उज्जैन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा भारत माता की पूजा करना है तो भारत को जानो और अपना जीवन भारत के लिए अर्पित कर दो। टेक्नोलॉजी के दौर में परमानंद पाने का उपाय केवल भारत के पास है। आज समरस और शोषणमुक्त जीवन जीने की आवश्यकता है। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के पास नवनिर्मित भारत माता मंदिर के लोकार्पण समारोह में संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने धर्म, अध्यात्म और सुख-शांति से जीवन जीने का संदेश देते हुए पाश्चात्य संस्कृति पर प्रहार किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता साध्वी ऋतंभरा ने की। साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि जब दुनिया भौतिकता से त्रस्त हो जाती है तो वह भारत की ओर देखती है। हर समय खुशहाल रहने की कला केवल भारत ही दुनिया को सिखा सकता है।
ऐसे बना मंदिर –
-16 मई 1931 को 13 बीघा जमीन दान में मिली थी।
-7 बीघा जमीन पर भारतमाता मंदिर की योजना बनी।
– 2008 में स्वामी सत्यमित्रानंदजी की उपस्थिति में मंदिर निर्माण का भूमिपूजन।
– 24 मई 2012 को मंदिर निर्माण आरंभ हुआ।
समरसता के एजेंडे के साथ शिविर भी समाप्त संघ का तीन दिवसीय शिविर भी गुरवार को समाप्त हो गया। शिविर में सामाजिक समरसता ही मुख्य एजेंडा रहा। अनुषषंगिक संगठनों ने अनुभव साझा किए। साथ ही नए लक्ष्य भी दिए गए। बता दें कि संघ प्रमुख भागवत की अगुवाई में 2 जनवरी से समन्वय शिविर आयोजित किया गया था।
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