न्यूज़ डेस्क : केरल में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वहां की मुख्य राजनीतिक और सत्तारूढ़ पार्टी सीपीआईएम ने एक बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने टू टर्म नॉर्म के तहत उन नेताओं के टिकट काट दिए हैं जो लगातार दो बार से विधायक का चुनाव जीत रहे थे। पार्टी के इस नए नियम का असर बुधवार को पार्टी की तरफ से जारी उम्मीदवारों की सूची में भी देखने को मिला।
लेफ्ट पार्टी पहली बार टू टर्म नॉर्म लेकर आई है। वह देश की पहली ऐसी पार्टी है जिसने चुनाव से ठीक पहले इतना बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत पार्टी ने यहां 83 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की जिसमें 33 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया गया। यह वह विधायक हैं जो लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इसमें सरकार के पांच मंत्री और स्पीकर का भी नाम शामिल है। टिकट नहीं मिलने वाले मंत्रियों में वित्त मंत्री टीएम थॉमस इसाक, पीडब्ल्यूडी मंत्री जी सुधाकरन, शिक्षा मंत्री प्रोफेसर जी रवींद्रनाथ, संस्कृति मंत्री एके बालन और उद्योग मंत्री ईपी जयराजन का नाम शामिल हैं।
बात करें टिकट पाने वाले नेताओं की तो इनमें एमबी राजेश, पी राजीव, वीएन वासवान और केएन बालगोपाल जैसे वे वरिष्ठ नेता शामिल हैं जिन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव लड़ा था और हार गए थे। पार्टी की तरफ से 12 महिला उम्मीदवारों को भी टिकट दिया गया है जिसमें सिटिंग विधायक वीणा जॉर्ज और अधिवक्ता यू प्रतिभा को फिर से मौका दिया गया है।
सीपीआईएम की राज्य ईकाई की तरफ से लाए गए इस नियम से पार्टी के ही कार्यकर्ता नाराज हैं। राज्य के कई हिस्सों में पार्टी कैडर के लोगों ने इसपर नाराजगी जताते हुए इसका विरोध भी किया है। कुछ कमेटी के नेता भी इससे सहमत नहीं हैं, लेकिन इस मामले पर सीपीआईएम नेता और मुख्यमंत्री पी विजयन का कहना है कि अगले चुनाव के दौरान मैं भी टू टर्म नॉर्म के अंदर आऊंगा, इसलिए यह नियम हर किसी के लिए है।
गौरतलब है कि टू टर्म नॉर्म में पहले कहा गया था कि यह नियम 2019 में आम चुनाव लड़ चुके प्रत्याशियों पर भी लागू होगा, लेकिन बाद में लोकसभा चुनाव को इससे बाहर कर दिया गया। मुख्यमंत्री पी विजयन पांच बार विधायक रह चुके हैं। वे लगातार दो बार चुनाव नहीं जीते हैं, इसलिए इस नियम के दायरे में नहीं आते हैं और उन्हें दोबारा से टिकट दिया गया है। बता दें कि केरल की 140 विधानसभा सीटों के लिए छह अप्रैल को मतदान होना है, जिसका परिणाम दो मई को जारी होगा। फिलहाल यहां सीपीआईएम की सरकार है और एक बार फिर से वह जीत की दावेदार बताई जा रही है।
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