न्यूज़ डेस्क : हमारा बैंड नीरज आर्य का “कबीर कैफे” है। हमारा संगीत मालवा की मिट्टी से ही जुड़ा है इसलिए हम मांडू आकर बेहद खुश है। हमारे गुरु पद्मश्री प्रल्हाद टिपानिया जी है, यही कारण है कि मध्यप्रदेश आना हमारे लिए बहुत खास अनुभव होता है।
नए साल के पहले दिन मांडू फेस्टिवल में हम 800 साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर के सामने मालवी लोकगीत गाएंगे, हमारे लिए यह बेहद यादगार और रोमांचक अनुभव होगा। हम दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ ही उन्हें कबीर दर्शन से रूबरू करवाने का प्रयास भी करेंगे ताकि मांडू की ऐतिहासिक भूमि पर हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित कर पाएं।
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