आईटी क्षेत्र की कंपनियां 2022 तक करीब 30 लाख नौकरियां करेंगी खत्म, आयेगी जॉब पर संकट

न्यूज़ डेस्क : ऑटोमेशन की ओर तेजी से बढ़ रहीं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की कंपनियां 2022 तक करीब 30 लाख नौकरियां खत्म करने की तैयारी में हैं। इस कदम से कंपनियों को 100 अरब डॉलर (7.3 लाख करोड़ रुपये) की बचत होगी।

 

 

 

नासकॉम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि घरेलू आईटी क्षेत्र में करीब 1.6 करोड़ नौकरियां हैं, जिनमें से 90 लाख कर्मचारी बीपीओ व अन्य कम दक्षता वाले क्षेत्रों में काम करते हैं। इनमें से ही 30 फीसदी या 30 लाख नौकरियां अगले साल तक खत्म हो सकती हैं। सिर्फ रोबोट प्रोसेस ऑटोमेशन से ही सात लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी।

 

 

 

टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल, टेक महिंद्रा और कॉग्निजेंट जैसी कंपनियां अगले साल तक ऑटोमेशन की वजह से यह छंटनी कर सकती हैं। इन पर वेतन के रूप में 100 अरब डॉलर की बचत होगी, लेकिन ऑटोमेशन के लिए 10 अरब डॉलर खर्च भी करने होंगे। इसके अलावा 5 अरब डॉलर नई नौकरियों के वेतन पर खर्च आएगा।

 

 

 

हर साल पांच फीसदी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाएगी कोल इंडिया

मालूम हो कि दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड भी लागत में कमी लाने के लिए छंटनी की योजना बना रही है। कोल इंडिया ने बयान जारी कर बताया था कि कंपनी की लागत में कमी लाने के लिए हर साल पांच फीसदी कर्मचारियों की संख्या कम की जाएगी। यह प्रक्रिया पांच से 10 साल तक जारी रहेगी। वर्तमान में खनन कंपनी कोल इंडिया में 2,72,445 कर्मचारी कार्यरत हैं। वित्त वर्ष 2020-21 की मार्च तिमाही में सरकार के स्वामित्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड का कंसॉलिडेटेड प्रॉफिट 1.1 फीसदी की मामूली गिरावट के साथ 4,586.78 करोड़ रुपये रहा। लाभ में कमी का कारण कम बिक्री रही। मार्च तिमाही के नतीजों के एक दिन बाद कंपनी ने कर्मचारियों की छंटनी करने के बारे में जानकारी दी थी। 

 

 

 

दूसरी लहर में युवाओं ने गंवाई ज्यादा नौकरियां

फॉर्च्यून-500 की रिपोर्ट के अनुसार, महामारी की दूसरी लहर में युवा और ज्यादा उम्र वाले कर्मचारियों ने अधिक नौकरियां गंवाई हैं। 24 साल से कम उम्र वाले युवाओं में 11 फीसदी की नौकरियां गईं, जो पिछले साल 10 फीसदी थी। इसी तरह, 55 साल से ज्यादा उम्र वाले नौकरीपेशा में पांच फीसदी लोग बेरोजगार हो गए। पिछले साल यह संख्या 4 फीसदी थी।

 

 

आरबीआई अगस्त में भी स्थिर रखेगा ब्याज दरें : एसबीआई

बढ़ती महंगाई के दबाव में रिजर्व बैंक अगस्त में होने वाली मौद्रिक समिति की बैठक में भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा। एसबीआई रिसर्च ने बुधवार को इकोरैप रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है। रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू और वैश्विक कारणों से अगले कुछ महीने खुदरा महंगाई में लगातार इजाफा दिख सकता है। मई में खुदरा महंगाई 6.3 फीसदी पहुंच गई, जो रिजर्व बैंक के तय दायरे से भी ज्यादा है। ऐसे में 4-6 अगस्त तक होने वाली अगली एमपीसी बैठक में भी ब्याज दरें अपरिवर्तित रहेंगी। 

 

 

 

बचत खा रही बढ़ती महंगाई : बीईएफआई

बैंक एम्प्लॉई फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) के संयुक्त सचिव चिरनजीत घोष का कहना है कि सरकार की गलत नीतियों से बढ़ती महंगाई लोगों की बचत को खा रही है। एफडी पर जहां पांच फीसदी ब्याज मिल रहा है, वहीं महंगाई दर 6.3 फीसदी पहुंच गई है। ईंधन पर ज्यादा टैक्स लेने से सभी वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं। सरकार को इसे कम करने की दिशा में काम करना चाहिए।

 

 

 

पूंजीगत लाभकर के लिए महंगाई सूचकांक निर्धारित

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने संपत्ति, शेयर और सोने की बिक्री पर पूंजीगत लाभ कर निर्धारित करने के लिए 2021-22 का महंगाई लागत सूचकांक तय कर दिया है। बोर्ड ने बुधवार को बताया कि चालू वित्त वर्ष के लिए यह सूचकांक 317 होगा, जो बीते साल 301 था। इसी सूचकांक के आधार पर करदाताओं को पूंजीगत लाभ पर टैक्स देना होगा। 

 

 

 

पिछले साल से दोगुनी प्रत्यक्ष कर वसूली

आयकर विभाग ने अप्रैल से 15 जून तक पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले दोगुनी प्रत्यक्ष कर वसूली की है। इस दौरान कुल 1.85 लाख करोड़ वसूली हुई, जो 2020 में 92,762 करोड़ थी। इसमें 74,356 करोड़ की वसूली कॉर्पोरेट आयकर के रूप में, जबकि 1.11 लाख करोड़ रुपये व्यक्तिगत आयकर में वसूले गए।

 

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