नई दिल्ली । भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में अप्रैल महीने के दौरान मामूली विस्तार देखने को मिला है। यह सुधार अनुकूल मांग की स्थिति के बीच नए बिजनेस ऑडर्स में इजाफे के कारण देखा गया। यह बात एक मासिक सर्वे में कही गई है।
निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में सुधरकर 51.6 पर आ गया जो कि मार्च महीने के दौरान 51.0 पर रहा था। यह आंकड़ा पिछले महीने की तुलना में देश की विनिर्माण अर्थव्यवस्था के सेहत में तेज सुधार की स्थिति को दर्शाता है। मुद्रास्फीति के दबाव को लगातार दूसरे महीने नियंत्रित किया गया है। जुलाई 2017 और सितंबर 2017 के बाद क्रमशः इनपुट लागत और आउटपुट शुल्कों के लिए सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।
इस बीच, रिटेल मुद्रास्फीति में गिरावट के चलते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ रही हैं और विकास की रफ्तार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली द्वैमासिक मॉनीटरी पॉलिसी में आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों को यथावत (कोई बदलाव नहीं) रखा था। एमपीसी ने बीते साल अगस्त महीने से लगातार चौथी बार यथास्थिति बरकरार रखने का विकल्प चुना है।
वहीं यह लगातार नौवां महीना है जब मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इंडेक्स 50 के ऊपर बना हुआ है। आपको बता दें कि पीएमआई में 50 से ऊपर का स्तर विस्तार को और निचला स्तर संकुचन की स्थिति को दर्शाता है। आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और इस रिपोर्ट की लेखिका आशना डोढिया ने बताया, “भारती विनिर्माण अर्थव्यवस्था ने तिमाही दर तिमाही आधार पर तेजी हासिल की है।”
Comments are closed.