कमलनाथ दे सकते है इस्तीफा , 12 बजे बुलाई प्रेस कांफ्रेंस

न्यूज़ डेस्क : मध्यप्रदेश संकट को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा कि कल सदन में बहुमत परीक्षण कराया जाए। शाम पांच बजे तक पूरी प्रक्रिया खत्म करने का आदेश दिया गया है। अदालत ने कहा कि अगर बागी विधायक विधानसभा आना चाहें तो कर्नाटक और मध्यप्रदेश के डीजीपी को उन्हें सुरक्षा देनी होगी। अदालत ने कहा कि बहुमत परीक्षण की वीडियोग्राफी भी कराई जाए। इस फैसले के बाद कांग्रेस और भाजपा की तरफ से सियासी बयानबाजियों का दौर तेज हो गया। सीएम कमलनाथ ने शुक्रवार दोपहर 12 बजे प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है। बताया जा रहा है कि वह इस्तीफा भी दे सकते हैं। 

 

कमलनाथ ने बुलाई प्रेस कांफ्रेंस, दे सकते हैं इस्तीफा  : फैसले के बाद सीएम कमलनाथ ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हर पहलू का अध्ययन करेंगे। इस पर कानूनी सलाह लेंगे और उसी आधार पर अगला कदम उठाएंगे। इसके साथ ही कमलनाथ ने शुक्रवार दोपहर 12 बजे प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है। कहा जा रहा है कि वह इस्तीफा भी दे सकते हैं। 

शिवराज बोले- सत्यमेव जयते : भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। सत्यमेव जयते। कल सत्य की जीत होगी। अल्पमत की सरकार गिरेगी। ये न सिर्फ अल्पमत की सरकार है बल्कि जनता को धोखा देने वाली सरकार है। सीएम कमलनाथ ने लोगों को धोखा दिया है। आज अन्याय की पराजय हुई है। वहीं, नेता विपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं। बहुमत परीक्षण में सबकुछ साबित हो जाएगा।

कमलनाथ से मिलने पहुंचे जीतू पटवारी : उधर, अदालत के फैसले के बाद भोपाल में सियासी हलचल तेज हो गई। मंत्री जीतू पटवारी मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलने उनके आवास पहुंचे। 

कांग्रेस ने जारी किया व्हिप : मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल ने व्हिप जारी करके विधायकों से विश्वासमत के दौरान कमलनाथ सरकार का समर्थन करने को कहा।

क्या-क्या दलीलें : राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आज भी अदालत में दलीलें रखीं। उन्होंने दोहराया कि फ्लोर टेस्ट करवाना है या नहीं, यह स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि विधायकों की गैरमौजूदगी से सदन में संख्याबल कम रह जाएगा।


जब जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि ऐसे में क्या किया जाए, क्या स्पीकर को विधायकों के इस्तीफे पर फैसला नहीं लेना चाहिए। इसपर सिंघवी ने सुझाव दिया कि स्पीकर पर इस पर फैसला लेकिन के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। 

इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि बागी विधायक अपनी इच्छा से काम कर रहे हैं या नहीं इस पर पर्यवेक्षक नियुक्त करने किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त करने से बागी विधायकों के किसी डर से कैद में रहने की बात की सच्चाई भी सामने आ जाएगी। विधायकों की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह भी इस बात पर राजी हो गए। 

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