जाने विकाश दुबे के आपराधिक इतिहास की कहानी , गाँव की मारपीट से हुई थी शुरुआत

न्यूज़ डेस्क : कानपुर में गुरुवार देर रात दबिश देने गई पुलिस टीम के आठ जवानों को मौत की नींद सुलाने वाले विकास दुबे का अपराध करने का सिलसिला वर्ष 1990 से शुरू हुआ था। बिकरु गांव निवासी किसान के बेटे विकास ने पिता के अपमान का बदला लेने के लिए नवादा गांव के किसानों को वर्ष 1990 में पीटा था।

 

 

विकास दुबे के खिलाफ शिवली थाने में पहला मामला दर्ज हुआ था। ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में पिछड़ों की हनक को कम करने के लिए विकास को राजनीतिक संरक्षण मिलता गया। उस वक्त पूर्व विधायक नेकचंद्र पांडे ने विकास को संरक्षण दिया था। विकास क्षेत्र में दबंगई के साथ मारपीट करता रहा, थाने पहुंचते ही नेताओं के फोन आने शुरू हो जाते थे। कुछ दिनों बाद तो पुलिस ने भी विकास पर नजर टेढ़ी करनी छोड़ दी थी।

 

 

वर्ष 2000 में विकास ने इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडे को गोली मारकर पहला मर्डर किया था। वर्ष 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला को शिवली थाने के भीतर गोली मारकर मौत के घाट उतारकर विकास ने क्षेत्र में अपनी दहशत फैलाई। बिकरु और शिवली के आसपास क्षेत्र में विकास की दहशत कुछ इस कदर थी कि उसके एक इशारे पर चुनाव में वोट गिरना शुरू हो जाते थे।

 

 

चुनावी रंजिश में ही विकास की दुश्मनी लल्लन बाजपेई से हुई। शिवली क्षेत्र की जमीनों और बाजार की वसूली में अपना कदम रखने के बाद विकास की क्षेत्र में हनक बढ़ती गई। राजनीतिक संरक्षण और दबंगई के बल पर विकास जिला पंचायत सदस्य चुना गया और आसपास के तीन गांवों में उसके परिवार की ही प्रधानी कायम हो गई।

 

 

विकास के खिलाफ चौबेपुर थाने में हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी वसूलना, लूट और फिरौती मांगने समेत कई संगीन धाराओं में 60 मुकदमे दर्ज हैं। विकास के खिलाफ गुंडा एक्ट और गैंगस्टर की कार्रवाई भी की जा चुकी है। वर्ष 2017 में विकास को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था।

 

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