न्यूज़ डेस्क : सरकार ने अक्तूबर माह के थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (WPI) के आंकड़े जारी कर दिए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्तूबर में लगातार तीसरे महीने बढ़कर 1.48 फीसदी रही, जो सितंबर में 1.32 फीसदी थी। इसके साथ ही थोक महंगाई दर पिछले आठ महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। फरवरी के बाद यह थोक मुद्रास्फीति का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। अगस्त में यह आंकड़ा 0.16 फीसदी था, जुलाई में नकारात्मक 0.58 फीसदी और जून में यह नकारात्मक 1.81 फीसदी था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अक्तूबर में खाद्य वस्तुओं के दाम घटे, जबकि इस दौरान विनिर्मित उत्पाद महंगे हुए। अक्तूबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 6.37 फीसदी रह गई। सितंबर में यह 8.17 फीसदी के स्तर पर थी।
समीक्षाधीन महीने में सब्जियों और आलू के दाम क्रमश: 25.23 फीसदी और 107.70 फीसदी बढ़ गए। वहीं गैर-खाद्य वस्तुओं के दाम 2.85 फीसदी और खनिजों के दाम 9.11 फीसदी बढ़ गए।
अक्तूबर में विनिर्मित उत्पाद 2.12 फीसदी महंगे हुए। सितंबर में इनके दाम 1.61 फीसदी बढ़े थे। इस दौरान ईंधन और बिजली के दाम 10.95 फीसदी घट गए। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर में 7.61 फीसदी रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक भी मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जता चुका है। केंद्रीय बैंक का मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
मालूम हो कि भारत में महंगाई दर बाजारों में सामान्य तौर पर कुछ समय के लिए वस्तुओं के दामों में उतार-चढ़ाव महंगाई को दर्शाती है। जब किसी देश में वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें अधिक हो जाती हैं, तो इसको महंगाई कहते हैं। उत्पादों की कीमत बढ़ने से परचेजिंग पावर प्रति यूनिट कम हो जाती है। थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर ही वित्तीय और मौद्रिक नीतियों के फैसले लिए जाते हैं।
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