भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने 32 बांग्लादेशी मछुआरों की जान बचाई और दोनों तटरक्षकों के बीच मौजूदा समझौते के अनुसार बांग्लादेश तटरक्षक (बीसीजी) को उन्हें सौंप दिया। भारतीय तटरक्षक जहाज वरद ने भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पर नौकाएं पलटने के बाद 32 बांग्लादेशी मछुआरों को बचाया और उन्हें सुरक्षित रूप से बांग्लादेश तटरक्षक जहाज ‘ताजुद्दीन (पीएल-72)’ को सुपुर्द कर दिया। बांग्लादेश तटरक्षक ने बांग्लादेशी मछुआरों की जान बचाने की मानवीय भूमिका के लिए भारतीय तटरक्षक को धन्यवाद दिया है।
बांग्लादेशी मछुआरों की नावें चक्रवाती मौसम/ समुद्री दबाव के दौरान पलट गई थीं, यह नौकाएं 19-20 अगस्त 2022 के बीच बांग्लादेश एवं पश्चिम बंगाल के तट के साथ-साथ चल रही थीं। नौकाओं के पलटने के लगभग 24 घंटे बाद जब इन मछुआरों को दिनांक 20 अगस्त 2022 को भारतीय तटरक्षक जहाजों और विमानों द्वारा देखा गया था तब इनमें से अधिकांश मछुआरे अशांत समुद्र में नेट्स/तैरने वाले उपकरणों से चिपके हुए पाए गए थे और जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे थे। 32 बांग्लादेशी मछुआरों में से 27 को भारतीय तटरक्षक द्वारा गहरे पानी में बचाया गया था और शेष 05 को भारतीय मछुआरों द्वारा उथले क्षेत्र में बचाया गया था।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा ‘कम दबाव क्षेत्र’ के पूर्वानुमान के पहले संकेत के साथ भारतीय तटरक्षक ने अपने जहाजों / विमानों और पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा राज्य में सभी तटवर्ती इकाइयों को सतर्क कर दिया था। भारतीय तटरक्षक कम दबाव/ चक्रवात के पैदा होने की संभावित स्थिति के दौरान आवश्यक उपाय करने के लिए मत्स्य पालन और स्थानीय प्रशासन को सलाह जारी करने के लिए दैनिक मौसम अपडेट की निगरानी करता है। भारतीय तटरक्षक आसन्न मौसम/ चक्रवात से उत्पन्न जोखिमों को कम करने के लिए पश्चिम बंगाल और ओडिशा के संबंधित राज्यों के नागरिक प्रशासन, मत्स्य अधिकारियों तथा स्थानीय मछली पकड़ने वाले / ट्रॉलर संगठनों के साथ करीबी समन्वय में काम कर रहा है।
अपने कर्तव्यों के चार्टर के अंतर्गत भारतीय तटरक्षक अक्सर समुद्री खोज और बचाव अभियान चलाता है। भारतीय तटरक्षक न केवल संकट में फंसे मछुआरों और नाविकों को राहत प्रदान करता है, बल्कि मानवीय सहायता भी प्रदान करता है। यह ऑपरेशन सभी बाधाओं के खिलाफ समुद्र में कीमती जीवन की रक्षा के लिए भारतीय तटरक्षक की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस तरह के सफल खोज और बचाव अभियान न केवल क्षेत्रीय एसएआर ढांचे को मजबूत करेंगे बल्कि पड़ोसी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ाएंगे।
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