जब सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे आए तो उन पर यक़ीन करना नंदिनी के लिए मुश्किल था.
नंदिनी इस समय फ़रीदाबाद में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी के तौर पर काम कर रही हैं. जब बीबीसी ने उन्हें फ़ोन किया तो पीछे पत्रकारों का शोर था. उन्होंने बीबीसी से कहा, “जब नतीजे आए तो मैं उन पर यक़ीन ही नहीं कर पाई.”
लेकिन बेंगलुरू के एमएस रमैय्या इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की सिविल इंजीनियरिंग की छात्रा रहीं नंदिनी के आईएएस अधिकारी बनने में ख़ास बात क्या है?
कहती हैं, “आईएएस बनना हमेशा से मेरा सपना था. अगर आप समाज का विकास करना चाहते हैं तो आप आईएएस बनकर ये बेहतर तरीके से कर सकते हैं.”
कर्नाटक के कोलार ज़िले के एक शिक्षक की बेटी नंदिनी ने शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से की है. बारहवीं की पढ़ाई के लिए वो चिकमंगलूर ज़िले के मूदाबिदरी आईं और परीक्षा में 94.83 प्रतिशत अंक प्राप्त कि
इस साल सिविल सेवा में जम्मू और कश्मीर से 14 प्रतियोगियों का चयन हुआ है. यह अब तक की सबसे ज़्यादा संख्या हैI
हरिपोरा के रहने वाले बिलाल मोहिद्दीन 10वें नंबर पर रहे हैं. भारतीय फ़ॉरेस्ट सेवा के अधिकारी और लखनऊ में तैनात मोहिद्दीन ने कहा कि उन्हें चयनित होने की उम्मीद तो थी लेकिन शीर्ष दस में आने पर उन्हें यक़ीन नहीं हुआ.
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