लिंग बदलते ही फिल्मों मे मिली सफलता, स्टार्स भी मानते है लोहा

हम यहां बात कर रहे हैं जन्म के समय लड़का पैदा हुए किरदार ने जेंडर बदलवाकर जब बॉलीवुड में एंट्री मारी तो इंडस्ट्री में छा गया। वह आज इंडस्ट्री में जाना माना चेहरा हैं। ‘लिपस्टिक अंडर माय बुरखा’, करीब करीब सिंगल, और बजीर जैसी फिल्मों के लिए उन्होंने काम किया। पहली बार उन्होंने किसी फिल्म की कहानी लिखी है।

 

बात हो रही है पंजाब में जन्मे गुनराज की, जो आज डॉयलॉग राइटर गजल धालीवाल के रूप में बॉलीवुड में विख्यात हैं। सोनम कपूर, अनिल कपूर स्टारर फिल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ की कहानी गजल धालीवाल ने ही लिखी है। बॉलीवुड की किसी फिल्म में पहली बार LGBTQ के प्यार की कहानी को दिखाया गया है। फिल्म के जरिए पहली बार सोनम कपूर और उनके पिता अनिल कपूर ने एक साथ काम किया है। गजल धालीवाल कई हिंदी फिल्मों के लिए डॉयलॉग और स्क्रीनप्ले लिख चुकी हैं।

 

पंजाब में रहने वाला गुनराज बचपन से ही शर्मीला बच्चा था। अक्सर उसे लगता था कि इस दुनिया में वह ही एक मात्र ऐसा लड़का होगा जिसे लगता है कि वह एक लड़की है। जितना भी उसे उसके परिवार वाले या उसके दोस्त लड़के के रूप में देखते थे, उतना ही उसे लगता था कि वह लोग गलत हैं, क्योंकि वह तो एक लड़की है। गजल कहती हैं कि बचपन में एक बार स्कूल में एक नाटक में वह लड़का होते हुए लड़की का किरदार निभा रही थीं। घर आकर उस बच्चे ने अपने पापा से कहा ‘पापा मुझे तो सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब मिलेगा’।  गुनराज की उम्र बढ़ने लगी तब आइने में अपना चेहरा देखकर उसे खुद से नफरत होने लगी। वह सोचता, यह कैसे बाल मेरे चेहरे पर आने लगे हैं। एक और दिक्कत ये थी कि स्कूल में सिख लड़कों के लिए पगड़ी पहनना ज़रूरी था। सिख समुदाय के होने की वजह से, लड़का होने के बावजूद उसके बाल लम्बे थे लेकिन उसे उन्हें पगड़ी में बांधना पड़ता था। गुनराज ने इंजीनियर की पढ़ाई खत्म होने के बाद मुंबई के एक फिल्म स्कूल से पढ़ाई की। उस दौरान गुनराज ने ‘ट्रान्सजेन्डर’ को लेकर एक फिल्म बनाई।

 

इस फिल्म का विषय था जिन्होंने लिंग बदलने का ऑपरेशन कराया हो या जो ऑपरेशन करवाना चाहते हैं, लेकिन इस फिल्म में काम करने के लिए कोई ट्रांसजेडर नहीं मिला तब गुनराज को लगा कि असल में उसे खुद भी इस फिल्म में होना चाहिए। फिल्म बनाने के बाद गुनराज ने यह फिल्म अपने माता-पिता दिखाई। जब फिल्म खत्म हुई तो कमरे में सन्नाटा था। फिर धीरे से पिता बोले, ‘ऑपरेशन के लिए कब जाना है’। उस दिन के बाद गुनराज ने पलटकर नहीं देखा। डेढ़ साल तक उसके ऑपरेशन का सिलसिला चला। कई ऑपरेशन्स के बाद जन्म हुआ – गजल का।

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