कर्ज मुक्ति की तारीख 17 दिसम्बर हो

भोपाल। नव र्निर्वाचित मुख्यमंत्री ने किसानों के 2 लाख रुपए तक के कर्ज माफ करने की घोषणा का स्वागत करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कहना चाहती है कि इसके वास्तविक लाभ के लिए कर्ज माफी की कट आँफ डेट 31 मार्च नहीं, बल्कि 17 दिसंबर 2018 होना चाहिए। 31 मार्च वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन होता है। या तो दबाव डाल कर किसानों से कर्ज वसूल लिया जाता है या फिर ऐसा भी होता है कि अधिकारी अपनी खाल बचाने के लिए उसके पुराने कर्ज को जमा कर 31 मार्च के बाद नया कर्ज दे देता है। जबकि सही मायनों में वह पुराना कर्ज ही होता है। इसलिए यदि सरकार वास्तव में किसानों को कर्ज से मुक्त करना चाहती है तो उसे घोषणा की तिथि 17 दिसंबर को ही कट आँफ डेट घोषित करना चाहिए।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की यह भी राय है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही केवल 30 प्रतिशत किसानों को बैंक या सहकारी समिति से ऋण मिल पाता है। बाकी 70 फीसद किसान तो सूदखोरों ओर आड़तियों से कर्ज लेते हैं। सही मायनें में कर्ज के बोझ तले यही किसान दबे हुए हैं, उनको राहत देने का कोई प्रावधान इस घोषणा में नहीं है। हमारी सरकार को राय है कि केरल की वाममोर्चा सरकार की तरह उसे भी किसान कर्जा मुक्ति आयोग का गठन करना चाहिए।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी आशा करती है कि सरकार के इस निर्णय के सही अमल से किसानों को राहत मिलेगी, मगर यह कृषि और किसान संकट का हल नही है। जब तक उदारीकरण की नीतियों को पलट कर कृषि को लाभ का व्यवसाय नहीं बनाया जाता है, तब तक कृषि और किसान के संकट का हल संभव नहीं है। इसके लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू कर किसानों को उनकी वास्तविक लागत का डेढ़ गुना दाम सुनिश्चित करना होगा। प्रदेश में खाद की किल्लत को दूर करने के साथ ही मंडियों में किसानों की लूट को बंद करने के लिए भी मुख्यमंत्री को पहल करनी चाहिए।

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