क्या मायावती की राजनीती हो रही शिफ्ट, सत्ता पक्ष की बजाय विपक्षी दलों पर दाग रही हैं सवाल

न्यूज़ डेस्क : बसपा प्रमुख मायावती का एक छोटा सा बयान बड़ी सुर्खियां बटोर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि मायावती दलितों के कल्याण का मुद्दा उठाकर फिलहाल कोई बड़ी लड़ाई नहीं लड़ रही हैं। लोगों को रोहित वेमुला केस याद होगा? कैसे मायावती ने रोहित वेमुला की आत्महत्या पर केंद्र सरकार को इस तरह घेरा था कि सफाई मैैं तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को कहना पड़ा था, ‘अगर मायावती जी मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं होती हैं, तो मैं अपना सिर काटकर आपके चरणों में रख दूंगी। लेकिन अब वहीं मायावती हैं जो सत्ता पक्ष की नीतियों की आलोचना से ज्यादा विपक्षी दलों पर हमला बोल रही हैं। उनके निशाने पर खासतौर से कांग्रेस पार्टी है।

 

 

मायावती का एजेंडा शिफ्ट चल रहा है

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बसपा पिछले डेढ़ दशक में इस समय सबसे खराब तरफ प्रदर्शन की तरफ है। इससे बसपा प्रमुख मायावती बौखला गई हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मायावती पर भाजपा का अघोषित प्रवक्ता होने का आरोप लगाया है। हालांकि प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस आरोप में मायावती का नाम नहीं लिया है, लेकिन उनका ईशारा बसपा प्रमुख की तरफ ही है।

 

बसपा प्रमुख उत्तर प्रदेश के उन नेताओं में हैं, जिन्होंने कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर 2006-07 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के खिलाफ सरकार विरोधी लहर पैदा कर दी थी और 2007 में इसी मुद्दे पर राज्य में पूर्ण बहुमत लाकर मुख्यमंत्री बनी थीं। लेकिन इस समय वह इस तरह से मुद्दे कम उठा रही हैं।

 

उत्तर प्रदेश की सरकार हो या केंद्र की सरकार। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पिछले कुछ साल के मायावती के बयान उठाकर देख लीजिए। दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। इस बारे में बसपा नेताओं का कहना है कि आप इंतजार कीजिए। बसपा प्रमुख जवाब दे रही हैं। वह जल्द ही इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करेंगी। पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि जो लोग बसपा प्रमुख को नहीं जानते, उन्हें थोड़ा मायावती के जवाब आने का इंतजार कर लेना चाहिए।

 

 

घबराहट की वजह हैं प्रियंका गांधी वाड्रा!

अखिल भारतीय राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव कहती हैं कि जो कुछ हो रहा है, उसमें मायावती की घबराहट ज्यादा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं। वह प्रदेश सरकार की खामियों को उजागर करने का कोई अवसर नहीं छोड़ रही हैं। प्रियंका की इस सक्रियता ने मायावती समेत तमाम नेताओं के लिए परेशानी पैदा की है।

 

कांग्रेस के सक्रिय नेता और सुप्रीम कोर्ट में वकील विश्वनाथ चुतर्वेदी का कहना है कि प्रियंका कांग्रेस पार्टी की जमीनी संरचना को मजबूत कर रही हैं। उन्होंने योगी सरकार की नाक में दम कर रखा है। इसके चलते राज्य का दलित, पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग, ब्राह्मण, क्षत्रिय, मुस्लिम सब कांग्रेस की ओर देखने लगे हैं।

 

चतुर्वेदी कहते हैं कि 2007 में मायावती दलित, ब्राह्मण, मुस्लिम के एजेंडे पर सत्ता में आई थी। उनके इस सपने पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। इसलिए वह उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज से ज्यादा कांग्रेस पार्टी के अभियानों से परेशान हैं।

 

 

वैसे राजस्थान को लेकर मायावती की टीस पुरानी है

2007 में मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती का ध्यान बसपा को अन्य राज्यों में ले जाना था। इंजीनियर रामपाल समेत कई बसपा प्रभारी बहुत सक्रिय थे। राजस्थान विधानसभा चुनाव में बसपा की सीटें आईं और बाद में सभी विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तोड़ ले गए थे।

 

2018 में भी कुछ ऐसा ही हुआ। बसपा के विधायकों ने कांग्रेस की सरकार को समर्थन दिया। बाद में सब बसपा छोड़कर कांग्रेसी हो गए। बसपा को इसकी पहले भी टीस थी और अब भी है। माना जा रहा है कि मायावती इसी टीस के कारण कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को बड़ा झटका देना चाहती हैं।

 

मायावती चाहती हैं कि राजस्थान में एक बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का स्वाद चखाया जाए। बसपा के रणनीतिकारों का कहना है कि जब भी ऐसा हुआ है, राजनीति में बसपा फायदे में रही है।

 

 

सत्ताधारी दल को लेकर क्यों खामोश रहती हैं बसपा प्रमुख?

बसपा प्रवक्ता सुधींद्र भदौरिया ने कहा कि बसपा के खिलाफ लोग प्रोपेगेंडा ज्यादा चलाते हैं। भदौरिया का कहना है कि राजस्थान में कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि बसपा के विधायकों ने अपनी पार्टी के साथ कांग्रेस में विलय कर लिया। आप बताइए, यह झूठ क्यों फैलाया जा रहा है।

 

बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है और इसने किसी दल में विलय नहीं किया है। इस तरह से तमाम भ्रम फैलाए जा रहे हैं। बसपा के एक और कथित प्रवक्ता हैं। वह कहते हैं कि यह मीडिया का फैलाया गया भ्रम है।

 

वह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा किसी राजनीतिक दल से घबराती है तो वह भाजपा ही है। सूत्र का कहना है कि राजस्थान में बसपा अपना राजनीतिक मुद्दा उठा रही है, तो आप उसके लिए बसपा को घोर रहे हैं। उसे भाजपा के साथ जोड़ दिया जा रहा है।

 

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