IUML की रोजा इफ्तार पार्टी में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अखिलेश यादव की मौजूदगी, विपक्षी एकजुटता का दिखा संदेश

रमजान के पाक महीने में IUML की इस इफ्तार पार्टी को न सिर्फ धार्मिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम माना जा रहा है। इस आयोजन में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और अन्य विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी ने संकेत दिया कि विपक्षी दलों के बीच एका बनाने की कोशिशें जारी हैं।

सूत्रों के अनुसार, इस इफ्तार पार्टी के दौरान नेताओं के बीच आगामी लोकसभा चुनाव, सीट बंटवारे और विपक्षी रणनीति को लेकर अनौपचारिक चर्चा भी हुई।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस अवसर पर कहा कि,
“रमजान भाईचारे और एकता का संदेश देता है। हमें एकजुट रहकर देश में सद्भाव और लोकतंत्र की रक्षा करनी होगी।”

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा,
“आज का यह आयोजन दिखाता है कि देश की विविधता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमें मिलकर हर उस ताकत का मुकाबला करना है जो समाज को बांटने की कोशिश कर रही है।”

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मौके पर विपक्षी गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा,
“देश की जनता बदलाव चाहती है और हम सबका कर्तव्य है कि हम एक मजबूत विकल्प दें। सपा हमेशा सेक्युलर ताकतों के साथ खड़ी रही है और आगे भी रहेगी।”

विपक्षी एकता का मंच: कई विपक्षी दलों के नेता एक साथ नजर आए, जिससे 2024 के चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव 2029 की रणनीति पर चर्चा के संकेत मिले।
मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कोशिश: IUML का मुस्लिम वोट बैंक मजबूत माना जाता है। ऐसे में कांग्रेस और अन्य दलों की मौजूदगी को मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
सियासी संकेत: इस कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी और टीएमसी के प्रतिनिधियों की गैरमौजूदगी ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्या विपक्षी गठबंधन में अब भी कुछ दरारें हैं?

IUML की इस इफ्तार पार्टी में सोनिया गांधी, खड़गे और अखिलेश यादव की मौजूदगी यह दिखाती है कि विपक्ष भाजपा के खिलाफ साझा रणनीति बनाने की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, राजनीतिक गठबंधन में अभी कई पेच बने हुए हैं, खासकर सीट शेयरिंग को लेकर।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह इफ्तार पार्टी महज एक औपचारिकता थी, या वाकई आने वाले दिनों में विपक्ष एक ठोस गठबंधन की ओर बढ़ेगा।

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