‘आज़ादी का अमृत महोत्सव‘ समारोह के हिस्से के रूप में, भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के सहयोग से “ऋणदाताओं की समिति: लोगों के विश्वास की संस्था” (कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स: एन इंस्टीट्यूशन ऑफ पब्लिक फेथ)विषय पर हाइब्रिड मोड में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (संहिता) के तहत ऋणदाताओंकी समिति (सीओसी) में वित्तीय ऋणदाताओंका प्रतिनिधित्व करने वाले अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों के अधिकारियों के लाभ के लिए आईबीबीआई द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में यह आठवीं कार्यशाला है। कार्यशाला में सत्रह अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 73 वरिष्ठ अधिकारियों (सहायक महाप्रबंधक और वरिष्ठ) ने भाग लिया।
कार्यशाला का उद्देश्य सीओसी की भूमिका और अपेक्षाओं के सन्दर्भ में बेहतर समझ विकसित करना और वित्तीय ऋणदाताओंकी क्षमता का निर्माण करना है। इसके सस्थ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि सीओसी:
· अत्यंत सावधानी और परिश्रम के साथ अपने कानूनी कर्तव्य और जिम्मेदारी का निर्वहन करता है;
· अपने व्यावसायिक ज्ञान को विवेकपूर्ण तरीके से लागू करनेके लिए क्षमता और प्रेरणा विकसित करता है; तथा
· समाधान प्रक्रिया में सभी हितधारकों के हितों पर विचार करता है और उनमें संतुलन बनाये रखता है।
श्री रितेश कावड़िया, कार्यकारी निदेशक, आईबीबीआई; श्री सुब्रत विश्वास, उप प्रबंध निदेशक (एसएआरजी), एसबीआई और श्री वी. चंद्रशेखर, वरिष्ठ सलाहकार, आईबीए ने कार्यशाला में उद्घाटन भाषण दिया। श्री गिरिधर किनी, सीजीएम (एसएआरजी), एसबीआई और श्री राजेश कुमार गुप्ता, सीजीएम, आईबीबीआई ने समापन भाषण दिया।
कार्यशाला में श्री संजीव पांडे, डीजीएम (एनसीएलटी), एसबीआई; श्री सतीश कुमार गुप्ता, दिवाला पेशेवर; श्री विजय वी. अय्यर, दिवाला पेशेवर; डॉ. (सुश्री) कोकिला जयराम, डीजीएम, आईबीबीआई; और श्री सुहैल नथानी, संस्थापक भागीदार, इकोनॉमिक लॉ प्रैक्टिसने भी भाग लिया।
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