जयशंकर का बयान: पश्चिम और UN ने कश्मीर ‘आक्रमण’ को विवाद में बदल दिया, ‘मेरे पास कुछ सवाल हैं’

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कश्मीर मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर को एक ‘आक्रमण’ के बजाय एक ‘विवाद’ के रूप में पेश किया, जो कि भारत की संप्रभुता के खिलाफ था। जयशंकर ने इस संदर्भ में कुछ गंभीर सवाल उठाए और कहा कि यह पूरी स्थिति अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कश्मीर के इतिहास के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।

कश्मीर को लेकर पश्चिम और UN का दृष्टिकोण

एस जयशंकर ने अपने बयान में कहा कि कश्मीर में जो हुआ था, वह एक आक्रमण था, लेकिन पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र ने इसे विवाद का रूप दे दिया। यह टिप्पणी भारत की कश्मीर नीति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दृष्टिकोण को लेकर एक बड़े सवाल को उठाती है। जयशंकर ने कहा कि जब कश्मीर पर पाकिस्तान ने आक्रमण किया, तो पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र ने इसे भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवाद के रूप में पेश किया, न कि एक सैन्य आक्रमण के रूप में।

भारतीय दृष्टिकोण और इतिहास

भारत का हमेशा से यह रुख रहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, और इसे किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से बचाने की आवश्यकता है। एस जयशंकर ने इस मुद्दे को लेकर भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया और कहा कि कश्मीर के मसले को हमेशा विवाद के रूप में पेश करने से भारत की संप्रभुता का उल्लंघन हुआ है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के आक्रमण के बावजूद, कश्मीर को लेकर पश्चिम और UN का दोहरा रवैया भारत के लिए निराशाजनक रहा है।

विदेश मंत्री के सवाल

एस जयशंकर ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर आक्रमण किया गया था, तो इसे एक आक्रमण क्यों नहीं माना गया? क्यों इसे एक विवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया?” उन्होंने यह भी पूछा कि जब कश्मीर में भारतीय सेना की कार्रवाई हो रही थी, तब क्यों पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र ने भारत के अधिकारों का समर्थन नहीं किया। यह सवाल भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कश्मीर के ऐतिहासिक और राजनीतिक संदर्भ को पुनः परिभाषित करने का प्रयास करता है।

कश्मीर पर भारत का रुख

भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस पर किसी प्रकार की बाहरी विवादास्पद चर्चा स्वीकार्य नहीं होगी। इसके बाद, 2019 में जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया, और राज्य को दो केंद्रीय शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। यह निर्णय भारत की कश्मीर नीति को और मजबूत करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश देता है कि भारत अपनी संप्रभुता के मामले में कोई समझौता नहीं करेगा।

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