स्टार्टअप के लिए बच्चों को स्कूल से ही किया जायेगा तैयार

न्यूज़ डेस्क : उद्यमिता को नए आयाम देने के लिए राज्य सरकार नई स्टार्टअप नीति लाएगी। अभी तक यूपी के स्टार्टअप को आईटी नीति के तहत ही छूट दी जाती है। नई नीति के तहत स्कूल से ही बच्चों को स्टार्टअप के लिए तैयार किया जाएगा और  विश्वविद्यालयों में उद्यमिता सेल बनाए जाएंगे। 

 

राज्य सरकार आईटी व स्टार्ट अप नीति 2017 में लाई थी लेकिन अब स्वतंत्र तौर पर स्टार्ट अप नीति लाने की तैयारी है। इस नीति के तहत हर क्षेत्र के स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जाएगा। यह नीति इस महीने के अंत तक कैबिनेट में भेजी जाएगी। इसमें उद्यम लगाने वाले को कई तरह की छूट  दी जाएंगी। 

 

ओडीओपी से जोड़ी जाएगी नई नीति: अभी तक जो नीति है उसे लोग आईटी व इलेक्ट्रॉनिक के ईद-गिर्द मानते हैं। लिहाजा अब स्टार्ट अप को आईटी व इलेक्ट्रॉनिक नीति से अलग किया जा रहा है और इसे वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ओडीओपी)से भी जोड़ा जाएगा। मसलन, जहां टेराकोटा का काम होता है वहां लोग इस विधा को नई तरह से इस्तेमाल करें और इसमें स्टार्टअप की शुरुआत करें ताकि आसपास के लोगों को भी इससे रोजगार मिल सके।  इसके लिए मेंटर (मार्गदर्शक) से लेकर अन्य प्रोत्साहन दिये जाएंगे। इसमें मेडिकल, खेती-किसानी, घरेलू उत्पाद से संबंधित स्टार्टअप हो सकते हैं। कालीन, साड़ी जैसे परम्परागत व्यवसाय से संबंधित भी। इस नीति में एमएसएमई के साथ 18 क्षेत्रों में इंक्यूबेशन सेंटर भी बनाये जाएंगे ताकि ओडीओपी की अवधारणा को उद्यमिता में बदला जा सके।

 

आर्थिक मदद मिलेगी, पाठ्यक्रम शुरू होगा : नई नीति के तहत यूपी में स्थापित 16 विश्वविद्यालयों में  छोटा इंक्यूबेशन सेंटर कम उद्यमिता सेल खोला जाएगा और इसके लिए सरकार आर्थिक मदद भी देगी। वहीं छोटी व लंबी अवधि के पाठ्यक्रम भी चलाए जाएंगे ताकि स्नातक करते-करते युवाओं को स्टार्टअप का पूरा ज्ञान हो जाए। वहीं कुछेक स्कूलों में हर वर्ष राज्य सरकार ई-सेल बनाएगी और इसे अटल इन्नोवेशन सेंटर से लिंक किया जाएगा ताकि स्कूली पढ़ाई के दौरान ही बच्चों को स्टार्टअप का ज्ञान मिल सके।  आईटी व इलेक्ट्रॉनिक विभाग के डीजीएम प्रवीण कुमार के मुताबिक आईटी व इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में निवेश के बाद अब  स्टार्टअप पर फोकस कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य हैं कि नए-नए आइडिया के साथ युवा आएं और अपना स्टार्टअप चलाएं।

 

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