भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ITBP की 60 से ज्यादा कंपनियों को किया तैनात

न्यूज़ डेस्क : चीन के साथ पूर्वी लद्दाख और एलएसी पर चल रहे तनाव के बीच भारत किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहता है और इसके लिए सरकार लगातार सैन्य ताकत को बढ़ा रही है। इसके मद्देनजर भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की 60 से ज्यादा कंपनियों को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात किया जा रहा है।

 

 

सरकार के इस कदम के बाद निकट भविष्य में इस अर्धसैनिक बल को आंतरिक सुरक्षा संबंधी कार्य सौंपे जाने की उम्मीद नहीं है। सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि बल को जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्रालय से नौ नई बटालियन के गठन की मंजूरी दिए जाने की भी तैयारी है।

 

 

उन्होंने कहा कि चीन के साथ लगने वाली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा पर जवानों की संख्या बढ़ाने के लिए 60 कंपनियों को लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में सीमा की ओर जाने को कहा गया है। बता दें कि आईटीबीपी की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं। उन्होंने कहा कि 60 कंपनियों में से 40 कंपनियां पहले ही विभिन्न राज्यों में सीमा बटालियन शिविरों में पहुंच गई हैं और जवान सीमा पर भेजे जाने से पहले वहां की जलवायु में ढलने के साथ ही कोरोना पृथक-वास की अवधि पूरी कर रहे हैं।

 

 

उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में आईटीबीपी को कानून-व्यवस्था बनाए रखने में राज्य पुलिस की सहायता करने, विभिन्न त्योहारों के दौरान तैनाती और बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों जैसे आंतरिक सुरक्षा के कार्यों में तैनात किये जाने की उम्मीद नहीं है क्योंकि उनकी अधिकतम मौजूदगी की जरूरत एलएसी से लगे अग्रिम इलाकों में है।

 

अधिकारियों ने कहा कि सरकार और बटालियन गठित किए जाने पर भी विचार कर रही है जिससे अगले दो सालों में उन्हें तैयार कर संचालन के लिए तैयार किया जा सके। दो नई कमान चंडीगढ़ (पश्चिमी कमान) और गुवाहाटी (पूर्वी कमान) की हालिया मंजूरी के साथ ही बल में ज्यादा कर्मियों की आवश्यकता है।

 

उन्होंने कहा कि अर्धसैनिक बल की 8-9 नई बटालियन (एक बटालियन में करीब 1000 कर्मी होते हैं) गठित करने का प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास विचारार्थ है और इसपर जल्द ही फैसला लिए जाने की उम्मीद है। गौरतलब है कि आईटीबीपी के पास फिलहाल 34 सीमा बटालियन हैं और चीन के साथ लगी एलएसी पर उसकी 180 चौकियां हैं।

 

 

Comments are closed.