न्यूज़ डेस्क : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए भारत के चुनाव पर चीन ने शुक्रवार को कोई खास तवज्जो नहीं दी। चीन ने कहा कि एक स्थायी सदस्य के तौर पर वह संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष संस्था के सभी नवनिर्वाचित सदस्यों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहेगा। जर्मनी, नॉर्वे और युक्रेन जैसे देशों ने जहां शानदार जीत पर भारत को बधाई दी वहीं चीन की तरफ से न तो ऐसा किया गया और न ही उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने नाम लेकर भारत का उल्लेख किया।
भारत-चीन के बीच मौजूदा सैन्य तनाव के बीच संयुक्त राष्ट्र के 192 सदस्यों में से 184 का समर्थन हासिल कर प्रचंड बहुमत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिये भारत की जीत पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने भारत के नाम का उल्लेख नहीं किया।
झाओ ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के मुताबिक सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बरकरार रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र है। स्थायी सदस्य के तौर पर चीन परिषद के नव निर्वाचित अस्थायी सदस्यों समेत सभी पक्षों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहेगा जिससे घोषणापत्र के तहत मिले दायित्व का संयुक्त रूप से निर्वहन किया जा सके।’
चीन कई सालों से संयुक्त राष्ट्र की इस शक्तिशाली संस्था का सदस्य बनने की भारत की राह में सर्वसम्मति के नाम पर रोड़े अटकाता रहा है। जबकि चार अन्य स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस उसकी सदस्यता का समर्थन करने की मंशा जाहिर कर चुके हैं। चीन ने पहले कहा था कि सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर सदस्यों में काफी मतभेद है और सभी पक्षों के हितों व चिंताओं को जगह देने के लिए व्यापक समाधान तलाशा जाना चाहिए।
एशिया-प्रशांत राष्ट्रों के समूह की तरफ से समर्थित उम्मीदवार भारत को बुधवार को हुए चुनावों में सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए पड़े कुल 192 मतों में से 184 मत मिले थे। भारत के साथ नॉर्वे, आयरलैंड और मैक्सिको एक जनवरी 2021 से अगले दो साल के लिये सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुए हैं। यह आठवां मौका है जब भारत को परिषद की सदस्यता के लिए चुना गया है।
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