इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी (आईजीआरयूए) ने 2021 में 19000 उड़ान घंटों का एक नया कीर्तिमान बनाया
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी ने रिकॉर्ड 121 कैडेटों को शामिल करके 2022 में 25000 उड़ान घंटा को प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी (आईजीआरयूए) की स्थापना साल 1986 में फुरसतगंज हवाई क्षेत्र में की गई थी। वर्तमान में यह उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में स्थित है। आईजीआरयूए, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत स्थापित एक स्वायत्त निकाय है और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव की पदेन अध्यक्षता वाली एक शासकीय परिषद इसका कामकाज देखती है।
अपनी स्थापना की भावना के अनुरूप आईजीआरयूए ने अपार उन्नति, अनुशासित प्रशिक्षण और आधुनिक प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे के जरिए प्रभुत्व के दर्शन का अनुपालन किया है। आईजीआरयूए एक प्रशिक्षण वातावरण प्रदान करता है, जो देश के किसी भी अन्य उड़ान प्रशिक्षण संस्थान से बेहतर है। बेड़ा, रखरखाव, सुरक्षा मानकों, जमीनी प्रशिक्षण, उड़ान प्रशिक्षण, हवाई क्षेत्र व प्रशिक्षण सहायता, प्रशिक्षकों और अंतिम लेकिन कम से कम खुद प्रशिक्षुओं से संबंधित मामलों में इसकी कोई बराबरी नहीं है। प्रशिक्षुओं के चयन के लिए साइकोमोटर (मनोप्रेरणा) कौशल को प्रमाणित करने के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर की सहायता से एक अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा- वोमबेट योग्यता जांच आयोजित की जाती है और अंत में एक साक्षात्कार लिया जाता है। अपने उच्च व्यापक मानकों के साथ आईजीआरयूए नागरिक उड्डयन का आईआईटी होने का दावा कर सकती है। यही वजह है कि पायलट बनने की चाहत रखने वालों के लिए आईजीआरयूए पहली पसंद है।
महामारी के चलते विमानन उद्योग में मंदी के बाद संभावित तेजी के लिए तैयारियों के जरिए और केंद्र सरकार के आत्मानिर्भर भारत पहल को बढ़ावा देने के लिए आईजीआरयूए ने विमानन उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्नातकों की संख्या को देखते हुए उड़ान की संख्या बढ़ाने के लिए सभी संभावित प्रयास किए हैं। साल 2021 के दौरान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी ने 19,000 उड़ान घंटे का कीर्तिमान बनाया। इससे पहले, पिछले पांच वर्षों के दौरान औसतन उड़ान परिणाम 15,000 घंटा प्रतिवर्ष था। वहीं, 2020 में यह 11,641 घंटा था। कोविड-19 महामारी के निरंतर प्रभाव और ताउते चक्रवात के चलते खराब मौसम की स्थिति के बावजूद आईजीआरयूए ने 2021 में 19,000 घंटे की इस उपलब्धि को प्राप्त किया। इस अवधि के दौरान, 66 कैडेटों ने पिछले वर्ष के दौरान 43 की तुलना में स्नातक किया है। इस दौरान 66 कैडेटों ने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। पिछले साल (2020) यह आंकड़ा 43 था। यह उपलब्धि तब और अधिक विशिष्ट हो जाती है, जब यह पिछले कई वर्षों के दौरान 24 की तुलना में 18 विमानों की कम बेड़े की शक्ति के साथ इसे प्राप्त किया जाता है। आईजीआरयूए ने पहले ही 2021 में रिकॉर्ड 121 कैडेटों को शामिल करके और 2022 में बेड़े की शक्ति का विस्तार करने के साथ 2022 में 25000 उड़ान घंटे के लक्ष्य को प्राप्त करने की नींव रख दी है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी के पास अविश्वसनीय बुनियादी ढांचा है। यहां एक विद्यालय उत्तीर्ण स्तर से एक आत्मविश्वासी वाणिज्यिक पायलट में एक व्यक्ति के परिवर्तित होने के लिए समर्पित एयरफील्ड व एयरस्पेस, 6080 फीट का रनवे, समांतर टैक्सी ट्रैक, एप्रन, नेविगेशन व लैंडिंग सहायता, हैंगर, एटीसी व अग्निशमन, विमानन ईंधन स्टेशन, 300 कैडेटों के रहने की जगह व बोर्डिंग के लिए छात्रावास/भोजनालय, आवासीय परिसर, खेल सुविधाएं, ऑडिटोरियम और अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां से प्रशिक्षित पायलट किसी भी प्रमुख व विश्वस्तरीय एयरलाइन्स में शामिल होने के लिए पात्र है।
परंपरागत तौर पर, आईजीआरयूए शुरुआत से फिक्स्ड विंग विमान पर सीपीएल पाठ्यक्रम, सीपीएल कैडेटों के लिए बीएससी (विमानन) में तीन वर्ष स्नातक कार्यक्रम, डीए 42 विमान पर सीआरएम और मल्टी क्रू कन्वर्जन पाठ्यक्रम, सीएफआईएस/एफआईएस/एफआईएस के लिए रिफ्रेशर पाठ्यक्रम, सीपीएल के नवीनीकरण के लिए कौशल परीक्षण और वैमानिकी व वायु-यान रखरखाव इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले छात्रों को नौकरी व्यावहारिक प्रशिक्षण का संचालन करता थी। शुरुआत से आईजीआरयूए ने देश में 1450 सबसे निपुण और कुशल विमान चालकों को तैयार किया है और अभी भी यह काम लगातार कर रही है। प्रशिक्षण के अतुलनीय मानकों के कारण आईजीआरयूए के स्नातक भारत और विदेशों के विमानन दिग्गजों की पसंद में शामिल हैं।
वैमानिकी को बढ़ावा देने और विकसित करने के अपने प्रमुख उद्देश्य को समझते हुए आईजीआरयूए ने विमानन के कई अन्य पहलों में खुद का विस्तार किया है। इनमें सूक्ष्म व लघु श्रेणी के ड्रोन पर पेशेवर आरपीएएस पायलट बनने के लिए ड्रोन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, ड्रोन प्रशिक्षकों के लिए ‘प्रशिक्षक को प्रशिक्षित करें’ पाठ्यक्रम और अंग्रेजी भाषा दक्षता (ईएलपी) पाठ्यक्रम शामिल हैं। इसके अलावा यह विमान रखरखाव इंजीनियरिंग (एएमई) पाठ्यक्रम को शुरू करके और पीपीएल/सीपीएल व एटीपीएल के लिए डीजीसीए की परीक्षा को लेकर छात्रों को तैयार करने के लिए जमीनी प्रशिक्षण प्रदान करके अपने पोर्टफोलियो का और अधिक विस्तार कर रही है।
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