पंचकूला। लोग रखते हैं व्रत उनके लिए, जो उनका ही सुहाग है और हम रखते हैं व्रत हमारे पापा के लिए, जो हमारे लिये ही नहीं बल्कि दोनों जहान के सुहाग हैं। गुरमीत राम रहीम का यह प्रवचन राम रहीम की गोद ली हुई बेटी हनीप्रीत ने रविवार को उस कर्मचारी को सुना दिया, जोकि हनीप्रीत के लिए लॉकअप में खाना लेकर पहुंचा था।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार हनीप्रीत ने अपने पिता की लंबी आयु के लिए व्रत रखा, हालांकि यह व्रत निर्जला नहीं था, हनीप्रीत ने पानी पीया। हनीप्रीत से पूछताछ करने वाली महिला पुलिस अधिकारी भी रविवार को सजधज कर पुलिस थाने पहुंची थी। करवाचौथ को लेकर महिला पुलिस अधिकारी एवं हनीप्रीत दोनों ही उत्सुक रहीं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार हनीप्रीत ने शनिवार को एक महिला अधिकारी से पूछा था कि करवाचौथ का व्रत रविवार को है, जिसके बाद हनीप्रीत ने व्रत रखा। हनीप्रीत राम रहीम की जैविक या कानूनी बेटी नहीं है, फिर भी वह यही कह रही थी कि मेरे पिता राम रहीम ही हैं और उन्होंने जिस तरह से देश में विभिन्न भलाई के काम चलाये, उससे प्रभावित होकर ही महिलाएं एवं बच्चियां उनकी लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।
गौरतलब है कि हनीप्रीत के पूर्व पति विश्वास गुप्ता कई बार आरोप लगा चुके हैं कि हनीप्रीत और राम रहीम के बीच केवल नाम का ही बाप-बेटी का रिश्ता था। उन दोनों के बीच नाजायज संबंध था। जबकि हनीप्रीत एक न्यूज चैनल से इंटरव्यू में इन सभी आरोपों को नकार चुकी हैं। उधर पुलिस द्वारा हनीप्रीत को व्रत के लिए कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया गया है। उसे कुछ समय के लिए पूछताछ के लिए बाहर लाया गया और उसके बाद लॉकअप में बंद कर दिया गया।
महिला अधिकारियों के करवाचौथ को लेकर व्यस्त होने के चलते ज्यादा देर पूछताछ नहीं हो पाई। एक पुलिस कर्मचारी ने बताया कि उन्होंने हनीप्रीत को अपनी साथी सुखदीप कौर से बातचीत करते हुए सुना कि काश आज वह अपने पिता से मिल पाती। जबकि इस संबंध में कोई पुलिस अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।
बता दें, कि साध्वियां, महिलाएं गुरमीत राम रहीम के लिए व्रत रखती थी, यहां तक की हनीप्रीत भी करवा चौथ का व्रत रखती थी। इस बार डेरा सच्चा सौदा में न तो हनीप्रीत है और न ही गुरमीत राम रहीम। लेकिन हनीप्रीत आज भी अपने पिता को प्यार करती है, जिसका प्रमाण उसने दिया है।
हालांकि डेरे की ओर से पहले ही सफाई दी जा चुकी है कि करवाचौथ का व्रत रखने के लिए गुरमीत राम रहीम ने किसी को नहीं कहा, बल्कि सब भक्त अपनी मर्जी से यह व्रत रखते थे। उनकी मंशा ये होती थी कि गुरमीत राम रहीम की लंबी उम्र हो।
News Source: jagran.com
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