बयान से मुकरी हनीप्रीत, बोली- बठिंडा में नहीं रही कभी, पहले झूठ बोला था

पंचकूला/बठिंडा। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की गोद ली बेटी हनीप्रीत गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है। हनीप्रीतके बयान बदलने से पंचकूला पुलिस चक्‍कर में पड़ गई है। हनीप्रीत को लेकर पुलिस पंजाब आई और संगरूर में जांच के बद वह उसे बठिंडा लेकर आई। यहां आकर वह पंचकूला में अपने दिए बयान से साफ पलट गई। उसने साफ कहा कि वह यहां नहीं ठहरी थी और पहले उसने झूठ बोला था। हनीप्रीत के तेवर से पुलिस टीम चकित रह गई।

पुलिस हनीप्रीत को लेकर पंचकूला से करीब छह घंटे में 225 किलोमीटर का सफर तय कर बठिंडा के आर्यनगर के उस घर में पहुंची, जहां उसने ठहरने की बात कही थी। पूछताछ के दौरान हनीप्रीत अपने पहले पलट गई और एसआइटी से कहा कि उसने पहले झूठा बयान दिया था। वह बठिंडा में नहीं रही है। इसी बीच हरियाणा पुलिस की आइजी ममता सिंह ने कहा कि हनीप्रीत लगातार गुमराह कर रही है। अब उसके पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए कोर्ट में याचिका दायर करेगी। पुलिस नारको टेस्ट भी करवा सकती है।

पंचकूला में पुलिस को दिए बयान से बठिंडा में पलट गई

बठिंडा के आर्य नगर की गली नंबर दो स्थित एक घर में वीरवार दोपहर करीब डेढ़ बजे हनीप्रीत और सुखदीप को लेकर पंचकूला पुलिस की एसआइटी पहुंची। उसक साथ बठिंडा के एसपी (सिटी) गुरमीत सिंह और तलवंडी साबो के तहसीलदार सुखबीर सिंह बराड़ भी थे। टीम के अंदर जाते ही गेट बंद कर दिया गया। मकान में नीचे के कमरों में डेरा सच्चा सौदा के टेंट का सामान रखा था।

बताया जाता है कि पूछताछ में पहले हनीप्रीत ने कहा कि वह ऊपर के कमरे में रही है। मकान में एक घंटा 22 मिनट तक पुलिस ने हनीप्रीत से पूछताछ की लेकिन वहां से एसआइटी को कोई रिकवरी नहीं हुई। पूछताछ में हनीप्रीत ने कहा कि वह राजस्थान के उदयपुर व बीकानेर के अलावा गुजरात में भी रही।

इस बीच, हनीप्रीत अचानक अपने पहले के बयान से पलट गई और उसने एसआइटी को कहा कि पंचकूला में पूछताछ में उसने झूठ कहा था कि वह बठिंडा में रही है। इससे पहले उसने कहा था कि इस मकान में 25 दिन तक रही है। उस कमरे में न तो बेड या चारपाई थी, न ही बल्ब और पंखा था। रसोई में एक थैले में थोड़ा सा आटा और एक छोटा गैस स्टोव था।

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एसआइटी के सवाल, हनीप्रीत के जवाब

एसआइटी : इस कमरे में एक बल्ब तक नहीं है, आप कैसे रही यहां?

हनीप्रीत : यहां पर बल्ब लगा था। जाते समय हम उतार कर ले गए थे।

एसआइटी : आप तो एसी में रहने की आदी हैं, इस कमरे तो पंखा तक नहीं है?

हनीप्रीत : वक्त सुविधाओं के बिना भी जीना सिखा देता है। वैसे हमारे पास यहां टेबल फैन था। जाते समय हम उसे भी ले गए थे।

एसआइटी : तो आपने रोटी का कहां से प्रबंध किया?

हनीप्रीत : रोटी बल्लुआना से आया करती थी।

एसआइटी : आप यहां से आती-जाती कैसे थीं?

हनीप्रीत : मैंने अभी तक का पूरा सफर एक ही इनोवा गाड़ी से किया है।

इसके थोड़ी देर बाद वह बठिंडा में रहने की बात से मुकर गई। उसने कहा कि पहले उसने झूठ बोला था।

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” हनीप्रीत जांच में सहयोग नहीं कर रही है। उसके खिलाफ हायर अथारिटी को लिखकर भेजूंगा। पहले पूछताछ के दौरान उसने कहा था कि वह बठिंडा के आर्य नगर में 25 दिन रही है, लेकिन जब उस घर में लेकर आए तो बाद में बोली कि वह तो बठिंडा रही ही नहीं, पहेल तो झूठ बोला था।

– मुकेश मल्होत्रा, एसीपी, पंचकूला पुलिस।
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” जिस तरह से हनीप्रीत गोलमोल जवाब दे रही है, उससे साफ है कि वह 39 दिन से इसकी प्रैक्टिस कर रही थी कि रिमांड के दौरान किस तरह से पुलिस को गुमराह करना है। हनीप्रीत ने सवालों के जवाब नहीं दिए तो पुलिस पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए कोर्ट में याचिका दायर करेगी। इसके अलावा नारको टेस्ट भी करवा सकती है।

– ममता सिंह, आइजी, हरियाणा पुलिस।

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ऐसे होता है नार्को टेस्ट

नार्को टेस्ट एक फोरेंसिक परीक्षण होता है, जिसे जांच अधिकारी, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सक और फोरेंसिक विशेषज्ञ की उपस्थिति में किया जाता है। यह टेस्ट किसी व्यक्ति से जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है जो या तो उस जानकारी को प्रदान करने में असमर्थ होता है या फिर उसे उपलब्ध कराने को तैयार नहीं होता। अधिकतर आपराधिक मामलों में ही नार्को टेस्ट किया जाता है।

इस टेस्ट में व्यक्ति को एक इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे वह कृत्रिम निद्रा में आ जाता है। इस दौरान उसके दिमाग का त्वरित प्रतिक्रिया देने वाला हिस्सा काम करना बंद कर देता है। ऐसे में व्यक्ति बातें बनाना और झूठ बोलना भूल जाता है। हालांकि यह भी संभव है कि नार्को टेस्ट के दौरान भी व्यक्ति सच न बोले। भारत में हाल के कुछ वर्षों से ही ये परीक्षण आरंभ हुए हैं, पर इन टेस्टों से प्राप्त जानकारी को साक्ष्य नहीं माना जाता। अलबत्ता यह जानकारी आगे पड़ताल करने में सहायक हो सकती है।

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ऐसे होता है पॉलीग्राफी टेस्ट

पॉलीग्राफ ऐसा उपकरण है जो रक्तचाप, नब्ज, सांसों की गति आदि को उस वक्त नापता और रिकॉर्ड करता है, जब किसी व्यक्ति से लगातार प्रश्न पूछे जाते हैं। इस दौरान पॉलीग्राफिक मशीन की मदद से उसका रक्‍तचाप, धड़कन, सांसों की गति आदि रिकॉर्ड कर ली जाती है। सही जवाब और गलत जवाब के दौरान शरीर की प्रतिक्रिया में उतार-चढ़ाव होने लगता है। इसके आधार पर सच और झूठ का फैसला किया जाता है। वैज्ञानिकों के बीच इसकी विश्वसनीयता कम है।

News Source: jagran.com

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