भारत और न्यूज़ीलैंड ने किया स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का समर्थन: प्रधानमंत्री मोदी
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच सहयोग और साझेदारी का एक नया अध्याय उस समय लिखा गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों का उद्देश्य एक स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को सुनिश्चित करना है। यह बयान प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस हिपकिंस के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान दिया। यह संयुक्त बयान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग के संदर्भ में।
भारत और न्यूज़ीलैंड का बढ़ता द्विपक्षीय सहयोग
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच राजनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों की लंबी और समृद्ध परंपरा रही है। दोनों देशों ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समान विचारधारा का अनुसरण किया है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की ओर काम करने की दिशा में सहयोग शामिल है।
प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री क्रिस हिपकिंस ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सामरिक महत्व को समझते हुए एक स्वतंत्र और खुले समुद्री मार्ग को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। यह क्षेत्र न केवल समुद्री मार्गों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार और सुरक्षा के लिए भी केंद्रीय भूमिका निभाता है।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत और न्यूज़ीलैंड दोनों ही देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित बनाएं। यह सिर्फ हमारी दोनों देशों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए जरूरी है, बल्कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है।”
मोदी ने आगे कहा, “हमें विश्वास है कि भारत और न्यूज़ीलैंड का सहयोग इस क्षेत्र में और भी मजबूत होगा, जिससे हमारे देशों के बीच संपर्क और साझेदारी बढ़ेगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह क्षेत्र सभी देशों के लिए खुला और सुरक्षित रहे, ताकि समृद्धि और विकास के नए अवसर पैदा हों।”
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का महत्व
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, जो हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित है, आज वैश्विक व्यापार और रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है। यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों का घर है, जिनके माध्यम से लाखों टन व्यापारिक माल का आवागमन होता है। इसके अलावा, यह क्षेत्र विभिन्न देशों के बीच भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का भी केंद्र बन गया है, जिसमें चीन और अमेरिका जैसी शक्तियों का प्रभाव दिखाई देता है।
भारत और न्यूज़ीलैंड का मानना है कि इस क्षेत्र का भविष्य एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर निर्भर करेगा, जो किसी भी देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है।
भारत और न्यूज़ीलैंड के सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
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सुरक्षा और रक्षा: भारत और न्यूज़ीलैंड दोनों ही देशों के बीच सैन्य सहयोग मजबूत हो रहा है। संयुक्त सैन्य अभ्यास, सूचना साझा करना, और रणनीतिक साझेदारी इस क्षेत्र में बढ़ती जा रही हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा पर सहयोग बढ़ाने से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर एक मजबूत संदेश जाएगा।
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व्यापार और अर्थव्यवस्था: दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों पर विचार किया है। न्यूज़ीलैंड, भारत के लिए कृषि उत्पादों का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है, जबकि भारत न्यूज़ीलैंड के लिए आईटी और सेवा क्षेत्र में एक बड़ा बाजार है।
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जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन पर सहयोग भी दोनों देशों की प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री हिपकिंस ने जलवायु संकट को हल करने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।