रामपुर। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने आरटीआइ कार्यकर्ता को दलाल कहा है। वह कल रामपुर में थे और रामपुर के एक मामला का हवाला देकर यह दलील दी।
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि बहुत से लोग आरटीआइ के नाम पर दलाली और ब्लैकमेलिंग करते हैं। यह बात सच है। अधिकांश आरटीआई कार्यकर्ता इसमें शामिल हैं। रामपुर का ही ऐसा एक मामला आयोग पहुंचा है। हम वादी और प्रतिवादी दोनों को अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन नाम नहीं लेना चाहेंगे।
ग्राम सचिव से जुड़ा मामला है। वादी भी कचहरी में बैठते हैं। सचिव ने कहा कि प्रार्थना पत्र वापस लेने के बीस हजार मांग रहे हैं। हमने पूछा इसका कोई सुबूत है। ग्राम सचिव ने कहा कि अगली तारीख पर सुबूत भी दे देंगे। अगली दफा उन्होंने सुबूत के तौर पर अपनी बैंक पासबुक दिखाई। इसके बाद कहा कि इससे दस हजार रुपये इनके कहने पर खाते में ट्रांसफर किए हैं। तब वादी बोले, यह खाता उनका नहीं है। उनके पिता का है। हमने कहा बेटा और बाप दोनों एक ही काम करते हैं। शर्म आनी चाहिए। इनके खिलाफ रिपोर्ट होनी चाहिए। इस पर वह हमारे सामने रो पड़े। इसके बाद साढ़े तीन साल से वह हमें नजर नहीं आए। ऐसे और भी कई मामले हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ आयोग काफी सख्ती से कार्रवाई करता है।
सूचना आयुक्त ने कहा कि हम डरकर काम नहीं करते, मजबूती से काम करते हैं। कई बार आरटीआइ कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कराई है। वह कल यहां विकास भवन में जन सूचनाधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जन सूचना अधिकार के तहत मांगी जाने वाली सूचनाओं को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे। समय पर सूचनाएं उपलब्ध नहीं करा रहे। यही वजह है कि राज्य सूचना आयोग में आरटीआइ के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अधिकारी जिला स्तर पर ही आरटीआइ के मामले निपटाएं। समय पर सूचनाएं उपलब्ध कराएं, ताकि आयोग में अपील के मामले कम हो सकें।
जिले के जन सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय सूचना अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपकी जिम्मेदारी बनती है कि जन सामान्य को सूचना सहज रूप में प्राप्त हो। सभी सूचनाएं समय पर उपलब्ध कराएं। इसके जरिए प्रशासनिक व्यवस्था में लोकहित में जन सामान्य की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। आवेदनों के निस्तारण में देरी, राज्य सूचना आयोग में लगातार बढ़ती अपीलों और अधिनियम के दुरुपयोग की सम्भावना को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली-2015 बनाई गई है, जिसमें आवेदनों के निस्तारण की प्रक्रिया को शुरु से अंत तक चरणबद्ध व तर्क संगत रूप से स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि किसी अधिकारी को सूचना के अधिकार के अन्तर्गत भेजा गया पत्र उससे संबंधित नहीं है तो वह पांच दिन के निर्धारित समयावधि में संबंधित अधिकारी को पत्र प्रेषित कर दें। आवेदक को भी सूचित करें, ताकि हर आवेदक आश्वस्त हो जाए कि उसका पत्र निर्धारित पटल पर पहुंच गया है। दो या अधिक विभागों से संबंधित सूचना एक ही पत्र के माध्यम से मांगे जाने पर संबंधित को अलग-अलग पत्र प्रेषित कर सूचना प्राप्त करने को कहें, क्योंकि दो या अधिक विभागों से संबंधित सूचना एक ही पत्र से प्राप्त करना सूचना अधिकार अधिनियम के विरुद्ध है।
हाफिज उस्मान ने कहा कि बीपीएल श्रेणी के आवेदकों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है, लेकिन इसके लिए आवेदक को बीपीएल संबंधी दस्तावेज प्रेषित करना अनिवार्य है। अधिकतर मामलों में जनसूचना अधिकारी सूचना आयोग में तलब किए जाते हैं, जिसका प्रमुख कारण यह है कि वह आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन सही ढंग से नहीं करते हैं। प्रशिक्षण के बाद आयुक्त ने मीडिया से भी बात की। उन्होंने कहा कि नियमावली में व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनाया गया है। अधिनियम का दुरुपयोग करने वालों के लिए कार्रवाई का भी प्रावधान किया है।
जिलाधिकारी रामपुर ने शिव सहाय अवस्थी ने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम से अधिकारियों में नई ऊर्जा का संचार होता है। अधिनियम में नवीन परिवर्तनों को जानकर वह अपने कार्य को बेहतर ढंग से सम्पन्न कर पाते है। बैठक में स्टेट रिसोर्स पर्सन डॉ. राहुल सिंह ने भी सूचना का अधिकार नियमावली-2015 के बारे में जानकारी दी।
News Source :- www.jagran.com
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