नई दिल्ली। जब दुनिया नए साल के जश्न में डूबी हुई थी, उसी वक्त राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी मदद के दुरुपयोग को लेकर पाकिस्तान को फटकार लगा रहे थे। पाकिस्तान पर आरोप है कि वह अमेरिकी आर्थिक मदद का इस्तेमाल आतंकवादियों को पनाह देने के लिए करता है। वैश्विक समुदाय में पाकिस्तान की छवि आतंक परस्त देश की बनी हुई है।
संयुक्त राष्ट्र संघ और सार्क जैसे तमाम मंचों पर भारत ने पाकिस्तान के मंसूबों को उजागर करने की कोशिश की और दुनिया को बताया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में विश्व समुदाय के सामने पाकिस्तान ने हमेशा ही झूठ बोला है। भारत की राय है कि समय रहते अगर कदम नहीं उठाया गया तो आगे स्थिति और खतरनाक होने वाली है। क्योंकि पाकिस्तान के संरक्षण में पल रहे आतंकवादियों ने सबसे ज्यादा नुकसान भारत को पहुंचाया है। मुंबई, पठानकोट, उड़ी जैसे कई आतंकी हमले पाक प्रायोजित कारस्तानियों के प्रमाण हैं।
अमेरिका ने दे दिया है कड़ा संदेश
अब अमेरिका ने पाकिस्तान को दिए जा रहे वित्तीय मदद को रोककर कड़ा संदेश दिया है। अमेरिका ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भी पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए स्पष्ट किया है कि वह पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को खत्म करने के लिए दबाव बनाएगा। ट्रंप की इस लताड़ के बाद से पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। मगर सोचिए किसी भी राष्ट्र के लिए यह शर्मनाक स्थिति है कि उसे हर बार आतंक के मसले पर वैश्विक समुदाय से खरी-खोटी सुननी पड़ती है।
अमेरिका की सख्ती से पाकिस्तान पर पड़ेगा ये असर
बहरहाल, सवाल उठता है कि ट्रंप की इस सख्ती से पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा? साथ ही यह कि अमेरिका की यह सख्ती भारत के लिए क्यों इतनी महत्वपूर्ण है? आतंकवाद के मसले पर बेनकाब हो चुके पाकिस्तान को हर वैश्विक मंच पर फजीहत झेलनी पड़ रही है, लेकिन आतंकवाद परस्त की उसकी नीति में बदलाव देखने को नहीं मिलता। समय समय पर छोटे-छोटे आतंकियों और उनके समूहों पर दिखावे की कार्रवाई कर पाकिस्तान अनावश्यक यह साबित करने का स्वांग रचता है कि पाकिस्तान ऐसे मसलों को लेकर सख्त है, लेकिन तमाम दबावों के बावजूद वह कभी भी आतंक की जड़ पर चोट करने का साहस नहीं जुटा पाता है।
अब अमेरिका ने वित्तीय मदद पर रोक लगाकर पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेरने का काम किया है। बौखलाए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने तथ्य और कल्पना के अंतर को दुनिया को बताने की बात कही है। यह हास्यास्पद है कि तमाम सुबूत भारत ने दुनिया के सामने रखे हैं जिसमें यह प्रमाणित हुआ है कि पाक आतंकियों को पोषित करता है। दूसरे देशों ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है। इन सबके बीच आनन-फानन में पाकिस्तान सरकार मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की संस्था जमात-उद-दावा व फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन की संपत्ति को जब्त करने पर विचार कर रही है।
उठाना पड़ेगा भारी नुकसान
बहरहाल, अगर इस बार पाक ने आतंकी संगठनों पर कड़ी कार्रवाई नहीं किया तो उसे कूटनीतिक मोर्चो पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। जनवरी के अंत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक टीम पाकिस्तान जाने वाली है। टीम घोषित आतंकी समूहों की समीक्षा करेगी। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचने के लिए उसे सुरक्षा परिषद की टीम को संतुष्ट करना पड़ेगा। यह तभी संभव है जब पाकिस्तान अपने रवैये में बदलाव लाए।
आतंकवाद ही ऐसा मसला है जिसकी वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच वार्तालाप बंद है। भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान रोड़ा बनकर सामने खड़ा है किन्तु अब यह उम्मीद जगने लगी है कि अमेरिका इस लड़ाई में उस रोड़े का हटाने का मन बना लिया है। अगर आने वाले दिनों में पाकिस्तान ट्रंप की चेतावनी को हल्के में लेता है और आतंकी संगठनों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करता है तो भारत को भी आगे की बात सोचनी चाहिए।
News Source :- www.jagran.com
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