देश में पिछले पांच वर्षों में उच्च शिक्षा में बच्चों का रुझान बढ़ा ,पीएचडी करने वालों की संख्या 60 प्रतिशत बढ़ी
न्यूज़ डेस्क : शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (एआईएसएचई) रिपोर्ट 2019-20 जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों (आईएनआई) की संख्या 2015 में 75 से बढ़कर 2020 में 135 हो गई है। पिछले पांच वर्षों में पीएचडी करने वालों की संख्या में भी 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है कि इस बात की घोषणा करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है कि अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (एआईएसएचई) रिपोर्ट 2019-20 जारी कर दी गई है। जैसा कि आप देख सकते हैं, हमने जीईआर, जेंडर समता सूचकांक में सुधार किया है। इसके साथ ही राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संख्या में 60% की बढ़ोतरी हुई।
उच्च शिक्षा में दाखिला लेने वाली छात्राओं की संख्या में इजाफा
2015-16 से लेकर 2019-20 तक यानी बीते पांच वर्षों में उच्च शिक्षा में दाखिला लेने वाले छात्रों में 11.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। एआईएसएचई की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि के दौरान उच्च शिक्षा में महिला नामांकन में 18.2 फीसदी की बढ़ोतर दर्ज की गई है। वहीं उच्च शिक्षा में कुल नामांकन में 3.04 प्रतिशत का सुधार देखा गया है। 2018-19 में 3.74 करोड़ की तुलना में 2019-20 में कुल 3.85 करोड़ नामांकन हुए हैं। यानी तकरीबन 11.36 लाख (3.04 प्रतिशत) की वृद्धि दर्ज की गई है।
जीईआर में 0.8 फीसदी की बढ़ाेतरी की गई है दर्ज
सकल नामांकन अनुपात (ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो- जीईआर) में 0.8 फीसदी अंकों का सुधार हुआ है। जीईआर का मतलब 18 से 23 वर्ष की उम्र वालों की तुलना में उच्च शिक्षा में दाखिला लेने वाले की संख्या का अनुपात। बता दें कि 2019-20 में जीईआर 27.1, 2018-19 में 26.3और 2014-2015 में 24.3 फीसदी रहा है।
85 फीसदी ने इन छह प्रमुख विषयों में लिया दाखिला
एआईएसएचई की रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में, 3.38 करोड़ छात्रों ने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के कार्यक्रमों में दाखिला लिया है। इनमें से लगभग 85 प्रतिशत छात्र (2.85 करोड़) मानविकी, विज्ञान, वाणिज्य, इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी, चिकित्सा विज्ञान एवं आईटी व कंप्यूटर जैसे छह प्रमुख विषयों में प्रवेश लिया है। इसके अलावा 2019-20 में शिक्षकों की कुल संख्या 15,03,156 रही। जिसमें 57.5 प्रतिशत पुरुष और 42.5 प्रतिशत महिला शिक्षक शामिल हैं।
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