इस कोरोना वैक्सीन से समय के साथ बढ़ती रहती है इम्युनिटी : रिपोर्ट

न्यूज़ डेस्क : कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीनेशन को वैज्ञानिक सबसे प्रभावी हथियार मान रहे हैं। संक्रमण से सुरक्षा के लिए दुनियाभर में अब तक कई कंपनियों ने वैक्सीन तैयार कर ली है, हालांकि जिस तरह से कोरोना के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट्स सामने आ रहे हैं, ऐसे में वैक्सीन की प्रभावशीलता को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। हाल के कुछ अध्ययनों में कहा जा रहा है कि कोरोना के नए वैरिएंट्स शरीर में बनी प्रतिरोधक क्षमता को आसानी से चकमा दे सकते हैं, ऐसे में कौन सी वैक्सीन इन नए वैरिएंट्स पर ज्यादा असरदार हो सकती है, इस बारे में जानने के लिए लगातार शोध किया जा रहा है।

 

 

 

कोरोना के नए वैरिएंट्स पर वैक्सीन की प्रभाविकता को लेकर किए जा रहे अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने स्पूतनिक-वी वैक्सीन को कोरोना के घातक डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ असरदार साबित होने का दावा किया है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि स्पूतनिक-वी वैक्सीन का डोज दिए जाने के बाद शरीर में समय के साथ एंटीबॉडीज का स्तर बढ़ता जाता है। ऐसे में इस वैक्सीन को काफी हद तक असरदार माना जा सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

 

समय के साथ बढ़ती हैं एंटीबॉडीज

अर्जेंटीना के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारियों के मुताबिक स्पूतनिक-वी वैक्सीन लेने वालों के शरीर में प्रतिरक्षा प्रदान करने वाली एंटीबॉडीज का स्तर बढ़ता है। इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 1800 लोगों के रक्त का सैंपल लेकर उसका अध्ययन किया। अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनियाभर में इस बात को लेकर चिंता है कि वैक्सीनेशन के कुछ महीनों बाद एंटीबॉडीज कम होने लगती हैं, हालांकि स्पूतनिक-वी वैक्सीन लेने वालों में 21, 42, 120 और 180 दिनों के बाद लिए गए सैंपल में एंटीबॉडीज का स्तर बढ़ता हुआ देखा गया है। 

 

 

 

लंबे समय तक मिल सकती है सुरक्षा

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि रक्त के सैंपल की जांच में पाया गया है कि इस वैक्सीन के बाद शरीर में समय के साथ एंटीबॉडीज और मजबूत होती जाती हैं, जिससे लोगों को लंबे समय तक कोरोना के संक्रमण से सुरक्षा मिल सकती है। इतनी ही नहीं स्पूतनिक-वी वैक्सीन को डेल्टा जैसे कोरोना के कई बेहद संक्रामक वैरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी भी पाया गया है।

 

 

 

डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण से मिल सकती है सुरक्षा

घातक डेल्टा वैरिएंट पर वैक्सीनों की प्रभाविकता की जांच कर रहे वैज्ञानिकों ने स्पूतनिक-वी वैक्सीन को असरदार पाया है। मेडरेक्सिव प्रीप्रिंट सर्वर पर पोस्ट किए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों का कहना है कि रूस की स्पूतनिक-वी वैक्सीन डेल्टा संस्करण के खिलाफ असरदार हो सकती है। लगभग 14,000 लोगों पर किए गए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि दो-खुराक वाली इस वैक्सीन को लेने वाले लोगों में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमण की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम 81 फीसदी तक कम हो सकता है। इतना ही नहीं यह वैक्सीन फेफड़ों को गंभीर क्षति से भी सुरक्षित रखने में असरदार साबित हुई है।

 

 

 

क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि स्पूतनिक-वी के दोनों शॉट ले चुके लोगों में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु की आशंका कम होती है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि वैक्सीन की प्रभावकारिता  पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थोड़ी बेहतर हो सकती है। पुरुषों में जहां इस वैक्सीन को 76 फीसदी असरदार पाया गया, वहीं महिलाओं में इसकी प्रभावकारिता 84 फीसदी तक पाई गई है। सेंट पीटर्सबर्ग में यूरोपीय विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञानी एंटोन बारचुक के नेतृत्व वाली टीम ने इस अध्ययन को किया। प्रोफेसर बारचुक कहते हैं, अध्ययन के डेटा से पता चलता है कि स्पूतनिक वी वैक्सीन कोरोना के मौजूदा हालात में काफी असरदार मानी जा सकती है।

 

 

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