न्यूज़ डेस्क : कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि यदि ईरान अमेरिकी जवानों या संपत्ति पर हमला करता है तो अमेरिका 52 ईरानी स्थलों को निशाना बनाएगा। इसके जवाब में अब ईरान के कुद्स फोर्स का कहना है कि उसने अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के 140 ठिकानों की निशानदेही कर ली है। उसका कहना है कि अगर अमेरिका ने मिसाइल हमलों की प्रतिक्रिया में ईरान को कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो वह इन सभी ठिकानों को निशाना बनाएगा।
ईरानी टेलीविजन के मुताबिक, सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई के दफ्तर के एक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका को जवाब देने के कई तरीकों में अभी मिसाइल हमले का सबसे कमजोर तरीका चुना गया। ईरान इससे भी कड़ा और बड़ा कदम उठाने की क्षमता रखता है। ईरान के रक्षा मंत्री आमिर हातमी ने कहा, हमने छोटी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल किया। उम्मीद है कि यह अमेरिका के लिए यादगार सबक साबित होगा।
2018 में ट्रंप ने जिस अल असद का किया था दौरा, वहीं हमला :2003 में सद्दाम हुसैन के तख्ता पलट के बाद अमेरिकी सेनाएं अल असद बेस पर अपना ठिकाना बनाए हुए हैं। यह इराक में सबसे वायुसैनिक ठिकाना है। यहां अमेरिका और उसके गठबंधन की सहयोगी देशों की कुल 1500 सैनिक हर वक्त तैनात रहते हैं, जो आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से मोर्चा ले रहे हैं। यहां नार्वे के भी 70 सैनिक तैनात हैं। 2018 में ही यहां ट्रंप ने पत्नी मेलानिया के साथ दौरा किया था।
मलयेशियाई पीएम ने मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील की : मलयेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा, मुस्लिम देशों को एकजुट हो जाना चाहिए। महातिर दुनिया के सबसे बुजुर्ग प्रधानमंत्री हैं। उनकी उम्र 94 साल है। महातिर ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि सभी मुस्लिम देश एकजुट हो जाएं। उन्होंने कहा कि इस्लामी देश निशाने पर लिए जा रहे हैं और असुरक्षा बढ़ रही है। मलयेशिया में 10 हजार ईरानी नागरिक रहते हैं।
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