विसर्जन के बाद ‘इंदौर के राजा’ लाएंगे  हरियाली

विसर्जन के बाद ‘इंदौर के राजा’ लाएंगे हरियाली

  • 12 फीट ऊंची ‘इंदौर के राजा’ की प्रतिमा को गणोशोत्सव के बाद उसी जगह पर जलाभिषेक कर विसर्जित किया गया
  • विसर्जन के बाद मिट्टी से बनाई जाएगी सीड बॉल, जिससे प्रकृति को हरियाली का उपहार दिया जाएगा। 

 

इंदौर: ‘अगले बरस आना है, आना ही होगा’ भगवान् गणेश पर फिल्माया गया यह गीत अब पुराना हो गया है क्योंकिअब तो ‘इंदौर के राजा’ भगवान् गणेश हमसे कहीं दूर जा ही नहीं रहे है, तो फिर आने का सवाल ही नहीं। ‘इंदौर के राजा’ मिट्टी में परिवर्तितहोकर हरियाली के रूप में हमारे आसपास ही विराजेंगे। मंगलवार दिन था गणेश विसर्जन का और सारे शहर में इस महोत्सव की धूम थी।वहीं गांधी हॉल परिसर में स्थित ‘इंदौर के राजा’ का भी उसी जगह पर जलाभिषेक कर विसर्जन किया गया। भगवान् गणेश स्वयंका विसर्जन करवाकर यह बतलाना चाहते है कि संसार में कुछ भी अटल नहीं है अंत में सभी को पानी और मिट्टी में ही मिलना है।

 

आलोक दुबे फाउंडेशन के संस्थापक और “इंदौर का राजा” गणेशोत्सव के आयोजक श्री आलोक दुबे ने बताया कि हमारे पुराणों में भीवर्णित है कि भगवान् गणेश की मूर्ति मिट्टी की ही होनी चाहिए क्योंकि मिट्टी ही है जो कि पानी में घुलनशील है। साथ ही मिट्टी किसी भीतरह से पर्यावरण को हानि नही पहुंचाती है।

 इसी तर्ज पर इंदौर के राजा की भव्य मूर्ति का निर्माण भी कलाकारों के द्वारा मिट्टी से हीकिया गया था। मंगलवार को 12 फीट ऊंची इस गणेश प्रतिमा को गणोशोत्सव के बाद उसी जगह पर जलाभिषेक कर विसर्जितकिया गया। उसी मिट्टी से सीड बॉल बनाई जाएगी, जिससे की प्रकृति को उपहार दिया जाएगा। यह गेंद मिट्टी खाद, बोरिक पाउडर,लाल मिर्च और बीज को मिलाकर बनाई जाएगी। यह गेंद एक साल तक सुरक्षित रहती है और इसे धरती पर जहां भी फेंक दिया जाए,बारिश होते ही इससे पौधा उगना तय है।

 इसमें थोड़ी और मिट्टी मिलाकर दस हजार गेंदें तैयार की जाएंगी और नर्मदा के तटों कोसमर्पित कर उन्हें हरी चुनर ओढ़ाई जाएगी। इसमें मुख्य रूप से गुलमोहर और इमली के बीज होंगे। उन्होंने आगे कहा किहमने प्रकृति से मिट्टी लेकर भगवान् गणेश की मूर्ति का निर्माण किया और पुनः मिट्टी बनाकर प्रकृति को दे दिया। 

ज्ञात है कि इंदौर के राजा के सबसे बड़े और भव्य अस्थायी पंडाल को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड प्राप्त है, इसीलिए सम्पूर्ण प्रांगणमें विसर्जन के बाद भी किसी तरह की अस्वछता ना हो इसका पूरा ध्यान रखा गया। इसमें 30 हजार बांस, 20 हजार मीटर रनिंगकपड़ा, दो ट्रक थर्मोकोल का इस्तेमाल हुआ है। आयोजकों के अनुसार बांस और थर्मोकोल जिनसे लिए गए हैं, उन्हें लौटा दिए जाएंगेऔर कपड़ा प्रसाद के रूप में गरीब  पहनेंगे। 

 

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