इंदौर, 15 मई 2019: उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) दुनिया भर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। फोर्थ डिस्ट्रिक्ट लेवल हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार भारत में 25.3% लोगों में उच्च रक्तचाप की समस्या है जिसमें महिलाओं (20.0%) की तुलना में पुरुषों (27.4%) में उच्च रक्तचाप के मामले अधिक है। यानि भारत में 207 मिलियन व्यक्तियों में (112 मिलियन पुरुष एवं 95 मिलियन महिलाएं) उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडीज के अनुसार उच्च रक्तचाप की वजह से 2016 में भारत में 1.63 मिलियन लोगों की मौत हुई, जबकि 1990 में इसकी संख्या 0.78 मिलियन थी (+108%)। भारत में जागरूकता की कमी के कारण लगभग 30% से भी कम रोगियों को पता है कि वे उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और 10% लोगों का ही सही तरीके से इलाज किया जाता है।
पिछले एक दशक में उच्च रक्तचाप के मामले बढ़ गए हैं। उच्च रक्तचाप के कारणों, रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है। हाई बीपी के निम्न कारण हो सकते हैं – धूम्रपान या तंबाकू का सेवन, आनुवंशिक, मोटापा, शारीरिक व्यायाम की कमी, ज़्यादा नमक वाला खाना, मधुमेह, किडनी, थायरॉयड या हार्मोनल बीमारियां। उच्च रक्तचाप को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि इसके अपने कोई विशेष लक्षण नहीं होते और इसके होने का जल्द पता नहीं लग पाता। कई बार रोगियों को इसके कारण स्ट्रोक (लकवा), हार्ट फ़ैल, दिल का दौरा एवं किडनी भी खराब हो सकती है।
शहर के प्रख्यात कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. अलकेश जैन ने बताया, “रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर है। एक स्वस्थ जीवन शैली और स्वस्थ आहार उच्च रक्तचाप को रोक सकता है। रोजाना 45 मिनट ब्रिस्क वॉक, कम नमक का प्रयोग, फल का सेवन करना कुछ ऐसे सुझाव हैं जो हम प्रतिदिन कर सकते हैं। धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को उच्च रक्तचाप है, वे नियमित दवाएँ और डॉक्टर से समय-समय पर चेकअप करवाएं, जिससे किसी भी प्रकार की जटिलता का जल्द पता लगाने में मदद मिलेगी। समय पर बीपी पर नजर रखकर और उसे नियंत्रित रखकर जटिलताओं को कम किया जा सकता है। बीपी रोगियों को उपचार और दवाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए।”
उच्च रक्तचाप का निदान- नियमित बीपी की जांच कराएं। क्लिनिक या अस्पताल में बीपी जांच के दौरान पेशेंट को तनाव और भय के कारण बीपी हाई हो जाता है, जिससे कभी-कभी गलत बीपी का माप हो जाता है जिसे वाइट कोट हाइपरटेंशन कहा जाता है। वाइट कोट हाइपरटेंशन से व्यक्ति को अनावश्यक दवा लेनी पड़ सकती है जबकि उनके नियमित जीवन में उनका बीपी सामान्य हो सकता है। इस तरह के रोगियों का पता लगाने और अनावश्यक दवाओं से बचने के लिए अब एम्बुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग (एबीपीएम) का उपयोग किया जाता है। एबीपीएम में ऊपरी बांह के चारों ओर एक कफ बांधा जाता है और इसके साथ छोटी बीपी मशीन लगी हुई होती है जिसे अगले 24 घंटों तक रोगी अपने साथ ले जा सकता है। यह वास्तविक स्थिति में हर 15-30 मिनट में बीपी रिकॉर्ड करता है और 24 घंटे के बाद ग्राफिकल रूप में दर्शाता है।
इस ग्राफ का विश्लेषण करके यह तय किया जा सकता है कि किसी मरीज को बीपी दवाओं की वास्तव में जरूरत है या नहीं, अगर वह दवा ले रहा है तो उसकी दवा को बढ़ाया जाना चाहिए या नहीं एवं किसी की दवा को कम या बंद किया जा सकता है या नहीं। कई बार ऑफिस में मरीजों का बीपी हाई होता है लेकिन जब एबीपीएम द्वारा निगरानी की जाती है तो 24 घंटे में उनका सामान्य बीपी पैटर्न पाया जाता है और उन्हें अनावश्यक दवाओं से बचाया जा सकता है।
एबीपीएम का उपयोग गर्भवती महिलाओं में यह जानने के लिए किया जाता है कि क्या उन्हें वास्तव में ड्रग थेरेपी की आवश्यकता है या फिर क्या ड्रग थेरेपी को बदलने की आवश्यकता है क्योंकि यह शिशु के विकास और गर्भावस्था के परिणामों को प्रभावित कर सकता है। कई बार मरीजों को उच्च रक्तचाप की दवा खाने पर चक्कर आने की शिकायत होती है। इन मामलों में एबीपीएम यह जानने में मदद करता है कि उन्हें दवा की खुराक को कम करने की आवश्यकता है या नहीं।
हाई ब्लड प्रेशर से किडनी फेल, दिल की बीमारीयां, स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज इत्यादि रोग हो सकते हैं। धूम्रपान न करें, नियमित शारीरिक गतिविधि दिन में 30 मिनट के लिए (हर सप्ताह कम से कम 4-5 बार) करें, वजन नियंत्रण में रखें, खाने में नमक कम लें (<6 ग्राम / दिन), मधुमेह नियंत्रण, कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच और नियंत्रण, जंक फूड न खाएं एवं ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें। नियमित रूप से व्यायाम, योग एवं एक्सरसाइज करें।
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