न्यूज़ डेस्क : कोरोना महामारी से लड़ने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी-मद्रास) और स्टार्ट अप मॉड्यूलस हाउसिंग ने एक पोर्टेबल अस्पताल विकसित किया है। इसकी खासियत यह है कि इसे दो लोग मिलकर चार घंटे में कहीं भी तैयार कर सकते हैं। कोरोना के खिलाफ जंग में पोर्टेबल अस्पताल अहम भूमिका निभा सकता है। कोरोना महामारी के दौरान जहां आइसोलेशन की सुविधा मौजूद नहीं है। वहां इस पोर्टेबल अस्पताल के जरिए संक्रमितों को क्वारंटीन कर इलाज करने में मदद मिलेगी।
इस मेडिकैब को पूरी तरह से फोल्डेबल बनाया गया है, इसकी वजह से इसके ट्रांसपोर्टेशन का भी खर्च कम है। इसमें चार जोन हैं। एक डॉक्टर रूम, एक आइसोलेशन रूम, एक मेडिकल रूम या वार्ड और दो बेड वाले आईसीयू की भी व्यवस्था है। इसे हाल ही में केरल के वायनाड में लॉन्च किया गया, जहां इसकी यूनिट्स को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए लगाया गया था।
ऐसे माइक्रो अस्पताल विकसित करने के पीछे मकसद स्मार्ट हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना था। जिसे आसानी से देश के अलग-अलग हिस्सों में संचालित किया जा सके।आईआईटी-मद्रास ने गुरुवार को बताया कि केरल में ये डिप्लॉयमेंट हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटीस टेरविल्लिगर सेंटर फॉर इनोवेशन इन शेल्टर के ग्रांट के साथ किया गया।
मॉड्यूलस हाउसिंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीराम रविचंद्रन ने बताया कि केरल में इस पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों से मौजूदा समय में छोटे अस्पातालों की जरूरतों को समझा जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह गांवों में बेहद ही सफल हो सकता हैं। क्योंकि कोराना के दौर में शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद थे, जिन्हें तुरंत कोरोना के अस्पतालों में बदल दिया गया, लेकिन गांवों में ऐसा करना संभव नहीं है। ऐसे जगहों पर इस मेडिकैब के जरिए कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में मदद मिल सकती है।
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