भारत के पहले ‘नेशनल नेटवर्क ऑफ सरवाइवर्स’ को लॉन्च करने के लिए शानदार समर्थन प्राप्त

 पूरे भारत के लोगों ने यौन हिंसा के शिकार बच्चों व महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली शर्मिंदगी और कलंक को समाप्त करने की शपथ ली

 

  • यौन हिंसा के हजारों सर्वाइवर्स ने 24 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और 200 जिलों की यात्रा पूरी की
  • देशभर के 25,000 सर्वाइवर्स, 2000 हितभागियों, 200 नीति-निर्माताओं, 2000 अधिवक्ताओं से रूबरू हुए
  • ‘सेफर इंडिया फॉर वुमेन ऐंड चिल्ड्रेन’ का विजन डॉक्युमेंट प्रस्तुत किया, इसमें महिलाओं व बच्चों पर होने वाली यौन हिंसा को रोकने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं

 

नई दिल्ली, 22 फरवरी, 2019: देश में बच्चों और महिलाओं पर होने वाले यौन अपराध को समाप्त करने के सामूहिक प्रयास में, डिग्निटी मार्च ने आज ‘नेशनल नेटवर्क ऑफ सरवाइवर्स’ के लॉन्च किये जाने की घोषणा की। डिग्निटी मार्च में हजारों की संख्या में ब्लात्कार और यौन हिंसा से बच निकलने वालों की सामूहिक पदयात्रा है और नेशनल नेटवर्क ऑफ सरवाइवर्स, भारत के 25 राज्यों और 250 जिलों के 25,000 सरवाइवर्स व उनके परिवार के सदस्यों को मोबिलाइज एवं ओरिएंट करने का पहला अखिल-भारतीय नेटवर्क है। सरवाइवर नेटवर्क के लॉन्च के साथ ही, डिग्निटी मार्च की ऐतिहासिक यात्रा भी दिल्ली में संपन्न हो गयी। इस यात्रा में पिछले पैंसठ दिनों में भारत के कोने-कोने से गुजरते हुए 10,000 किमी. की दूरी तय की गयी।  


ब्लात्कार के सरवाइवर्स एवं उनके परिजनों के नेतृत्व में और राष्ट्रीय गरिमा अभियान व इसके विभिन्न सहयोगियों के समर्थन से शुरू की गई, इस पहल ने एक ऐसा अनूठा मंच दिया, जिससे देश भर के बच्चों व महिलाओं ने बिना किसी शर्म के यौन शोषण से जुड़े अपने अनुभव बताये, और सामाजिक व्यवहार एवं नीतिगत सीमाओं के बीच के भारी अंतर को उजागर किया।

 

हजारों सरवाइवर्स और अन्य हितभागियों के विचारों के जरिए, डिग्निटी मार्च ने ‘सेफर इंडिया फॉर वुमेन ऐंड चिल्ड्रेन’ (महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित भारत) नामक विजन डॉक्युमेंट तैयार करने में मदद की। इस दस्तावेज में देश में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा को रोकने संबंधी मुख्य सुझाव, बच्चों के व्यावसायिक यौन शोषण को समाप्त करने हेतु प्रभावी कानून एवं नीति शामिल है। इस दस्तावेज में दिये गये सुझावों में अपराध पीड़ितों के निष्पक्ष एवं त्वरित ट्रायल हेतु न्यायिक सुधार; पॉस्को एक्ट 2012 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु वित्तीय प्रावधान और वार्षिक निगरानी ऑडिट्स; सरवाइवर्स की दो-उंगली वाले नियम की समाप्ति; वित्तीय, चिकित्सकीय, मनो-सामाजिक एवं ढांचागत सहयोग से पीड़ितों का व्यापक पुनर्वास; भारत के हर जिले में एक संपूर्ण रूप से क्रियात्मक एवं संसाधनयुक्त वन-स्टॉप आपदा केंद्र की स्थापना एवं अन्य शामिल हैं।

 

समापन कार्यक्रम में सुश्री शांता सिन्हा, पूर्व चेयरपर्सन, नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स; सुश्री निष्ठा सत्यम, कंट्री रिप्रेजेंटेटिव, यूएन वुमेन, इंडिया; डॉ. पीएम नायर, आईपीस (सेवानिवृत्त), पूर्व पुलिस महानिदेशक; सुश्री वृंदा ग्रोवर, अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय; सुश्री डगमार वाल्टर, निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन; प्रो. (डॉ.) जी. एस. बाजपेयी, रजिस्ट्रार, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली; सुश्री ऋचा चड्ढा और सुश्री चित्रांगदा सिंह, मशहूर बॉलीवुड कलाकार; सुश्री स्वाती चक्रवर्ती भटकल, निदेशक, सत्यमेव जयते टीवी शो ने रामलीला मैदान नें हजारों सरवाइवर्स को अपना समर्थन दिया। बच्चों और महिलाओं के यौन शोषण के खिलाफ खड़ा होने के लिए पुलिस अधिकारियों, अधिवक्ताओं एवं एक्सपर्ट्स को उनके असाधारण कार्य के लिए सम्मानित किया गया।

 

 

उन्होंने आगे बताया, “यह दुर्भाग्य की भी बात है कि जहाँ ब्लात्कार की घटनाओं को लेकर लोगों में काफी आक्रोश है, वहीं लाखों पीड़ित विशेषकर बच्चे व्यावसायिक यौन शोषण एवं सामुदायिक व्याभिचार के दलदल में फँसे हैं और समाज का कहना है कि चूंकि उन्होंने पैसा दिया है, इसलिए यह ब्लात्कार नहीं है। लेकिन यह सीरियल रेप का मामला है और जघन्य अपराध है। इस तरह के अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हेतु कठोर कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। आज डिग्निटी मार्च समाप्त हो सकता है, लेकिन यह यौन अपराधों के शिकारों के हितों की रक्षा और यौन अपराधियों के खिलाफ एक राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत है।”

 

भारतीय संसद ने हाल ही में बच्चों के यौन अपराधों (POCSO) अधिनियम के संशोधन को पारित करने के साथ, बच्चों और नाबालिगों के खिलाफ यौन हिंसा के इन अपराधियों को पकड़ने की क्षमता बढ़ाई है, जो उनके जघन्य कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। महिलाओं और बच्चों के साथ यौन हिंसा सबसे तेजी से फैले मानवाधिकार उल्लंघन की समस्याओं में से एक है और यह एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसका शीघ्रातिशीघ्र निराकरण आवश्यक है। नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 के अनुसार, बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध के दर्ज मामलों में 193% की वृद्धि  हुई है और यह वर्ष 2012 के 33,538 से बढ़कर वर्ष 2016 में 98,344 हो गई है, जबकि महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में 35.73% की वृद्धि हुई है, और यह वर्ष 2012 के 2,37,931 से बढ़कर वर्ष 2016 में 3,22,949 हो गयी है।

 

 

 

Comments are closed.