जींद । हरियाणा के जाटलैंड के मुख्य शहर जींद में एंट्री के तमाम रास्ते भाजपामय नजर आ रहे हैं। जींद जिले में फिलहाल प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल इंडियन नेशनल लोकदल का दबदबा है। बावजूद इसके, केसरिया रंग के झंडों में लिपटी जींद की राजनीतिक फिजा आज कुछ अलग ही इशारा कर रही है। रैली स्थल का माहौल पूरी तरह से केसरिया है। इस रैली से अमित शाह 2019 के चुनाव के लिए हरियाणा की धरती से रणभेरी बजाएंगे और वह मिशन 2019 का शंखनाद करेंगे। यह रैली इसके अलावा कगले कुछ महीनों में कुछ राज्यों में होनेवाले चुनाव पर भी असर डाल सकता है।
हरियाणा से निकला संदेश देश के साथ-साथ चुनाव वाले राज्यों में डालेगा असर
रैली के सुरक्षा का मोर्चा संभाले अर्द्धसैनिक बलों के जवानों क चेहरों पर जरूर कुछ तनाव दिखाई दे रहा है, लेकिन भाजपा के सुपर बास अमित शाह के स्वागत की तैयारियों में जुटे तमाम नेता पूरी तरह से निश्चिंत नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने रैली की तैयारियों और व्यवस्थाओं का बुधवार को निरीक्षण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बाइक चलाई और बाइक से ही पूरे क्षेत्र में तैयारियों का जायजा लिया।
सीएम मनोहरलाल ने बाइक से रैली की तैयारियाें का जायजा लिया
पिछले लोकसभा चुनाव में हरियाणा से चुनावी बिगुल फूंक केंद्र के साथ कई राज्यों में सत्तारूढ़ हुई भाजपा मिशन-2019 का आगाज भी हरियाणा से करने जा रही है। हरियाणा वह प्रदेश है, जो दिल्ली से सटा है। बृहस्पतिवार को करीब छह माह बाद हरियाणा आ रहे अमित शाह की जाटलैंड में होने वाली इस रैली से पूरे देश में खास संदेश जाएगा। सबसे ज्यादा असर उन राज्यों की राजनीति पर पड़ेगा, जहां निकट भविष्य में चुनाव होने वाले हैं।
जींद में बुधवार को बाइक से अमित शाह की रैली की तैयारियों का जायजा लेते सीएम मनोहरलाल।
सन 2013 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब भाजपा ने इस पद के लिए उम्मीदवार बनाया था, तब उन्होंने हरियाणा के अहीरवाल के रेवाड़ी से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए शाह मिशन 2019 का शंखनाद जींद से कर रहे हैं।
भाजपा किन मुद्दों पर अगला चुनाव लड़ेगी और हरियाणा में उसका क्या एजेंडा होगा, काफी कुछ इस रैली से स्पष्ट हो जाएगा। शाह राष्ट्रीय स्तर पर बनाई गई चुनावी रणनीति के संकेत तो जींद में देंगे ही, साथ ही चुनाव वाले राज्यों के लिए भी कुछ खास इशारा करके जाएंगे। हरियाणा में दस लोकसभा सीटें हैैं, जिनमें से सात पर भाजपा, दो पर इनेलो और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। शाह की रणनीति अपनी सातों सीटों को बचाने के साथ ही कांग्रेस और इनेलो से बाकी तीनों सीटें झटकने की भी होगी।
रैली के रूप में तबदील हो चुके भाजपा के इस राज्य स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में सरकार और संगठन के दिग्गज नेताओं के साथ ही पूरे प्रदेश के सभी 15 हजार बूथों से 10-10 कार्यकर्ता पहुंचेंगे। हर बूथ से एक मोटर साइकिल पर दो कार्यकर्ता सवार होंगे। ऐसे में शाह को करीब डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं को एक साथ पार्टी लाइन समझाने का मौका मिल सकेगा। विपक्ष जरूर इसमें खलल डाल सकता है, लेकिन उन्हें रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों ने मोर्चा संभाला हुआ है।
छह माह में दूसरी बार शाह शीर्ष पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओं से रू-ब-रू होंगे। पिछले साल अगस्त में उनके तीन दिन के रोहतक प्रवास से कई समीकरण बने थे। खास बात यह है कि रोहतक और जींद दोनों जाट बेल्ट हैैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के अनुसार शाह ने खास मकसद से पार्टी के मिशन-2019 के आगाज के लिए जींद को चुना है। इस लिहाज से शाह की यह रैली काफी अहम हो जाती है।
हरियाणा की मनोहर सरकार के लिए टानिक बनेगी शाह की रैली
रैली को कद्दावर बनाने के लिए मनोहर सरकार के साथ भाजपा संगठन ने पूरी ताकत झोक दी है। रैली में करीब एक लाख मोटरसाइकिलों के पहुंचाने का लक्ष्य है। सभी मंत्री, सांसद और विधायक मोटरसाइकिल पर ही रैली में पहुंचेंगे। भाजपा प्रभारी डा. अनिल जैन, मुख्यमंत्री मनोहर लाल और प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला भी मोटरसाइकिल पर आएंगे। शाह का जींद दौरा प्रदेश सरकार को टॉनिक देने का काम कर सकता है।
काले झंडे दिखाने पर कांग्रेस और इनेलो अड़े
राज्य के प्रमुख विपक्षी दल इनेलो व कांग्रेस ने शाह को काले झंडे दिखाने की घोषणा कर रखी है, जिससे टकराव के हालात बने हुए हैैं। इनेलो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाइएल) का निर्माण नहीं होने तो कांग्रेस वादाखिलाफी के आरोप लगाते हुए शाह का विरोध कर रही है। जाटों को मनाने से उत्साहित सरकार की भावनात्मक अपील के सहारे विपक्षी दलों को बैकफुट पर लाने की रणनीति कितनी कारगर होगी, यह अभी भविष्य के गर्भ में है।
शाह की रैली के तुरंत बाद विपक्ष करेगा पलटवार
शाह का दौरा हरियाणा की सियासत को नया रंग देगा। जाटलैंड में भाजपा के कार्यक्रम को कांग्रेस और इनेलो अलग नजरिये से देख रहे हैं। रैली के बाद कांग्रेस की तरफ से तंवर ने कालका तथा अभय चौटाला ने दिल्ली में सियासी आयोजनों की तैयारी कर रखी है। तैयारी तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी कर रखी थी, लेकिन पैर में चोट लग जाने से फिलहाल उनकी यात्रा पर अल्पविराम लग गया है।
Comments are closed.