नई दिल्ली। रूस और भारत के बीच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के करार से अमेरिका ने गहरी नाराजगी जताई थी। इस डील से पहले कई बार अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत ने यह करार किया, तो वह भारत के विरुद्ध दंडात्मक प्रतिबंध लागू करेगा। इसके बाद भी भारत ने रूस के साथ इस करार से पीछे नहीं हटा। भारत की भू-रणनीतिक स्थिति के दबाव में बाद में अमेरिका कार्रवाई से पीछे हट गया और रूस के साथ हुए इस करार पर भारत को विशेष छूट देने को राजी हो गया।
हालांकि यह बात किसी से छिपी नहीं थी कि अमेरिका इस डील से खुश नहीं था। अब नई दिल्ली एक बार फिर दोनों देशों के आपसी संबंधों में संतुलन साधने की तैयारी में है। भारत अब अमेरिका के साथ एक डिफेंस डील करने की तैयारी कर रहा है। भारत सरकार ने ट्रंप प्रशासन से 24 ‘रोमियो’ एमएच-60 हैलिकॉप्टर खरीदने की इच्छा जताई है। भारत सरकार ने इन लड़ाकू हैलिकॉप्टरों की खरीद के लिए अमेरिकी प्रशासन को 13,500 करोड़ रुपए का ‘लेटर ऑफ रिक्वेस्ट’ भेजा है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भारत टोरपीडो जैसे हथियार और ऐंटी-सबमरीन मिसाइल के रखरखाव के जरूरी उपकरणों की खरीदारी की यह डील जल्द से जल्द करने का इच्छुक है।
भारतीय नेवी के जंगी बेड़े को और ताकत देने के लिहाज से सरकार इस डील को 2020-2024 तक पूरा करने के मूड में है। भारत-अमेरिका सरकारों के बीच एमएच-60 हैलिकॉप्टर्स खरीद पर बातचीत की जा रही है। इस हैलीकाप्टर की निर्माता शिकोर्स्की-लोकहीड मार्टिन कंपनी है। यह अमेरिका की विदेश मिलिटरी सेल्स प्रोग्राम का हिस्सा है। भारत को उम्मीद है कि वह एक साल के भीतर इस डील पर अमेरिका के साथ हाथ मिला लेगा। रक्षा सौदों के लिहाज से देखें, तो 2007 से अब तक अमेरिका भारत के साथ इस क्षेत्र में अपने व्यापार को 17 बिलियन डॉलर तक बढ़ा चुका है। पिछले एक दशक का आकलन करें, तो बीते 3-4 सालों में अमेरिका अब भारत को रूस से ज्यादा मिलटरी उपकरणों की आपूर्ति करा रहा है।
इससे पहले रूस के साथ हुई एस-400 एयर डिफेंस डील के बाद ट्रंप सरकार काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट (काट्सा) के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाने के हक में थी। अमेरिका के रक्षा सचिव जिम मैटिस और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भारत को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा छूट’ दिलाने के लिए मजबूती के साथ भारत का पक्ष रखा था। अमेरिका के इस घरेलू कानून के मुताबिक अगर कोई देश ईरान, उत्तर कोरिया या रूस के साथ लेन-देन का संबंध रखता है, तो वह अमेरिकी प्रतिबंधों का शिकार होगा। हालांकि भारत इन नियमों में विशेष छूट हासिल करने में कामयाब रहा। इस डील के अलावा भारत अमेरिका के साथ कुछ अन्य रक्षा सौदों पर भी विचार कर रहा है।
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