चंडीगढ़। हरियाणा में जाटों समेत छह जातियों को आरक्षण देने के मामले में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किए गए सर्वे पर सवाल उठने लगे हैं। लोगों की राय जानने के लिए आयोग ने राज्य सरकार से कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा मांगने के अलावा ऑनलाइन सर्वे किया था। सरकार की ओर से तो आंकड़ा मिल गया, लेकिन ऑनलाइन सर्वे में करीब ढाई करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में सिर्फ सवा पांच सौ लोगों ने भागीदारी की है।
हरियाणा के ढाई करोड़ लोगों में से सिर्फ 537 ने रखी राय
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में जाटों के अलावा जट्ट सिख, मुल्ला जाट, त्यागी, रोड़, बिश्नोई समेत छह जातियों को ओबीसी कोटे में आरक्षण प्रदान करने का विवाद लंबे समय से चल रहा है। पिछली हुड्डा और मौजूदा भाजपा सरकार ने इन छह जातियों को दस फीसद आरक्षण दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए आयोग से नई सर्वे रिपोर्ट मांगी है। हरियाणा सरकार ने हाल ही में ओबीसी आयोग को कर्मचारियों की जातिगत रिपोर्ट सौंपी है, जिस पर पहले से काफी विवाद है।
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति समेत कई संगठन इस रिपोर्ट पर आपत्ति जता चुके हैैं। इसके बाद आयोग द्वारा नए सिरे से फिजिकल सर्वे की तैयारी की जा रही है। ओबीसी आयोग ने ऑनलाइन सर्वे भी रिपोर्ट भी जारी की है, जिस पर सवाल उठ रहे हैैं। सर्वे में आरक्षण पर लोगों से सुझाव एवं आपत्तियां मांगी थी। इसके लिए पहले 30 नवंबर 2017 अंतिम तिथि तय की गई। बाद में इसे 31 दिसंबर तक बढ़ाया गया।
इस अवधि के दौरान मात्र 537 लोगों ने ही अपनी राय जाहिर की है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 2.58 लाख अधिकारी व कर्मचारी काम करते हैं। सरकार 2,41,937 कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा जुटाने में सफल हो पाई है। मुख्य सचिव द्वारा बार-बार चेताए जाने के बावजूद करीब 16 हजार कर्मचारियों ने जानकारी नहीं दी है।
प्रदेश में इस समय प्रथम श्रेणी में कुल 4690, द्वितीय श्रेणी में 30,443, तृतीय श्रेणी के पदों पर 1,70,233 और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर कुल 36,568 कर्मचारी तैनात हैं। कर्मचारियों का जो जातिगत डाटा सरकार ने दिया है वह बेस ईयर पर आधारित है।
News Source :- www.jagran.com
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