषा में है। बघेली या बघेलखंडी को मध्य भारत के बघेलखंड में बोला जाता है। भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में 18 मिलियन लोग छत्तीसगढ़ी में बोलते हैं। यह अवधी, बघेली और उड़िया से काफी हद तक जुड़ी हुई है। इसे पहाड़ी लोगों के बीच खालताली नाम से भी जाना जाता है और ओडिशा के पड़ोसी क्षेत्रों में यह लोरिया नाम से विख्यात है। कनपुरिया अवधी और कन्नौजी बोलियों के साथ स्टैंडर्ड हिंदी भाषा का आकर्षक मिश्रण है। एण्ड टीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के हमारे दरोगा हप्पू सिंह (योगेश त्रिपाठी) ठेठ कनपुरिया अंदाज में कहावत (वन लाइनर) कहते हैं जैसेकि न्यौछावर कर दो, अरे दादा, गुरदे छील देंगे, कंटाप, निम्बुर भौकाल, चिरांद और यह दर्शकों के साथ-साथ मुझे भी बहुत पसंद हैं।
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