कुपोषण समस्या के समाधान तथा महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण, विकास और सुरक्षा के लिये रणनीतिक हस्तक्षेप
भारत की आबादी में महिलाओं और बच्चों की संख्या 67.7 प्रतिशत है। उनके सशक्तिकरण को तथा सुरक्षित और संरक्षित माहौल में उनके सकारात्मक विकास को सुनिश्चित करना जरूरी है। इस कदम से देश का सतत और समतावादी विकास होगा। उल्लेखनीय है कि आर्थिक परिवर्तन और सामाजिक बदलाव को हासिल करने के लिये इसकी बहुत जरूरत है। महिला और बाल विकास मंत्रालय यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि बच्चों का अच्छा पोषण हो, वे खुशहाल हों तथा महिलायें आत्मविश्वास से परिपूर्ण हों और आत्मनिर्भर बनें। इसके लिये उन्हें ऐसा माहौल प्रदान किया जाना है, जो उनकी पहुंच में हो, भरोसेमंद हो, आसान हो तथा हर तरह के भेदभाव और हिंसा से मुक्त हो। मंत्रालय का प्रमुख उद्देश्य है महिलाओं और बच्चों के लिये राज्यों द्वारा किये जाने वाले कामों में जो खामियां रह गई हैं, उन्हें समाप्त किया जाये। साथ ही इस दिशा में अंतर-मंत्रालयी और अंतर-क्षेत्रीय तालमेल को प्रोत्साहित करने का भी लक्ष्य है, ताकि लैंगिक समानता तथा बच्चों को ध्यान में रखकर कानून, नीतियां और कार्यक्रम बनाये जा सकें।
उपरोक्त लक्ष्य को हासिल करने के लिये मंत्रिमंडल ने हाल ही में मंत्रालय की तीन महत्त्वपूर्ण कवच योजनाओं को मिशन मोड में क्रियान्वित करने को मंजूरी दी है। ये योजनायें हैं – मिशन पोषण 2.0, मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य।
मिशन पोषण 2.0 एक एकीकृत पोषण समर्थन कार्यक्रम है। यह बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और दुग्धपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करता है। इसके लिये पोषण तत्त्वों और उनकी आपूर्ति की एक रणनीतिक पहल की जाती है। इसके अलावा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये एक ईको-प्रणाली बनाई जाती है, ताकि ऐसे तौर-तरीकों को विकसित और प्रोत्साहित किया जा सके, जो स्वास्थ्य, आरोग्य और रोग-प्रतिरोधक क्षमता का पोषण करें। पोषण 2.0 पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता तथा उनकी आपूर्ति को बेहतर बनाया जाता है।
मिशन पोषण 2.0 देश के मानवीय पूंजी विकास में योगदान करेगा, कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करेगा, सतत स्वास्थ्य और आरोग्य के लिये पोषण जागरूकता तथा खान-पान की अच्छी आदत को प्रोत्साहित करेगा और प्रमुख रणनीतियों के जरिये पोषण सम्बंधी अभावों को दूर करेगा। कार्यक्रम के तहत, पोषण नियम और मानक तथा टीएचआर की गुणवत्ता और परीक्षण में सुधार लाया जायेगा। इसके साथ ही हितधारकों और लाभार्थियों की संलग्नता को प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके अलावा पारंपरिक सामुदायिक खान-पान आदतों को भी प्रोत्साहित किया जायेगा। पोषण 2.0 के दायरे में तीन महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम/योजनायें हैं, जैसे आगनवाड़ी सेवा, किशोरियों के लिये योजना और पोषण अभियान।
पोषण 2.0 का पूरा जोर मातृत्व पोषण, नवजात शिशु और बच्चों के आहार नियम, आयुष के जरिये एमएएम/एसएएम का उपचार और आरोग्य पर रहेगा। वह संचालन, शासन और क्षमता-निर्माण पर आधारित है। पोषण अभियान जन संपर्क का प्रमुख माध्यम है तथा इसके तहत पोषण समर्थन, आईसीटी हस्तक्षेप, मीडिया के जरिये प्रसार और संपर्क, सामुदायिक संपर्क तथा जन आंदोलन सम्बंधी नवोन्मेषों को रखा गया है।
मिशन पोषण 2.0 में कई प्रमुख रणनीतियों को शामिल किया गया है, जो इन उद्देश्यों की पूर्ति करेंगे, जैसे सुधारात्मक रणनीतियां, पोषण जागरूकता रणनीतियां, संचार रणनीतियां और हरित ईको-प्रणाली की संरचना। मिशन पोषण 2.0 के तहत उद्देश्यों को प्रमुख मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के सहयोग से तथा मजबूत पहलों पर आधारित एकीकरण गतिविधियों के जरिये पूरा किया जायेगा।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक मार्च, 2021 को “पोषण ट्रैकर” की शुरूआत की थी। इसके तहत राष्ट्रीय ई-शासन प्रखंड एक ऐसा माध्यम है, जो पोषण आपूर्ति समर्थन प्रणालियों को मजबूत बनायेगा और उनमें पारदर्शिता लायेगा। पोषण ट्रैकर के तहत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बच्चों में कम वजन होने, उनके अंग-प्रत्यंग के विकारों की पहचान करने तथा पोषण सेवा आपूर्ति की निगरानी करने में किया जाता है।
मिशन शक्ति महिलाओं के लिये एक एकीकृत नागरिक-केंद्रित जीवनपर्यन्त समर्थन योजना है। एकीकृत देखभाल, सुरक्षा, संरक्षण, पुनर्वास और सशक्तिकरण के जरिये महिलाओं को बंधन मुक्त किया जाता है। जीवन के विभिन्न चरणों में महिलाओं की प्रगति के क्रम में इसका इस्तेमाल किया जाता है। मिशन शक्ति की दो उप-योजनायें हैं – सम्बल और सामर्थ्य। सम्बल उप-योजना महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिये है, जबकि सामर्थ्य उप-योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये है। सम्बल उप-योजना में एकल केंद्र (ओएससी), महिला हेल्पलाइन (181-डब्लूएचएल) और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी मौजूदा योजनायें शामिल हैं। इसके अलावा नारी अदालतें जैसा नया घटक जोड़ा गया है, जो महिलाओं को विवादों के वैकल्पिक समाधान तथा समाज और परिवारो में लैंगिक न्याय मुहैया करायेगा। सामर्थ्य उप-योजना में महिलाओं का सशक्तिकरण शामिल है। इसके तहत उज्ज्वला, स्वाधार गृह और कामकाजी महिला हॉस्टल जैसी मौजूदा योजनाओं को रखा गया है। इनके अतिरिक्त कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिये राष्ट्रीय क्रेच योजना तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को भी ‘सामर्थ्य’ में समाविष्ट कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि पहले ये आईसीडीएस योजना में शामिल थीं।
बच्चों से सम्बंधित मिशन वात्सल्य को नीति निर्माताओं ने सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्पदा के रूप में माना है। भारत में 18 वर्ष तक की आयु के 472 मिलियन बच्चे हैं, जो देश की कुल आबादी का 39 प्रतिशत हैं। मिशन वात्सल्य का उद्देश्य है भारत के हर बच्चे को स्वस्थ और खुशहाल बचपन प्रदान करना। इसके अलावा योजना के उद्देश्यों में बच्चों के विकास के लिये एक संवेदनशील, सहायक और समयानुकूल ईको-प्रणाली बनाना, बाल न्याय अधिनियम, 2015 के तहत न्याय प्रदान करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता करना तथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना भी शामिल है।
मिशन वात्सल्य के तहत घटकों में नियामक निकाय, सेवा आपूर्ति संरचना, संस्थागत देखभाल/सेवा, गैर-संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल, आपात सेवा संपर्क, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण शामिल हैं।
सभी तीनों अभियानों को 15वें वित्त आयोग अवधि 2021-22 से 2025-26 के दौरान क्रियान्वित किया जायेगा।
पोषण अभियानों को जोड़कर मिशन पोषण 2.0 का कुल वित्तीय खर्चा 1,81,703 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्रीय योगदान के रूप में 1,02,031 करोड़ रुपये और राज्यों का हिस्सा 79,672 करोड़ रुपये है। केंद्रीय हिस्से में लगभग 10,108.76 करोड़ रुपये (10.99 प्रतिशत) का इजाफा किया गया है। मिशन पोषण 2.0 की कुल लागत का आकलन केंद्र तथा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच खर्च उठाने के औसत के आधार पर किया गया है। इसे सरकार द्वारा मंजूर कर लिया गया है और केंद्र तथा विधान मंडल सहित राज्यों के लिये यह औसत 60:40 है, केंद्र और पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा हिमालयी राज्यों के लिये 90:10 है तथा विधान मंडल रहित जम्मू एवं कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लिये 100 प्रतिशत है।
मिशन शक्ति का कुल वित्तीय खर्च 20989 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र का हिस्सा 15761 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 5228 करोड़ रुपये है। ‘सम्बल’ की उप-योजना को केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना के तौर पर क्रियान्वित किया जायेगा, जिसमें निर्भया निधि/एमडब्लूसीडी के जरिये 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण मिलेगा। इसमें धनराशि को सीधे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के जिलाधिकारी या सम्बंधित निदेशालय/आयुक्तालय को जारी किया जायेगा। ‘सामर्थ्य’ उप-योजना को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में क्रियान्वित किया जायेगा, जिसका वित्तपोषण केंद्र तथा विधामंडल सहित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच 60:40 के अनुपात में वहन किया जायेगा। विधान मंडल की मौजूदगी वाले पूर्वोत्तर और विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच वित्तपोषण का औसत 90:10 के हिसाब से होगा। जिन केंद्र शासित प्रदेशों में विधान मंडल कार्यरत नहीं हैं, वहां केंद्र 100 प्रतिशत वित्तपोषण करेगा। मिशन शक्ति के तहत केंद्र के हिस्से में लगभग 24 प्रतिशत का इजाफा किया गया है तथा यह 12742 करोड़ रुपये से बढ़कर 15761 करोड़ रुपये हो गया है।
मिशन वात्सल्य का कुल वित्तीय खर्च 10916 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र का हिस्सा 6298 करोड़ रुपये तथा राज्य का हिस्सा 3988 करोड़ रुपये है। पिछले पांच वर्षों के दौरान बाल संरक्षण सेवा (सीपीएस) योजना के तहत कुल आबंटन 3852 करोड़ रुपये किया गया था, जिससे पता चलता है कि सीपीएस योजना की तुलना में मिशन वात्सल्य के तहत लगभग 63.68 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
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