एचडीएफसी बैंक की स्थायी आजीविका पहल कर रही है मध्य प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण में मदद

एचडीएफसी बैंक की स्थायी आजीविका पहल कर रही है मध्य प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण में मदद 

जम्बुर्दी हापसी (इंदौर) : जम्बुर्दी हापसी इंदौर के बाहरी इलाकों के निकट बसा एक गाँव है। जम्बुर्दी हापसी की जनसंख्या लगभग 2,000 है और यह शहर से 22 किलोमीटर दूर है। मध्य प्रदेश के कई अन्य गाँवों की तरह इस गाँव की महिलाओं को एचडीएफसी बैंक की स्थायी आजीविका पहल (एसएलआई) से लाभ हुआ है। मध्य प्रदेश में एसएलआई ने 751 से अधिक गाँवों की 2.5 लाख गरीब महिलाओं को सशक्त किया है। इंदौर जिले में, एसएलआई ने 24 गाँवों के लगभग 11,760 परिवारों का सशक्तीकरण किया है। एसएलआई वह अहम धुरी है जो एचडीएफसी बैंक के निदेशक मंडल के लक्ष्य को आगे बढ़ा रहा है। बैंक ने एक करोड़ परिवारों (पाँच करोड़ लोगों) को बैंकिंग के दायरे के भीतर लाने और वित्तीय समावेशन करने का लक्ष्य बनाया है।

एसएलआई भारत के हजारों गाँवों में महिलाओं को वित्तीय तौर पर सक्षम बना रहा है, जिसके कारण ग्रामीण भारत में रहने वाले लाखों लोगों के जीवन में बदलाव हो रहा है।राष्ट्रीय स्तर पर एसएलआई भारत के 27 राज्यों के 20,000 से अधिक गाँवों में मौजूद है। इसने 7.1 करोड़ से अधिक महिलाओं को स्थायी आजीविका पाने में मदद की है, जिसके कारण देश भर के तीन करोड़ से अधिक परिवारों को सीधे तौर पर लाभ मिला है। अन्य योजनाओं के विपरीत एसएलआई ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के महज खाते नहीं खुलवाता या केवल कर्ज ही नहीं मुहैया कराता। यह एचडीएफसी बैंक की ओर से अपनाया गया ऐसा समग्र नजरिया है जिसका लक्ष्य स्थायित्व आधारित समुदायों का निर्माण  करना और लाखों ऐसे भारतीयों के जीवन में बदलाव लाने में मदद करना है, जो देश के बिना बैंकिंग वाले या कम बैंकिंग वाले क्षेत्रों में रहते हैं। इंदौर के निकट जम्बुर्दी हापसी में महिलाओं का मुख्य पेशा झाड़ू बनाना, बकरी पालन, पशु पालन और कृषि संबंधी कार्यकलाप है। इस गाँव में एचडीएफसी बैंक ने महिलाओं के लिए ताड़ की टोकरी बनाने और फिनाइल बनाने सहित कई कामों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये हैं।

पूरे मध्य प्रदेश में बैंक ने महिलाओं को हस्तशिल्प, गणपति की मूर्ति, सजावट के सामान, अगरबत्ती, राखी, मसाले, पतंग, मोमबत्ती, कृत्रिम आभूषण, डिटरजेंट, शैम्पू, पैकेजिंग बॉक्स, फिनाइल, खिलौने, कृषि संबंधी उत्पाद तैयार करने और सिलाई सहित कई कामों का प्रशिक्षण दिलाया है। एसएलआई के तहत गाँव की महिलाओं को ऋण से संबंधित परामर्श, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और बाजार से संपर्क का लाभ हासिल हुआ है। एसएलआई का आधार विचार यह है कि ग्रामीण भारत के लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करने, उन्हें वित्तीय तौर पर साक्षर बनाने और बाजार से संपर्क उपलब्ध कराये जाने की आवश्यकता है, तभी वे अर्थपूर्ण प्रभाव डाल सकेंगी। ऐसे में जम्बुर्दी हापसी में मुहैया कराया जा रहा ऋण से संबंधित परामर्श वहाँ की महिलाओं को आमदनी बढ़ाने के लिए कर्ज लेने का महत्व समझाने में मदद कर रहा है। इंदौर जिले के गाँवों में कई ऐसी महिलाओं के उदाहरण हैं जिन्हें एसएलआई का हिस्सा बनने से फायदा हुआ है।

मसलन, जम्बुर्दी हापसी गाँव की लक्ष्मी ने बैंक से कर्ज ले कर सिलाई का काम शुरू किया है। हातोड़ गाँव की हिना ने स्वेटर बनाने का काम आरंभ किया है, सागवाल गाँव की रानी ने बकरी पालन कारोबार शुरू किया है और पलिया गाँव की सोरम ने झाड़ू बनाने का काम आरंभ किया है।कर्ज उपलब्ध कराने के अलावा बैंक पैसों के बचत के महत्व को समझाने के लिए वित्तीय साक्षरता से संबंधित गतिविधियाँ आयोजित करता रहता है। बैंक ने खास तौर पर ऐसी महिलाओं के लिए बचत योजनाएँ तैयार की हैं और बैंक की ओर से पेश 100 रुपये का माइक्रो-रेकरिंग डिपॉजिट महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। ऐसे माइक्रो-रेकरिंग डिपॉजिट के जरिये जुटाये गये पैसे जीवन में दिक्कत के मौकों जैसे अस्पताल के खर्च और शादी जैसे अवसरों में काफी मददगार साबित होते हैं। एचडीएफसी बैंक के क्षेत्रीय प्रमुख (रीजनल हेड) – पश्चिम, एसएलआई श्री मधुसूदन सिंगम ने कहा, “स्थायी आजीविका पहल (एसएलआई) एचडीएफसी बैंक की ओर से ग्रामीण भारत की महिलाओं को सशक्त करने और लाखों परिवारों के जीवन में बदलाव लाने का एक प्रयास है। स्थायी आजीविका पहल मध्य प्रदेश में न केवल कर्ज उपलब्ध करा रही है, बल्कि कौशल प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता और यहाँ तक कि, जहाँ संभव हो वहाँ, बाजार से संपर्क भी मुहैया करा रही है, जिससे घर की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलती है। मध्य प्रदेश में यह कार्यक्रम गाँवों में रहने वाली लाखों महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने में कामयाब हुआ है, जिससे वे वित्तीय तौर पर सक्षम हुई हैं। हमें यह विश्वास है कि आने वाले वक्त में यह पहल मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के और अधिक गाँवों को लाभान्वित करेगी।”

एसएलआई के तहत ये सेवाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं: 
 वित्तीय साक्षरता और ऋण परामर्श ताकि बैंकिंग और संबंधित कामकाज के लाभ बताये जा सकें। विशिष्ट बचत उत्पाद जैसे एटीएम कार्ड के साथ बचत खाता, चेक बुक, माइक्रो रेकरिंग डिपॉजिट और फिक्स्ड डिपॉजिट ताकि बैंकिंग की आदतों को विकसित किया जा सके, नकदी का प्रवाह बनाया जा सके और जीवन की विभिन्न जरूरतों को पूरा किया जा सके। बीमा सुरक्षा ताकि जीवन और संपत्तियों के नुकसान से संबंधित अनिश्चितताओं से निबटने में मदद मिले। जरूरत के मुताबिक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण सेवाएँ ताकि कुशलता वृद्धि की जा सके, जिससे आमदनी बढ़ायी जा सके। कच्चे माल और उपकरणों की खरीदारी के साथ कारोबार के विस्तार के लिए ऋण सहायता। जरूरत के मुताबिक बाजार से संपर्क उपलब्ध कराना ताकि ग्राहकों द्वारा बनाये गये उत्पादों को बेचने के लिए अधिक मौके और बाजार में बेहतर अवसर मिल सके।
एचडीएफसी बैंक की यह अद्वितीय पहल देश के बिना बैंकिंग वाले या कम बैंकिंग वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को लंबी अवधि के लिए स्थायी आजीविका पाने में सहायता कर रही है, इस तरह यह इन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर रही है। इस प्रकार वित्तीय समावेशन से आगे बढ़ते हुए एचडीएफसी बैंक का एसएलआई की पहल स्थायित्व आधारित समुदायों का निर्माण करने में मदद कर रही है।एसएलआई के तहत जरूरत के मुताबिक क्षमता निर्माण प्रशिक्षण और बाजार से संपर्क मुहैया कराया जाता है। यह महिलाओं को उनके कौशल बढ़ाने और बड़े बाजारों तक पहुँच बनाने का मौका देता है, ताकि उनकी कारोबारी गतिविधियाँ बढ़ें और उनकी आमदनी में वृद्धि हो। 

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