न्यूज़ डेस्क : वैसे तो इनकम टैक्स विभाग के सभी नियम स्पष्ट हैं, लेकिन इस बीच कई ऐसे नियम भी हैं, जिनके बारे में आयकरदाताओं को पता नहीं होता। कोरोना काल में अब तक देश में एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। आमतौर पर हम सोचते हैं कि के मृत्यु के बाद हनें आयकर रिटर्न नहीं भरना होता । लेकिन ऐसा नहीं है।
कानून के अनुसार, हर उस व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करना अनिवार्य है, जिसकी आमदनी संबंधित वित्त वर्ष में टैक्सेबल लिमिट में आती हो, चाहे उसकी मृत्यु भी क्यों ना हो गई हो। आइए जानते हैं इस नियम से जुड़ी जरूरी जानकारी।
आपकी मृत्यु के बाद कौन भरेगा आयकर?
आयकर कानून 1961 की धारा 159 के तहत अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके कानूनी उत्तराधिकारी को कर का भुगतान करना होता है। इसलिए अगर आप कानूनी उत्तराधिकारी हैं, तो आपको सबसे पहले आयकर विभाग से संपर्क कर खुद को मृतक के कानूनी प्रतिनिधि के रूप में पंजीकृत कराना होगा।
वसीयत न होने पर कौन होगा उत्तराधिकारी?
वहीं, अगर करदाता की वसीयत नहीं है, तो भारतीय उत्तराधिकारी नियम के अनुसार, जो व्यक्ति मृतक की संपत्ति हासिल करेगा, उसके आयकर संबंधी दायित्वों का भी उसे ही पालन करना होगा।
कैसे होगी आय की गणना?
इस बीच एक अहम सवाल ये खड़ा होता है कि मृतक की आय की गणना कैसे होगी क्योंकि इसी के आधार पर उत्तराधिकारी को आयकर भरना होगा। नियम के अनुसार, वित्त वर्ष की शुरुआत से मृत्यु होने तक अर्जित आय को मृतक की आय माना जाता है। मृतक से विरासत में मिली संपत्ति से अर्जित आय को आयकर योग्य माना जाता है।
उत्तराधिकारी की क्या है जिम्मेदारी?
उत्तराधिकारी को मृतककी जिम्मेदारी लेनी होती है और उसका रिटर्न दाखिल कर आयकर भरना होता है। मालूम हो कि अगर मृत्यु से पहले कोई नोटिस जारी होता है, तो उसकी जिम्मेदारी भी उत्तराधिकारी की ही होगी। उसकी कार्रवाई मृत्यु की तारीख से वारिस के खिलाफ जारी रह सकती है।
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