लंदन । लंदन के ट्रैफलगार चौक पर इस महीने के शुरुआत में खालिस्तान के समर्थन पर आयोजित रैली के मुद्दे से ब्रिटेन सरकार ने खुद को अलग कर लिया है। सिख्स फॉर जस्टिस नाम के अलगाववादी संगठन ने बीते 12 अगस्त को तथाकथित लंदन घोषणा जनमत संग्रह 2020 रैली का आयोजन किया जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। इस पर भारत ने ब्रिटेन से कहा था कि
“उसे हिंसा अलगाववाद और घृणा फैलाने वाले समूहों को इस तरह के कार्यक्रम के अनुमति देने से पहले सभी द्विपक्षीय संबंधों का ध्यान रखना चाहिए था।” लेकिन सरकार के सूत्रों ने कहा हमारे द्वारा रैली को दी गई अनुमति को किसी के समर्थन या किसी के खिलाफ हमारे विचार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यहां टिप्पणी सिखों के आत्मनिर्णय के अभियान पर सिक्स फॉर जस्टिस ब्रिटेन के विदेश एवं राष्ट्रीय मंडल कार्यालय एफसीओ के बीच हुए पत्राचार की खबरों के बाद आई।
ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधियों और सिख्स फॉर जस्टिस के बीच किसी संक्षिप्त बैठक की संभावनाओं को नकारते हुए एफसीओ ने कहा कि वह सभी संबंधित पक्षों के मतभेदों का समाधान वार्ता के जरिए करने को प्रोत्साहित करता है। भारत के लिए अनाम बैंक अधिकारी की ओर से एफसीओ कार्यालय में 17 अगस्त को लिखे गए पत्र में कहा कि सभा करने और अपने विचार व्यक्त करने के लिए लोगों को स्वतंत्र होने की अपनी दीर्घकालीन परंपरा पर ब्रिटेन को गर्व है।
प्रतिनिधि कहा गया कि “1984 की घटनाएं अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में हुए घटनाओं के संबंध में ब्रिटिश सरकार सिख समुदाय की भावनाओं की शक्ति को मानती है।” सभी देशों को यह सुनिश्चित करने पर प्रोत्साहित करते हैं कि उनके घरेलू कानून में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों को पूरा करे। एफसीओ के इस जवाब को सिख्स फॉर जस्टिस द्वारा अत्यंत प्रोत्साहक बताया गया।
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