हिम्मत और ईमानदारी है तो सफलता मिलना तय

इंदौर। सिर्फ मेरी ही नही बल्कि हर एक व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने का एक सपना हमेशा से मेरी आँखों मे पल रहा था। तब शुरुवात हुई एक एक्वा प्रूफ की। इन विचारों को व्यक्त किया एक्वा प्रूफ एमडी बीएल  माहेश्वरी  ने।
मंजिले उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है
जी हां इसी तरह के हौसलों की उड़ान राजस्थान के एक छोटे से गांव में चोमू जन्मे श्री  बी एल माहेश्वरी ने उड़ी है। महज ₹550 की नौकरी से शुरुआत करने वाले श्री माहेश्वरी नौकरी करते हुए ढाई लाख रुपए तक की बड़ी पगार तक पहुंचे , लेकिन मन में कुछ और ही था ।  इसलिए नौकरी छोड़ खुद का काम शुरू किया , क्योंकि मन में यह चाहत थी कि अब एम्पलाई नहीं एंपलॉयर बना जाए अपना काम जीरो से शुरू करते हुए आज चंद सालों में ही 100 करोड़ के टर्नओवर तक लाकर खड़ा कर दिया एक समय था जब नौकरी करते हुए आलीशान कारों में घूमा करते थे और जब खुद का काम शुरू किया तो एक ही स्कूटर पर आ गए अपने नए कार्य की शुरुआत मैं अपने दफ्तर में वह खुद ही चपरासी भी थे और खुद ही अपनी संस्था केसी होगी लेकिन धीरे-धीरे माहेश्वरी चलते रहे और कारवां बनता रहां।
देश की जाने-माने संस्थान एक्वा प्रूफ प्राइवेट लिमिटेड बिल्डिंग और मॉडिफाई मटेरियल प्रोवाइड कराती है। 2002 से शुरू हुई एक्वा प्रूफ ने 2018-19 में 100  करोड़ का टर्न ओवर का लक्ष्य प्राप्त किया। अब कंपनी ने 2020 तक 200  करोड़ टर्न ओवर करने का लक्ष्य साधा है।
हजारों की नोकरी छोड़ लिया रिस्क-एमडी बीएल माहेश्वरी ने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि मैंने 1978 से नोकरी शुरू की थी। वहा अक्सर मुझसे सवाल पूछा जाता था  की मेरा टारगेट क्या है?इसका में एक ही जवाब देता था कि मुझे सीईओ बनना है। एक दिन मैं उस मुकाम पर भी आ गया। फिर अचानक प्रमोटरों में मतभेद  होने से कंपनी बैंड हो गई। तब मैंने दोबारा नोकरी करने के बजाय खुद कुछ करने की सोची। थोड़ी सेल्फ  रिस्क ओर परिवार के भरोसे से मैं ढाई लाख सेलरी वाला सेल्फ डिपेंडेंट एम्प्लॉय बना। 
ईमानदारी से मिलती मंजिल-
श्री माहेशवरी ने युवाओ को सफल बिज़नेस के मंत्र बताते हुए कहा ईमानदारी के साथ शुरू हुई हर कार्य मे सफलता मिलना तय होता है। कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। सबसे जरूरी है कि छोटी केपिटल के साथ बिज़नेस शुरू करे। फाइनेंस काम रखे। क्लाइंट नहीं मिलने और ग्रोथ नही होने की परेशानी से हिम्मत न हारे। मुकाम पर पहुंचने की लिए रिस्क लेना पड़ता है, जो मैंने भी लिया था।

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