फिर आ सकती है सबसे ज्यादा नौकरी देने वाली इस सेक्टर में मंदी, गाड़ियों होंगी महँगी

न्यूज़ डेस्क : कोरोना काल के बाद सरकार अर्थव्यवस्था को दुबारा पटरी पर लाने की पूरी कोशिश कर रही है। इसके लिए घरेलू निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने और विदेशी कंपनियों से भारत में ही निर्माण को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई गई है, जिससे उत्पादन के साथ-साथ रोजगार के मोर्चे पर भी बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।

 

 

लेकिन प्रमुख धातुओं और प्लास्टिक के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि से सरकार की योजना पर पानी फिर सकता है। इससे वाहनों, घरेलू उपयोग के सामानों के साथ-साथ निर्माण उद्योग की प्रमुख चीजों के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है जिसका असर इन क्षेत्रों में मंदी और नौकरियों में छंटनी के रूप में सामने आ सकता है।

 

 

कितने बढ़े दाम

निर्माण क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली प्रमुख धातु एल्यूमिनियम की कीमतें केवल एक महीने के अंदर 78 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 136 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी हैं। इसी प्रकार सबसे प्रमुख धातु स्टेनलेस स्टील का भाव 145 रुपये से बढ़कर 160 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुका है। पीतल के दाम 37 से बढ़कर 44 रुपये प्रति किलो, कॉपर का मूल्य 47 रुपये प्रति किलो से 57 रुपये प्रति किलो तक हो चुका है।

 

 

धातुओं के अलावा घरेलू उपयोग की चीजों से लेकर निर्माण उद्योग में प्लास्टिक का खूब उपयोग होता है। लेकिन इसके दामों में भी तेज उछाल आया है। केवल एक महीने में 140 रुपये प्रति किलो मिलने वाले कच्चे प्लास्टिक का मूल्य बढ़कर 280 रुपये तक पहुंच चुका है।

 

 

चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन ब्रजेश गोयल ने कहा कि सरकार नाम तो औद्योगिक बढ़ावा का लेती है, लेकिन उसके काम देश को आर्थिक मंदी में झोंकने वाले होते हैं। धातुओं-प्लास्टिक की दामों का सीधा असर घरेलू उपयोग के सामानों पर पड़ेगा जो औद्योगिक क्षेत्र को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाता है।

 

 

इसी प्रकार धातुओं के दामों में वृद्धि का सीधा असर सरिया, खिड़की, दरवाजे, ग्रिल, बर्तन, गाड़ियों के ऊपर पड़ेगा। गोयल ने कहा कि जो उद्योग कोरोना काल की वजह से पहले से ही मंदी की मार झेल रहे हैं, इनके कारण वे अब एक और मंदी की चपेट में जा सकते हैं जिसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है।

 

इसके कारण अनेक क्षेत्रों में नौकरियों पर भी मार पड़ सकती है जो अतिरिक्त परेशानी का कारण बन सकता है। सरकार को व्यापारियों की मांग पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और धातुओं-प्लास्टिक की आपूर्ति सस्ते दामों को सुनिश्चित करना चाहिए।

 

 

 

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